रंगमंच दिवस पर विशेष : साकार होती जीवन की कहानी Moradabad News

27 मार्च को प्रतिवर्ष रंगमंच दिवस मनाया जाता है यदि मुरादाबाद में रंगमंच की स्थिति देखी जाए तो यहां भी एक समृद्ध परंपरा रही है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 27 Mar 2020 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 27 Mar 2020 07:30 AM (IST)
रंगमंच दिवस पर विशेष : साकार होती जीवन की कहानी Moradabad News
रंगमंच दिवस पर विशेष : साकार होती जीवन की कहानी Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। 27 मार्च को प्रतिवर्ष रंगमंच दिवस मनाया जाता है, यदि मुरादाबाद में रंगमंच की स्थिति देखी जाए तो यहां भी एक समृद्ध परंपरा रही है। लगभग 100-125 वर्ष पहले महाराज किशन कपूर और उनके साथियों द्वारा नाटक मंचन होता था। बाहर से नाटक मंडली बुलवाई जाती थी। मा. फिदा हुसैन नरसी भी उनके संपर्क में आकर पारसी रंगमंच सम्राट बने।

1945 के लगभग रामसिंह चित्रकार, बलवीर पाठक, डॉ. ज्ञान प्रकाश सोती, कामेश्वर सिंह आदि रंगमंच पर सक्रिय हुए। सोती के निर्देशन में पृथ्वीराज की आंखें नाटक प्रसिद्ध हुआ। बलवीर पाठक एक अच्छे कलाकार तथा निर्देशक थे, उन्होंने सती वेश्या, ख्वावे शाहजहां, जिओ और जीने दो, भारत महान, सुनहरी किरणें, कफ्र्य सख्त कफ्र्यू, लहू का रंग एक है आदि में अभिनय और निर्देशन किया। आकाशवाणी रामपुर द्वारा नाटक लेखन प्रतियोगिता में उनका नाटक कफ्र्य सख्त कफ्र्य प्रथम रहा था। आदर्श कला संगम द्वारा डॉ. कमल वशिष्ठ के निर्देशन में त्रिशंकु, एक और द्रोणाचार्य, बलदेव खटिक आदि नाटकों साथ ही मा. फिदा हुसैन नरसी के निर्देशन में तुर्की हूर, वीर अभिमन्यु, भाई- बहन का मंचन किया, जिसमें बलवीर पाठक, धन सिंह धनेंद्र, मदन कबीर, दिनेश टंडन, कमलेश कुमार, दीपा शर्मा, अलका अग्रवाल, अर्चना, सविता तथा मैंने भी अभिनय किया। प्रयास संस्था द्वारा धन सिंह धनेंद्र और महेश चन्द्र के निर्देशन में महाभोज, अंधेर नगरी चौपट राजा बकरी आदि नाटकों का मंचन हुआ।

मदन कबीर के निर्देशन में सिंहासन खाली है नाटक मंचन हुआ। वर्तमान में राजेश रस्तोगी, पंकज दर्पण, ओमप्रकाश ओम, राकेश बलोदी, राजेश सक्सेना, आरएन वाजपेई आदि सक्रिय हैं। इस समय लघु तथा नुक्कड़ नाटकों का ही मंचन हो रहा है लेकिन, वह भी कम।

डॉ. प्रदीप शर्मा, वरिष्ठ रंगकर्मी 

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