मिसाल : ससुर ने बहू को किडनी देकर बचाई जान

अंकित गोस्वामी सम्भल शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है किडनी। अगर किडनी डैमेज हो जाए तो समझो आप जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Mar 2019 02:17 AM (IST) Updated:Thu, 21 Mar 2019 03:14 PM (IST)
मिसाल : ससुर ने बहू को किडनी देकर बचाई जान
मिसाल : ससुर ने बहू को किडनी देकर बचाई जान

सम्भल(जागरण स्पेशल)। अंकित गोस्वामी, सम्भल: शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है किडनी। अगर किडनी डैमेज हो जाए तो समझो आप जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे है। इन परेशानियों से वर्ष 2012 में जूझ रही थी, शहर के मोहल्ला दुर्गा कालोनी निवासी रीना गुप्ता। परेशानियों को देखते हुए उनके पति ने मुरादाबाद में भर्ती कराया। जहां से उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया। डाक्टरों ने दूसरी किडनी डलने की बात कही तो रीना गुप्ता के पिता ने किडनी दान करने की इच्छा जताई। हालांकि जब किडनी देने की बात आई तो वह पीछे हट गए। ऐसे वक्त में उनके ससुर आगे आए। बहू को बेटी समझकर अपनी किडनी दान कर दी। आप्रेशन के बाद बहू ने भी अपने माता पिता से रिश्ते खत्म कर दिए। अब वह ससुराल में अपने पति, सुसर, सास के साथ खुशी से रह रही है।

12 वर्ष पहले हुई थी शादी

शहर के मोहल्ला दुर्गा कालोनी निवासी अजय कुमार गुप्ता के बेटे सौरभ गुप्ता की 12 वर्ष पहले शादी जिला कासगंज निवासी अविनाश बंसल की बेटी रीना गुप्ता के साथ हुई थी। शादी के बाद दोनों पति पत्नी खुशी से रहने लगे। परिवार में एक बेटी यशिका है। वर्ष 2005 में रीना गुप्ता की तबियत बिगड़ गई। इसके बाद मुरादाबाद परिजन उनका उपचार कराते रहे। कुछ दिन बाद उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा तो किडनी डैमेज हो गई। इसके बाद परिजन घबरा गए। मुरादाबाद से डाक्टरों ने उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया था। डाक्टरों ने किडनी डेमेज होने की जानकारी देते हुए दूसरे किडनी डाले जाने की जानकारी दी। उस वक्त रीना गुप्ता ङ्क्षजदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। ऐसे में पहले तो रीना गुप्ता के पिता अविनाश बंसल ने किडनी दान करने की इच्छा जताई। बेटी भी खुश हो गई कि उसके पिता किडनी उसके लिए दान कर रहे है। आप्रेशन के वक्त उनके पिता ने किडनी दान करने से इनकार कर दिया। ऐसे में रीना गुप्ता के ससुर अजय कुमार गुप्ता आगे आए। बेटे की बहू को अपनी बेटी समझकर एक किडनी दे दी। किडनी दिल्ली के एक निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट की गई।अब दोनों लोग सुरक्षित है। आप्रेशन के बाद रीना गुप्ता अपनी ससुराल आ गई। बेटी ने भी अपने पिता से रिश्ता खत्म कर दिया। 14 वर्ष बीतने के बाद भी रीना गुप्ता के माता पिता उसकी ससुराल में नहीं आए। वह अपनी ससुराल में खुशी के साथ जीवन व्यतीत कर रही है।

जिंदगी और मौत से जूझ रही थी मैं

रीना गुप्ता ने बताया कि मेरे किडनी डैमेज हुई तो मैं उस वक्त ङ्क्षजदगी और मौत से जूझ रही थी। मेरे पिता जी ने पहले किडनी देने के लिए कहा था लेकिन जब आप्रेशन का वक्त आया तो वह मुकर गए। मेरे ससुर ने मुझे अपनी बेटी समझकर किडनी दी। मैं अब स्वस्थ्य हूं। मैं अब सास ससुर को माता पिता समझकर रह रही हूं। मैं अब मायके नहीं जाती हूं।

बीमारी सुनकर हो गया था परेशान

सौरभ गुप्ता ने बताया कि मेरी पत्नी की तबियत खराब हुई तो मैं उपचार कराने के लिए मुरादाबाद पहुंचे। जहां से उसे दिल्ली के लिए रेफर किया गया। वहां डाक्टरों ने किडनी डैमेज होने की बात बताई तो मैं परेशान हो गया था। मैंने अपने सास ससुर को अस्पताल बुला लिया था। मेरे ससुर ने अपनी बेटी को किडनी देने पर सहमति जताई। बाद में उन्होंने किडनी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद मेरे पिता ने मेरी पत्नी को किडनी दान की।

परिवार के लोगों को करनी चाहिए मदद

पति मैंने अपने बेटे की बहू को बेटी समझकर किडनी दान की। मैं अब भी स्वस्थ और खुश हूं। वह भी परिवार के साथ खुशी से रह रही है। मैं चाहता हूं कि ऐसे परेशानियों में परिवार के लोगों को मदद करनी चाहिए।

अजय कुमार गुप्ता, ससुर

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