कुत्तों और बंदरों से रहना दूर, जिला अस्पताल में एंटी रैबीज नहीं है

सरकारी अस्पताल से एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने की सोच रहे हैं तो इरादा बदल दें।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Mar 2019 01:10 PM (IST) Updated:Wed, 06 Mar 2019 01:10 PM (IST)
कुत्तों और बंदरों से रहना दूर, जिला अस्पताल में एंटी रैबीज नहीं है
कुत्तों और बंदरों से रहना दूर, जिला अस्पताल में एंटी रैबीज नहीं है

रामपुर, जेएनएन। यदि आपको कुत्ते, बंदर आदि जानवर ने काट लिया है और सरकारी अस्पताल से एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने की सोच रहे हैं तो इरादा बदल दें। आपको मायूसी मिलेगी। पिछले 10 दिन से जिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। इससे यहां दूर-दराज से आने वाले मरीज भटक रहे हैं। मजबूरी में बाहर से इंजेक्शन खरीदकर लगवाना पड़ रहा है। मेडिकल स्टोर वालों की चांदी अस्पताल प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि लखनऊ से ही सप्लाई नहीं मिल रही है। ऐसे में अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर चलाने वालों की चांदी हो रही है। रोजाना 10 से 12 एंटी रैबीज इंजेक्शन की बिक्री हो रही है। मंगलवार को तो अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर पर भी इंजेक्शन खत्म हो गए। इस पर लोगों को काफी दूर तक भटकना पड़ा। अस्पताल में एंटी रैबीज दवा को भटक रहे लोगों की पीड़ा टांडा बादली गांव से आए इरशाद ने बताया कि उनके आठ साल के बेटे हम्माद को गांव में ही एक पागल कुत्ते ने काट लिया। इंजेक्शन लगवाने यहां आए थे, लेकिन मना कर दिया। यहां बताया गया है कि इंजेक्शन खत्म हो चुके हैं। अब मजबूरी में राजद्वारा जाकर 330 रुपये खर्च करके इंजेक्शन लेकर आए हैं। उनके लिए यह बड़ी रकम है। चार इंजेक्शन लगने हैं। यदि जिला अस्पताल में जल्द इंजेक्शन नहीं आए तो उन्हें हर बार इतनी रकम खर्च करनी पड़ेगी।

महिला को हुई परेशानी अजीमनगर के नगलिया आकिल गांव की 30 वर्षीय रुमाना पत्नी शादाब ने बताया कि पहली मार्च को कुत्ते ने काटा था। अगले दिन जिला अस्पताल आए तो बताया गया कि इंजेक्शन खत्म हो गए हैं। मजबूरी में अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर से 350 रुपये देकर इंजेक्शन खरीदा। दूसरा इंजेक्शन लगाने के लिए मंगलवार को बुलाया था। तब कहा गया कि इंजेक्शन आ जाएगा, लेकिन अब फिर बाहर से खरीदना पड़ा है। अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर पर भी इंजेक्शन खत्म हो गए हैं। बंटर के काटने पर पहुंचे इंजेक्शन लगवाने पटवाई के ग्राम घनश्यामपुर के सात साल के डालचंद को भी दो बुद्घदन पहले बंदर ने काट लिया था। उसके पिता ने बताया कि वह इंजेक्शन लगवाने यहां आए तो बताया गया कि इंजेक्शन खत्म हो गए हैं। एक-दो दिन में आ जाएंगे। अब फिर यहां आए तो वही जवाब मिला कि इंजेक्शन नहीं है। वह मेहनत मजदूरी करते हैं। हर बार 330 रुपये खर्च करना उनके लिए मुश्किल है। कई दिनों से बनी है कमी सिविल लाइंस गुरुद्वारा रोड निवासी हरमीत सिंह भी मंगलवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन के लिए जिला अस्पताल आए थे। उन्होंने बताया कि यहां इंजेक्शन खत्म हो गए थे। पिछले कई दिन से इंजेक्शन की कमी बताई जा रही है। पूछने पर बताया गया कि ऊपर से ही सप्लाई नहीं आई है। मजबूरी में बाहर से इंजेक्शन लाना पड़ा। अस्पताल के बाहर कई मेडिकल हैं। वहां भी इंजेक्शन नहीं मिले। तब राजद्वारा रोड तक जाकर इंजेक्शन लाना पड़ा।

रफत कालोनी ज्वालानगर के मनोज शर्मा को 24 फरवरी को बंदर ने काट लिया था। वह इंजेक्शन लगवाने जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि इंजेक्शन खत्म हो गए हैं। बाहर से इंजेक्शन लाना पड़ा। मंगलवार को भी वह इंजेक्शन लगवाने आए तो वहां दवा नहीं आई थी। उन्होंने बताया कि फिर बाहर से इंजेक्शन लाकर लगवाना पड़ा। क्या कहते हैं अधिकारी एंटी रैबीज इंजेक्शन की सप्लाई लखनऊ से होती है। पिछले कई दिन से सप्लाई बंद है। यहां रोजाना ही 15 से 20 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने आते हैं। लोगों की परेशानी को देखते हुए मने लखनऊ बात की है। मंगलवार को भी बात हुई तो बताया गया कि सप्लाई भेज दी है। बुधवार से एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएंगे।

डॉ. बीएम नागर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल।

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