बाढ़ से नहीं होगी दिक्कत, तटबंध का सर्वेक्षण पूरा, मॉडल स्टडी को भेजा गया रिकार्ड

मुरादाबाद (रईस शेख) : रामगंगा तटबंध सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो गया है। बाढ़ खंड अनुभाग ने नदी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 08:05 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 08:05 AM (IST)
बाढ़ से नहीं होगी दिक्कत, तटबंध का सर्वेक्षण पूरा, मॉडल स्टडी को भेजा गया रिकार्ड
बाढ़ से नहीं होगी दिक्कत, तटबंध का सर्वेक्षण पूरा, मॉडल स्टडी को भेजा गया रिकार्ड

मुरादाबाद (रईस शेख) : रामगंगा तटबंध सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो गया है। बाढ़ खंड अनुभाग ने नदी का सेक्शन प्लान समेत अन्य अभिलेख भी सर्वेक्षण टीम को मॉडल स्टडी के लिए भेज दिए हैं। अब प्रोजेक्ट का नक्शा बनाने की तैयारी है। बाढ़ रोकने के लिए किस स्थान पर क्या आवश्यकता है, इसके लिए प्लान तैयार किया जाएगा। रामगंगा में हैं अनेक मोड़

रामगंगा में अनेक मोड़ हैं। कई जगह बसावट तीन-चार सौ मीटर तक नदी की धार में हैं। विवेकानंद से कटघर पुल तक 12.60 किमी. क्षेत्र तटबंध निर्माण में चुनौतियों भरा है। बाढ़ खंड का मंसूबा चुनौतियों का सामना करते हुए तटबंध का निर्माण कराना है। इस बाबत विभाग ने 24 अगस्त, 2018 की बैठक में अपनी राय भी प्रस्तुत कर दी है। प्लास्टिक की दीवार

रामगंगा किनारे 2012-13 में प्लास्टिक की दीवार बनाने का मंसूबा बनाया गया था। पोली बैग व प्लास्टिक बैग के नमूने मंगाने पर गौर किया गया, लेकिन लागत बढ़ने से ये मंसूबा भी फेल हो गया। शुरुआती दौर में एक किमी. दीवार तैयार करने का मंसूबा बनाया गया था। सर्वेक्षण

कुमार सर्वे कानपुर ने तटबंध का सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। प्रथम सर्वेक्षण जून व दूसरा जुलाई में कराया जा चुका है। विभाग ने 2010 से अब तक का रिकार्ड भी स्टडी टीम को सौंप दिया है। क्या है मॉडल स्टडी?

मॉडल स्टडी तीन विभागों की टीम है, जो सर्वेक्षण के हर पहलू पर गौर कर अपनी राय सरकार को भेजती है। टीम को प्रोजेक्ट में संशोधन का भी अधिकार है। इस टीम में आरआरआई 'इरिगेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट' आईआईटी रुड़की व केंद्रीय जल आयोग के इंजीनियर शामिल होते हैं। अधिकार

मॉडल स्टडी टीम कार्य के प्रति सचेत रहती है। कार्य को कैसे और कम लागत में कराया जाए? कौन बेहतर कार्य कर सकता है, ये उसके अधिकार क्षेत्र में होता है। तैयार किया जाएगा प्रोजेक्ट : अधिशासी अभियंता

रामगंगा तटबंध का सर्वेक्षण पूरा हो गया है। विभाग ने आकड़े भी भेज दिए हैं। मॉडल स्टडी के बाद प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा।

-मनोज कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड फिर जागी उम्मीद, टल जाएगा बाढ़ का खतरा

देर से ही सही, लेकिन बाढ़ के दंश से निजात मिलने की पहल शुरू हो गई है। कुछ उम्मीदें भी जगी हैं। फिलहाल, आठ साल में बाढ़ की विभीषिका झेल चुके शहरवासियों के जख्मों पर मरहम लगाने के प्रयास दूसरी बार शुरू किए गए हैं। सरकारी मशीनरी ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाया तो आने वाले वक्त में मकान और फसलें बर्बाद नहीं होंगी। हर शख्स बाढ़ के खौफ से महफूज होगा। रामगंगा में उफान आने के बावजूद महानगर की एक भी कालोनी बाढ़ की चपेट में नहीं आएगी। अलबत्ता, रामगंगा तटबंध निर्माण को अमलीजामा पहनाने में डेढ़-दो साल का वक्त लग सकता है।

सितंबर, 2010 में रामगंगा में आई बाढ़ का मंजर याद आते ही शहर के बाशिदे खौफजदा हो जाते हैं, इस बार भी यही हुआ। जलस्तर बढ़ने से लोगों को बर्बादी का मंजर याद आ गया। किसी ने शासन को कोसा तो किसी ने व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए? कइयों ने सरकार की नाकामी की दुहाई दी। यानी अगस्त के आखिरी सप्ताह से सितंबर के प्रथम सप्ताह तक जनपद की आधी से अधिक आबादी ने बाढ़ की विभीषिका झेली। तटबंध की शुरुआत

2010 में बाढ़ आने से लगभग सौ करोड़ रुपये संपत्ति एवं फसलें बर्बाद हुई थीं। तब बसपा शासन ने नदी किनारे तटबंध का निर्माण कराने का फरमान जारी किया था। आदेश मिलते ही बाढ़ खंड महकमा हरकत में आया। तटबंध का डिजाइन तैयार होने के बाद जिला प्रशासन ने भी स्वीकृति दे दी। प्रोजेक्ट अस्वीकृत

रामगंगा किनारे 12.60 किमी. तटबंध निर्माण के लिए सौ करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। स्वीकृति, सूबे की सरकार ने भी दे दी। बाद में प्रोजेक्ट को गंगा फ्लड बोर्ड पटना भेजा गया। खामिया होने पर बोर्ड ने अस्वीकृत कर दिया। ये हैं खामिया

गंगा फ्लड बोर्ड ने तटबंध बनाने में मिट्टी के उठान व भरान पर आने वाली लागत को अधिक बताते हुए प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया। दूसरे रामगंगा की बीच धार में तटबंध बनाने को बोर्ड ने अनुचित करार दिया। रामगंगा में बसावट

सरकारी दावे चाहे जो भी हों, लेकिन रामगंगा में बाढ़ का मुख्य कारण नदी की धार में बसावट है। लगभग 35-40 हजार परिवार कंकरीट के महल बना कर बसे हैं। कई कालोनियों का उद्घाटन तत्कालीन नगर विकास मंत्री द्वारा किया गया था।

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