मुरादाबाद, लखनऊ, दिल्ली एनसीआर तक में खपाए जाते थे नकली नोट, जांच में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
घनी आबादी में रात के समय लोग पांच सौ के नोटों पर कम ध्यान देते हैं इसलिए यह आसानी से खप रहे थे। केवल पांच सौ के नोट ही गिरोह छापता था। एक आरोपित नजारूल ईंट भट्टे पर कार्य कर रहा था। वह मजदूरों में ही नोट खपा रहा था।
मुरादाबाद, जेएनएन। नकली नोटों का कारोबार करने वाला गिरोह स्थानीय नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी जाली करेंसी को खपाने का काम करता था। मुरादाबाद, लखनऊ, दिल्ली एनसीआर की घनी आबादी में गिरोह के सदस्य करेंसी को आसानी के साथ खपा देते थे। इसके अलावा गरीब भी आसानी से उनका शिकार बन जाते थे। दिन में यह गिरोह गांव के बाजार तो रात के समय शहर के मार्केट में नोटों को खपाने की कार्रवाई करता था। करीब दो सालों से गिरोह सक्रिय है और अब पुलिस के हत्थे चढ़ पाया है।
अमरोहा शहर कोतवाली पुलिस ने जाली करेंसी छापने वाले गिरोह के सदस्यों नजारुल हसन, नफीस अहमद सैफी, अरविंद कुमार व कामिल तेली से पूछताछ की तो कई रहस्यों का पर्दाफाश हो गया। पुलिस अधीक्षक सुनीति की बात पर यकीन करें तो यह गिरोह करीब दो साल से सकि्रय था और नकली नोट छाप रहा था। कार के जरिए ही यह नोटों को लेकर जाता था। इसके बाद गिरोह के सदस्य मुरादाबाद, गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, लखनऊ आदि बड़े शहरों के अतिव्यस्त बाजारों में रात के पहर में नोटों को खपाने का कार्य करते थे।
नफीस अहमद है गिरोह का सरगना
अमरोहा एसपी के मुताबिक जनपद मुरादाबाद के थाना कुंदरकी क्षेत्र के गांव कमालपुर फतिहाबाद निवासी नफीस अहमद सैफी इस गिरोह का सरगना है। वह दसवीं पास है। आसपास के लोग उसे डॉक्टर नफीस के नाम से जानते हैं। नफीस वर्ष 2018 में नोएडा में भी जाली करेंसी के साथ पकड़ा गया था। अन्य सभी भी पुलिस ने पकड़कर जेल भेजे थे। अब उसने अमरोहा को नोट छापने का नया अड्डा बनाया था।
शहर कोतवाली पुलिस ने सराहनीय कार्य किया है। इसलिए अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश करने वाली टीम को दस हजार रुपये पुरस्कार की घोषणा की गई है।
सुनीति, एसपी
यह भी पढ़ें
सात लाख की जाली करेंसी के साथ चार गिरफ्तार, नकली नोट छापने के उपकरण बरामद