वाहनों की नीलामी न होने से सम्भल के थाने बन गए कबाड़खाने

सम्भल के थानों का हाल इन दिनों कबाड़खाने की तरह हो चुका है। सैकड़ों दुपहिया वाहनों के साथ ही लग्जरी वाहन यहां कंडम हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 02:01 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 02:01 PM (IST)
वाहनों की नीलामी न होने से सम्भल के थाने बन गए कबाड़खाने
वाहनों की नीलामी न होने से सम्भल के थाने बन गए कबाड़खाने

मुरादाबाद। सम्भल के थानों का हाल इन दिनों कबाड़खाने की तरह हो चुका है। सैकड़ों दुपहिया वाहनों के साथ ही लग्जरी वाहन यहां कंडम हो रहे हैं। धूप, धूल और बरसात झेलने वाले इन वाहनों की हालत खराब हो चुकी है। इनमें भी लावारिस वाहनों से ज्यादा संख्या मुकदमों में जब्त वाहनों की है जिनके निस्तारण न होने से उनकी सूरत ही बदल गई है।

कोतवाली, नखासा, हयातनगर थाने में करीब एक हजार से अधिक वाहन हो रहे हैं कंडम कोतवाली, नखासा, हयातनगर थाने में ही करीब एक हजार से अधिक वाहन थाना परिसर की आधी जगह घेरे पड़े हैं। कुल वाहनों में से सत्तर फीसदी कबाड़ा हो चुके हैं। यह स्थिति तब है जबकि कुछ महीने पहले ही यहां कुछ वाहनों की नीलामी हुई थी। आधे से ज्यादा वाहनों के मुकदमे लंबित हैं। किसी में एफआर तो किसी में चार्जशीट नहीं लगी है। कई मामले कोर्ट में ट्रायल पर हैं। इनके निस्तारण के बाद ही किसी का मालिकाना हक या फिर नीलामी के लिए शासकीय संपत्ति घोषित होने की कार्रवाई हो सकेगी। नखासा में दर्जनों बाइक मिट्टी में आधी धंसी हैं और इन पर घास उग आई है। वहीं कोतवाली में पकड़ी गई चोरी की दर्जन भर से अधिक लग्जरी गाड़ियों की हालत भी बिगड़ती जा रही है। तीन श्रेणियों में दर्ज हैं ये वाहन यह वाहन मालखानों में तीन श्रेणी में दर्ज हैं। इनमें लावारिस वाहन हैं जो पुलिस को चे¨कग और अन्य कार्रवाई के दौरान मिलते हैं और फिर इनके मालिक का पता नहीं लगता। दूसरे लादावा श्रेणी के हैं। इनमें वाहन सीज करते वक्त मालिक या चालक मौजूद होता है और बाद में कागजात दिखाने की बात कहकर चला जाता है। फिर न वह लौटकर आता है और न ही सही मालिक का पता लगता है। तीसरी तरह के वाहन एक्सीडेंट या अन्य मुकदमों से जुड़े होते हैं। ये कोर्ट से निस्तारण के बाद ही रिलीज हो जाते हैं। ऐसे होता है निस्तारण

पुलिस वाहनों की संख्या के आधार पर संबंधित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट से नीलामी का अनुरोध करती है। मजिस्ट्रेट के निर्देश पर पुलिस लाइन का तकनीकी विभाग मुआयना करके इन वाहनों की कीमत तय करते हैं। यहीं से नीलामी की न्यूनतम बोली तय होती है। लावारिस वाहनों को छह महीने के अंदर नीलाम करने की प्रक्रिया है।

यह कहना है सीओ का

सीओ सुदेश कुमार कहते हैं कि वाहनों की कुछ दिन पहले नीलामी हुई थी। सभी थानों के प्रभारियों को निर्देश दिया कि माल मुकदमाती वाले वाहनों को अलग रखा जाए। लावारिस वाहनों के साथ कंडम हो रहे वाहनों को अलग रखने के बाद निस्तारण कराया जाए।

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