Panchayat Election 2021 : खानदान और जाति के फेर में फंसे हैं मुरादाबाद के मतदाता, व‍िकास नहीं है मुद्दा

पंचायत चुनाव में विकास के मुद्दे में कोई दम नहीं है। मतदाता खानदान और जाति-बिरादरी के फेर में बुरी तरफ फंसा हुआ है। नेता भी यही चाहते हैं ताकि उनसेेकोई सवाल न करे। विकास की बात होने लगी तो तमाम नेता ऐसे हैं जिनको पसीना छूटने लगेगा।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 07:55 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 07:55 AM (IST)
Panchayat Election 2021 : खानदान और जाति के फेर में फंसे हैं मुरादाबाद के मतदाता, व‍िकास नहीं है मुद्दा
कौड़ी-समोसे बेचने वालों के ठेलों पर भीड़ लगी थी।

मुरादाबाद, जेएनएन। पंचायत चुनाव में विकास के मुद्दे में कोई दम नहीं है। मतदाता खानदान और जाति-बिरादरी के फेर में बुरी तरफ फंसा हुआ है। नेता भी यही चाहते हैं ताकि उनसेे कोई सवाल न करे। विकास की बात होने लगी तो तमाम नेता ऐसे हैं, जिनको पसीना छूटने लगेगा। इसीलिए हर गांव में नेता मतदाताओं को खानदान और जाति-बिरादरी से एक कदम आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं। हाल यह है कि जिसका खानदान जितना बड़ा है, वह उतना ही मजबूत दावेदार माना जा रहा है।

जागरण की टीम ने पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र की ग्राम पंचायत खजूर सराय में मतदाताओं के बीच जाकर बात की। इस दौरान यही बात सामने आई कि मतदाता को विकास परवाह नहीं है। इस बार का चुनाव भी जाति-बिरादरी के आधार पर ही होना है। यह गांव नगर पंचायत अगवानपुर से करीब दो किलोमीटर आगे कांवड पथ पर बसा है। इसलिए जिला मुख्यालय से कनेक्टिविटी को लेकर भी कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन, विकास की बात करें तो यहां तमाम समस्याएं हैं। गांव की सड़कों का हाल भी बुरा है। गांव में प्रवेश करने से पहले चौराहे पर पकौड़ी-समोसे बेचने वालों के ठेलों पर भीड़ लगी थी। सब चुनावी चर्चा कर रहे थे। प्रधान पद के दावेदार इंतजार हुसैन के भाई मुहम्मद आरिफ से मुलाकात हुई। उनका कहना था कि दस साल से हमारा परिवार प्रधानी का चुनाव लड़ रहा है। पिछड़ी दफा हमारे वालिद दूसरे नंबर पर रहे थे। इस बार भी कोशिश कर रहे हैं। गांव का विकास नहीं हुआ। लेकिन, यहां के मतदाता आज भी फैसला करने में जाति-बिरादरी और खानदान के बीच ही फंसे हुए हैं।

अब मतदाता किसी से बुराई नहीं लेना चाहता है। इसलिए सबको जिताता रहता है। नेताओं की तरह ही वादे भी करता है। अंत में खानदान और बिरादरी के नाम पर वोट डाल आता है।

मुहम्मद खालिद अशरफ

मेरी पत्नी की भाभी निवर्तमान प्रधान हैं। उनके भाई आजाद हुसैन फिर से चुनाव मैदान में हैं। गांव में सबसे बड़ा उनका ही खानदान है। इसलिए दावेदार हैं, विकास भी कराया है।

साबिर हुसैन

मैं तो जनसेवा केंद्र के माध्यम से लोगों की सेवा करता हूं। सियासत में दखल नहीं है। लेकिन, चाहता यही हूं कि गांव में शिक्षा के लिए इंटर कॉलेज तक की व्यवस्था हो, यह मुद्दा भी बने।

मुहम्मद सादिक

मैंने अपने कार्यकाल में विकास कराया। सड़कें बनवाने का काम किया। गांव में ही तीन मदरसों का संचालन करके बच्चों को शिक्षा दिलाने का काम कर रहा हूं। विकास ही मुद्दा होना चाहिए।

जाफर अली, पूर्व प्रधान

गांव के लोगों को ऐसा प्रधान चुनना चाहिए जो विकास के लिए काम करे। सड़कों के साथ गांव में बेटियों की पढ़ाई के लिए कम से कम इंटर कॉलेज खुलवाने के लिए प्रयास भी कर सके।

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