कतरा-कतरा पिघल रही हूं मैं, तेरी यादों में जल रही हूं...
मेला गणेश चौथ के नटराज मंच पर आयोजित मुकाबला ए कव्वाली ने श्रोताओं को देर रात बांधे रखा। एक के बाद एक आशिकाना और सूफियाना कलाम ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सम्भल, जेएनएन। चन्दौसी में मेला गणेश चौथ के नटराज मंच पर आयोजित मुकाबला ए कव्वाली ने श्रोताओं को देर रात बांधे रखा। एक के बाद एक आशिकाना और सूफियाना कलाम ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। देर रात तक कार्यक्रम चलता रहा। एक के बाद एक कव्वालों ने शायरी सुनाई तो लोग तालिया बजाते हुए नजर आए।
हिन्दू मुस्लिम एक साथ रहें, ऐसा हिन्दुस्तान बना दे या अल्लाह
कार्यक्रम का शुभारंभ एसडीएम महेश प्रसाद दीक्षित और सीओ पूनम मिश्रा ने किया। सबसे पहले कानपुर से आई आलिया इंडियन ने सुनाया जर्रे को चट्टान बना या अल्लाह, वहसी को इंसान बना दे या अल्लाह, हिन्दू मुस्लिम एक साथ रहें, ऐसा हिन्दुस्तान बना दे या अल्लाह। हवेली झोपड़ी सबका मुकद्दर फूट जाएगा, अगर हाथों से दामाने शराफत छूट जाएगा, खुदा ए पाक का घर, या हो राम का मंदिर इमारत कोई भी हो तो भारत टूट जाएगा।
अगर तुम पहले मिल जातीं तो हम बर्बाद क्यूं होते
दिल्ली से आई नाजमा परवीन ने सुनाया कतरा-कतरा पिघल रही हूं मैं, तेरी यादों में जल रही हूं मैं, कितने काटे हैं मेरी राहों में, हौसला देख चल रही हूं मैं, ख्वाहिशों के हसीन पङ्क्षरदों के, पर कतरना बहुत जरूरी हैं, ङ्क्षजदगी को संवारने के लिए, इश्क करना बहुत जरूरी है, सजर से उड़ते हुए पंक्षियों की तरह, हम आबाद क्यूं होते, अगर तुम पहले मिल जातीं तो हम बर्बाद क्यूं होते।
नजर से नजर को मिलाकर देखो, नए लोगों से रिश्ता बनाकर देखो
आगरा से आई नेहा नाज ने कुछ यू सुनाया, वो सितम पर सितम कर रहा है, जिसकी खातिर जमाना भुलाया, वो जो बसता था सांसों में मेरी, आज पराया हो गया है, नजर से नजर को मिलाकर देख, नए लोगों से रिश्ता बनाकर देखों, आश्मा सिमट आएगा, तुम्हारी वांहों में नेहा को अपने दिल से लगा के देख आदि कव्वाली व गीत सुनाएं।