यूपी के सम्‍भल में जल संरक्षण की मिसाल है सोत नदी, अफसरों ने कराई थी 40 किमी खोदाई

Sot river प्रशासन की ओर से मनरेगा मजदूरों को लगाया गया। मुहिम कामयाब हुई तो सोत नदी की खोदाई भी पूरी हो गई जिसमें बारिश का जल एकत्रित किया गया।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sat, 18 Jul 2020 07:14 PM (IST) Updated:Sat, 18 Jul 2020 07:14 PM (IST)
यूपी के सम्‍भल में जल संरक्षण की मिसाल है सोत नदी, अफसरों ने कराई थी 40 किमी खोदाई
यूपी के सम्‍भल में जल संरक्षण की मिसाल है सोत नदी, अफसरों ने कराई थी 40 किमी खोदाई

सम्‍भल (शिव नारायण)।  जलवायु के इस चक्र में बदलाव का दौर जारी है। नदी, तालाब, पोखर, कुएं सूख गए। जलस्तर इस कदर गिरता गया कि बोरिंगों ने भी दम तोड़ना शुरू कर दिया है। कभी सूखा तो कभी औपचारिकता निभाते इंद्रदेव अब महीनों, सप्ताह या दिन भर के लिए नहीं बरसते बल्कि सप्ताह में दो चार घंटे छिड़काव करते है। रही सही कसर जल का दोहन करने वाले कर देते हैं। ऐसे में धरती पर प्यासी नदियां गंगा के भागीरथ का इंतजार कर रही हैं। इस कलयुग में भी जल संकट से उबारने के लिए सम्भल तहसील के तत्कालीन एसडीएम दीपेंद्र यादव ने डीएम अविनाश कृष्ण  सिंह  के निर्देश पर लगभग 40 किमी सोत नदी की खोदाई कराके भागीरथ की भूमिका निभाई। उनकी इस कवायद से पिछले वर्ष सोत नदी में वर्षा का काफी जल आया। लघु ¨सचाई विभाग की मानें तो प्रत्येक वर्ष वर्षा के जल का संचयन सोत नदी के जरिए होता है तो इस क्षेत्र के जल स्तर में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकता है। जिले से पतित पावनी गंगा समेत तीन नदियां गुजरती है। लेकिन गंगा को छोड़कर बाकी नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं। सोत नदी का तो अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। जिन स्थानों से होकर नदी गुजरती हैं वहां पर सूखा होने के कारण रास्ता बन गया है। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही थी। पिछले वर्ष जिला अधिकारी अविनाश कृष्ण ¨सह के निर्देश पर एसडीएम दीपेंद्र यादव ने 15 जून से नदी की खोदाई का कार्य आरंभ कराया। इस कार्य को लेकर उन्होंने दृढ़ इच्छा के साथ सबसे पहले सोत नदी पर हुए अवैध कब्जों को हटवाया जहां बड़े-बड़े असरदार भू माफियाओं से सीधा मुकाबला करना पड़ा। जुलाई तक चलने वाले इस कार्य को लेकर बड़ा जागरूकता अभियान चला जिसमें बड़े-बड़े लोगों ने दान देते हुए सहयोग किया। 

जिले में 45-50 किमी लंबी है सोत नदी

जनपद से करीब 45-50 किलोमीटर होकर गुजरने वाली सोत नदी प्राचीन है। बुजुर्ग बताते हैं कि 40 वर्ष पहले तक यह नदी वजूद में थी। लेकिन धीरे धीरे लोगों ने अवैध कब्जे जमा लिए और प्राचीन सोत नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया। जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाते हुए नदी पर हुए अवैध कब्जों को हटाया और पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। इसके लिए जन सहयोग मिला और लोगों ने प्रशासन का हौसला बढ़ाया।

सीडीओ ने भी जल शक्ति अभियान को बनाया सफल 

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जल संचयन को लेकर जारी दिशा निर्देशों के अंतर्गत विगत वर्ष से जिले में अभियान जारी है। पिछले वर्ष मुख्य विकास अधिकारी उमेश कुमार त्यागी ने जिले की सभी ग्राम पंचायतों में अभियान चलाकर सोक पिट का बड़े स्तर पर कार्य कराया था। प्रत्येक ग्राम पंचायत को कम से कम 10 सोक पिट बनाने का लक्ष्य दिया गया जबकि 100 से अधिक ग्राम पंचायतों ने 10 से लेकर 20 तक सोक पिट बनाए जो कि नल से निकलने वाले जल का बेहतर तरीके से संचयन करते हैं। जिले में अब तक पांच हजार से अधिक सोक पिट का निर्माण किया जा चुका है। 

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