बंदी को भर्ती करने पर बखेड़ा

मुरादाबाद । जिला अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार को सुबह एक बंदी को भर्ती करने को लेकर बखेड़ा खड़ा हो ग

By Edited By: Publish:Thu, 05 Mar 2015 01:21 AM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2015 01:21 AM (IST)
बंदी को भर्ती करने पर बखेड़ा

मुरादाबाद । जिला अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार को सुबह एक बंदी को भर्ती करने को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया। दो डॉक्टरों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया। दोनों में जमकर कहासुनी हुई। लोगों की भीड़ जमा हो गई। बाद में चिकित्साधीक्षक डॉ. बीर सिंह ने बंदी को भर्ती कराया।

बुधवार सुबह से इमरजेंसी में डॉ. बृजेश चौहान की ड्यूटी थी। करीब दस बजे दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल से इलाज करा कर लौट रहे मुरादाबाद जिला कारागार के विचाराधीन बंदी अख्तर रजा को लाया गया, मगर बंदी के साथ कागज न होने के कारण मौजूद डॉ. चौहान ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इसी बीच नेत्र सर्जन डॉ. अब्दुल कादिर अंसारी इमरजेंसी में पहुंच गये। उन्होंने डॉ. चौहान से अख्तर को भर्ती न करने का कारण पूछा। इसी बात पर दोनों में कहासुनी होने लगी। कर्मचारियों ने इसकी सूचना चिकित्साधीक्षक डॉ. बीर सिंह को दी। डॉ. सिंह भी इमरजेंसी में पहुंच गये। उन्होंने दोनों डॉक्टरों को शांत कराया। बाद में बंदी को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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दस दिन पहले ही रेफर किया गया था अख्तर

विचाराधीन कैदी अख्तर रजा को दस फरवरी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसने सीने में दर्द की शिकायत की थी। कार्डियोलाजिस्ट डॉ. वीके खरे उसका इलाज कर रहे थे। 22 फरवरी को डॉ. खरे ने उसे हायर सेंटर के लिए रेफर किया। परिजन उसे मेरठ मेडिकल कालेज से रेफर कराकर दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया था। मंगलवार की शाम उसे स्वस्थ बताते हुये डिस्चार्ज कर दिया गया था। बुधवार को सुबह पुलिसकर्मी उसे जेल में दाखिल करने ले जा रहे थे। फिर से अख्तर के पैरों में सूजन आ गई। उसे जिला अस्पताल लाया गया।

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'मैं किसी की पैरवी को नहीं गया था। मेरा बस इतना कहना था कि इमरजेंसी में कोई भी मरीज आए तो उसे पहले प्राथमिक चिकित्सा तो मिलनी चाहिये, कागजी कार्रवाई इसके बाद भी हो सकती है। इतना कहने पर ही डॉ. चौहान जोर-जोर से बोलने लगे।

- डॉ. अब्दुल कादिर अंसारी, नेत्र सर्जन, जिला अस्पताल

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'जिस वक्त बंदी को लाया गया उस वक्त मैं एक मरीज को देख रहा था, चूंकि ये मरीज दस दिन पहले ही अस्पताल से रेफर हुआ था, सो मैंने पुलिसकर्मियों से कागजात मांगे लेकिन पुलिसकर्मी व तीमारदार उसे भर्ती करने अड़ने लगे, डॉ. अंसारी भी उनकी तरफदारी करने लगे।

- डॉ. ब्रजेश सिंह चौहान, निश्चेतक, जिला अस्पताल

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'दोनों डॉक्टरों के बीच गलतफहमी हो गई थी, इसी को लेकर विवाद की स्थिति बनी, मैंने इमरजेंसी में पहुंचकर बंदी को भर्ती करा दिया, अब उसकी हालत में सुधार हो रहा है। हालत सुधरते ही उसे जिला कारागार भेज दिया जाएगा।

- डॉ. बीर सिंह, चिकित्साधीक्षक, जिला अस्पताल

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