कृष्णप्रिया को ब्याहने बरात लेकर चले नंदी, ढोल-नगाड़े पर नृत्य करते बरातियों को देखने उमड़ा हुजूम Moradabad news

नंदी और कृष्णप्रिया के विवाह को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। विवाह को देखने के लिए लोग काफी संख्या में भगवती गो पुनर्वास आश्रम पहुंच रहे हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 03 Nov 2019 01:09 PM (IST) Updated:Sun, 03 Nov 2019 01:09 PM (IST)
कृष्णप्रिया को ब्याहने बरात लेकर चले नंदी, ढोल-नगाड़े पर नृत्य करते बरातियों को देखने उमड़ा हुजूम Moradabad news
कृष्णप्रिया को ब्याहने बरात लेकर चले नंदी, ढोल-नगाड़े पर नृत्य करते बरातियों को देखने उमड़ा हुजूम Moradabad news

मुरादाबाद, जेएनएन। मुरादाबाद में गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर नंदी दूल्हा बन कर कृष्णप्रिया गाय से ब्याह रचाने जा रहे हैं। गो संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए श्री भगवती गो पुनर्वास आश्रम की ओर से आयोजित समारोह में सभी रस्में सामान्य विवाह की तरह निभाई जा रही हैं। ढोल नगाड़े के साथ एमआइटी इंस्टीट्यूट से बरात रवाना हो गई है। घराती और बराती पारंपरिक वेशभूषा में दिख रहे हैं। बरात में ढोल नगाड़े भी साथ में हैं। नंदी को दूल्हा और गाय को दुल्हन की तरह सजा देखने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ रहा है। अनूठे विवाह समारोह के सूत्रधार आश्रम के संस्थापक दीपक वाष्र्णेय ने बताया कि बरात एमआइटी से मोरा की मिलक स्थित श्री भगवती गो पुनर्वास आश्रम पहुंचेगी। गो रक्षा विभाग विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री वासुदेव पटेल भी विवाह समारोह में शामिल होंगे।

 

कन्या दान की जगह होगा गाय का दान 

आचार्यों की देखरेख में होने वाले विवाह में वधू पक्ष गाय दान करेगा। वहीं विवाह के बाद विदाई की रस्म भी होगी। घराती और बराती के लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई है।  

 

गोपाष्टमी का है विशेष महत्व 

गोपाष्टमी का सनातन परंपरा में विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार इस तरह के विवाह सतयुग में भी होते रहे हैं। मान्यता है कि श्री कृष्ण ने जिस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के प्रकोप से बृज वासियों की रक्षा की थी। उसके आठवें दिन ही इंद्र भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में आ गिरे थे। इससे बृज वासियों समेत कई गायों की भी रक्षा हुई थी। इस अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

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