कुपोषण की शिकार बच्ची को देख पसीजा चिकित्सक का दिल, खून देकर बचा ली जान

चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। जब कोई चिकित्सक अपने पास आए मरीज को बचाने के लिए अपना खून देकर उसकी जान बचा ले तो कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो जाती है।

By RashidEdited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 01:44 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jan 2019 04:05 PM (IST)
कुपोषण की शिकार बच्ची को देख पसीजा चिकित्सक का दिल, खून देकर बचा ली जान
कुपोषण की शिकार बच्ची को देख पसीजा चिकित्सक का दिल, खून देकर बचा ली जान

मुरादाबाद । चिकित्सक को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। जब कोई चिकित्सक अपने पास आए मरीज को बचाने के लिए अपना खून देकर उसकी जान बचा ले तो कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रामपुर जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रजपुरा में तैनात चिकित्सक ने। उन्होंने उनके पास लाई गई कुपोषण की शिकार ऐसी बच्ची को खून देकर जान बचाई है, जिसका गरीब विकलांग पिता खून की व्यवस्था कर पाने में पूरी तरह नाकाम था।

परिजन बच्ची का उपचार कराने के लिए लाए थे

मरीज को खून देने वाले युवा चिकित्सक हैं सैयद शाहनवाज अली। 12 जनवरी को उनके पास उपचार के लिए एक सवा साल की बच्ची को लाया गया। वह बताते हैं कि मैनी निवासी फसाहत खां की यह बच्ची बुरी तरह कुपोषण की शिकार थी। जांच की तो पता चला कि उसके अंदर खून की बहुत कमी थी। उसे तत्काल खून की आवश्यकता थी।

खून का इंतजाम करने के लिए नहीं थे रुपये

माता-पिता का खून चेक किया गया तो किसी का खून उससे मैच न हुआ। बच्ची के पिता के किसी हादसे में विकलांग हो जाने के कारण घर की आर्थिक स्थिति इस योग्य नहीं थी कि कहीं से खून की व्यवस्था की जा सके। साथ ही वह स्वयं भी बीमारी से ग्रस्त है। डॉ. शाहनवाज ने काफी प्रयास किया, लेकिन खून की व्यवस्था कहीं से भी नहीं हो पा रही थी। उधर, बच्ची की हालत ऐसी थी कि यदि तत्काल खून न दिया जाए तो उसकी जान पर बन सकती थी। यह देख वह तत्काल उसे लेकर जिला अस्पताल लेकर आए और अपना खून दिया। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व वह मिलक में ही तीन अन्य बच्चों की जान भी अपना रक्त देकर बचा चुके हैं।

बेसहारा का सहारा बनने का बचपन से ही था सपना

रामपुर शहर के कठकुंइया, मोती मस्जिद निवासी सैयद हजरत उरूज जैदी के पुत्र सैयद शाहनवाज अली दस वर्ष पूर्व मेडिकल प्रेक्टिस में आए थे। बचपन से ही उनकी आंखों में बस एक ख्वाब था, बड़े होकर डॉक्टर बनना और फिर गरीब-बेसहारा लोगों की सेवा करना। दस सालों से वह अपने ख्वाब को लगातार पूरा करने का प्रयास भी कर रहे हैं। वर्ष 2013 से उनकी तैनाती जिले की मिलक तहसील में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रजपुरा पर है।

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