Azam khan Release: आजम की रिहाई के जश्न में न अखिलेश न मुलायम का नाम, गूंजा सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद

आजम खां सवा दो साल बाद जेल से रिहा हो गए। उनके रिहाई जश्न में आजम समर्थकों का दर्द साफ झलक रहा था। नेताजी उनसे जेल में मिलने नहीं पहुंचे। इसलिए उनके जिंदाबाद के नारे भी नहीं लगाए।

By Vivek BajpaiEdited By: Publish:Fri, 20 May 2022 07:58 PM (IST) Updated:Fri, 20 May 2022 07:58 PM (IST)
Azam khan Release: आजम की रिहाई के जश्न में न अखिलेश न मुलायम का नाम, गूंजा सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद
आजम खां सवा दो साल बाद जेल से रिहा हुए हैं।

रामपुर, जेएनएन। आजम खां सवा दो साल बाद जेल से रिहा हो गए। उनके रिहाई जश्न में आजम समर्थकों का दर्द साफ झलक रहा था। नेताजी उनसे जेल में मिलने नहीं पहुंचे। इसलिए उनके जिंदाबाद के नारे भी नहीं लगाए। सपा मुखिया अखिलेश यादव का भी किसी ने नाम नहीं लिया। सिर्फ आजम खां और सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद के नारे लगते रहे। यह पहला मौका था जब आजम खां के किसी जश्न में नेताजी का नाम न लिया गया हो।

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एक दौर था जब रामपुर में नेताजी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। उन्हें विदेशी बग्‍घी पर घुमाया गया। शहर की तमाम सड़कों पर फूल बरसाए गए। यूनिवर्सिटी का 18 दिसंबर 2006 को आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी का शिलान्यास हुआ तब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे। वह 52 मंत्रियों के साथ रामपुर आए थे। जब इस यूनिवर्सिटी का शुभारंभ हुआ तब अखिलेश मुख्यमंत्री थे, वह भी अपनी पूरी सरकार के साथ रामपुर आए थे। आजम खां के बेटे अदीब आजम की शादी में भी पूरी सरकार रामपुर में थी, लेकिन इस बार आजम की रिहाई के जश्न में न तो नेताजी थी और न ही अखिलेश यादव और न ही उनका कोई प्रतिनिधि। इसका दर्द आजम समर्थकों में झलक रहे थे। इसीलिए वह मुलायम सिंह या अखिलेश यादव की जिंदाबाद नहीं कर रहे थे। तपती धूप में पसीने से तर-बतर हजारों कार्यकर्ता सिर्फ आजम खां और सुप्रीम कोर्ट की जिंदाबाद कर रहे थे।

सपा से बढ़ रही दूरियां: आजम खां की समाजवादी पार्टी से दूरियां बढ़ती जा रही हैं, ऐसे संकेत 10 अप्रैल को ही मिल गए थे। उस दिन आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधा था। कहा था कि अब्दुल का ही मकान टूटेगा, लेकिन मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव बनेंगे। परेशान अब्दुल का हाल भी नहीं जानेंगे। अब उन्हें हमारे कपड़ों से भी बदबू आती है।

उनके मीडिया प्रभारी के बयान के बाद राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी आजम खां के घर पहुंचे थे। कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम आजम खां के घर भी आए और सीतापुर जेल में जाकर आजम खां से भी मिले। शिवपाल यादव भी सीतापुर जेल में आजम खां से मिले थे। शुक्रवार की सुबह भी शिवपाल सबसे पहले सीतापुर जेल पहुंचे और आजम खां से मुलाकात की। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आजम खां और शिवपाल सिंह यादव कोई मोर्चा बना सकते हैं। सपा समर्थकों की नाराजगी की एक वजह यह भी है कि मुलायम सिंह यादव (नेताजी) एक बार भी आजम खां से मिलने जेल नहीं गए, जबकि अखिलेश यादव एक बार ही मिले। दमदार तरीके से आजम खां के लिए आवाज भी नहीं उठाई। संसद में भी मुद्दा नहीं उठाया। शिवपाल यादव ने तो साफतौर पर कह दिया कि नेताजी को तो संसद में भी मुद्दा उठाना चाहिए था और मोदी जी से भी बात करनी चाहिए थी।

हालांकि आजम खां के बड़े भाई शरीफ अहमद खां का कहना है कि मुलायम सिंह और आजम खां के बीच बहुत मजबूत संबंध रहे हैं। दोनों ने मिलकर समाजवादी पार्टी बनाई है। इसलिए वह समाजवादी पार्टी नहीं छोड़ेंगे। हालांकि आजम खां ने इस बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने मीडिया से भी बात नहीं की।

आजम की रिहाई पर अखिलेश ने किया ट्वीट: आजम खां की रिहाई के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खां जी के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है। इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नए मानक दिए हैं। पूरा ऐतबार है कि वो अन्य झूठे मामलों-मुकदमों में बइज्जत बरी होंगे। झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने भी टवीट किया है, जिसमें लिखा है सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद।

शानू खां को गले लगाकर रो पड़े आजम: जेल से निकलते ही आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू भी आजम खां से मिलने पहुंच गए। उन्हें करीब दो मिनट तक गले लगाकर आजम खां रोते रहे। शानू खां एक सप्ताह पहले ही प्रशासन ने जिला बदर किया है। इसलिए वह रामपुर से बाहर रह रहे हैं। शुक्रवार की सुबह वह सीतापुर जेल पहुंच गए और आजम खां से मिले। आजम खां ने उन्हें देखते ही गले लगा लिया और दो मिनट तक रोते रहे।

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