सैनी समाज के 12 परिवारों ने अपनाया ईसाई धर्म

नागफनी की सैनी बस्ती में रहने वाले 12 परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Aug 2018 12:35 PM (IST) Updated:Fri, 03 Aug 2018 06:40 PM (IST)
सैनी समाज के 12 परिवारों ने अपनाया ईसाई धर्म
सैनी समाज के 12 परिवारों ने अपनाया ईसाई धर्म

मुरादाबाद (सुशील कुमार) : धार्मिक संगठनों की सक्रियता के बीच नागफनी की सैनी बस्ती में रहने वाले सैनी समाज के 12 परिवारों ने धर्म परिवर्तन कर मसीह समाज को अपना लिया है। मामला सामने आने पर सैनी समाज में आक्रोश है। समाज के लोगों ने पंचायत करके सभी परिवारों का बहिष्कार कर दिया है और इनसे संबंध रखने वालों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी तय किया है। इतना ही नहीं कालोनी की दुकानों से राशन और दूध तक देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पंचायत की इस धमकी के बाद चार परिवार बैकफुट पर आए और फिर सैनी समाज को अपना लिया है। मामला बढ़ने पर एसएसपी ने भी खुफिया विभाग से रिपोर्ट मांगी है। धर्म परिवर्तन करने वालों ने अपना धर्म छोड़ने की कोई खास वजह तो नहीं बताई, बस इतना जरूर कहा कि, ईसाई धर्म अपनाने से घर व परिवार की समस्याएं दूर हो गई हैं।

थाना नागफनी इलाके की इस बस्ती में केवल सैनी समाज के लोग ही रहते हैं। इनमें कुछ परिवार मसीह समाज की दुआ प्रार्थना में शामिल होने जाने लगे। धीरे-धीरे इनकी संख्या भी बढ़ती गई। साथ ही इन्होंने अपने रीती रिवाज और पूजा पाठ बंद कर दिए। घर से भगवान की फोटो और मूर्तिया तक हटा दीं। जब यह बात सैनी बिरादरी के लोगों को पता चली तो उन्होंने पहले इन परिवारों को समझाने का प्रयास किया। बात नहीं बनी तो बबलू सैनी और लाला सैनी ने जिलाध्यक्ष सीपी सिंह के नेतृत्व में पंचायत बैठाई। यहां भी इन लोगों ने पंचायत की बात मानने से इन्कार कर दिया। तब पंचायत ने इन परिवारों का पूर्ण सामाजिक बहिष्कार का निर्णय सुनाया। पंचायत में तय किया गया कि यदि बस्ती का कोई भी इनसे वास्ता रखता है तो उसे जुर्माना भुगतना पड़ेगा। पंचायत के निर्णय को बाकी सैनी समाज के लोगों ने स्वीकार किया है।

धर्म परिवर्तन करने वाले बोले-नहीं बदल सकते अपना निर्णय

धर्म परिवर्तन करने वाले परिवार की महिलाओं निर्मला, शाति, गुड्डी और दौलत का कहना है कि प्रार्थना में जाने से उनके परिजनों के कई गंभीर रोग ठीक हुए हैं। घर परिवार की बहुत सी परेशानियां दूर हो गईं। लिहाजा वे दुआ प्रार्थना में जाना नहीं छोड़ सकते। ऊपर वाला एक है हम भी उसे ही मानते हैं। अब चाहे उनका बहिष्कार हो या हुक्का पानी बन्द। इन्हीं परिवार की ग्रेजुएट पूजा का कहना है कि जब से प्रार्थना में जाना शुरू किया है सब कुछ अच्छा हो रहा है। जब हम दुआ करते हैं तो हमें महसूस होता है कि परमात्मा उनसे बात करता है। हमें रास्ता मिल जाता है। हम अपने परमेश्वर को नहीं छोड़ सकते।

एक साल से मसीह समाज के संपर्क में थे

सैनी समाज को छोड़कर मसीह समाज में आस्था रखने वाले बारह परिवारों के लिए पंचायत का फरमान जारी होने के बाद समाज के लोगों ने किनारा कर लिया है। सैनी समाज के लोगों ने इन परिवारों से बोलचाल तक बंद कर दी है। हालांकि उसका कुछ असर भी दिखाई दिया है। समाज के इस फरमान के बाद चार परिवारों ने सैनी समाज को ही अपनाने का निर्णय लिया है, जबकि आठ परिवारों ने पंचायत के फरमान को खारिज कर दिया है। उक्त आठ परिवारों के लोगों को सैनी समाज के लोगों ने अपनी नाव में बैठाकर जलभराव पार कराने पर भी रोक लगा दी है। नागफनी के सैनी मोहल्ले में 12 परिवार एक साल से मसीह समाज के संपर्क में थे। हर रोज चर्च कंपाउंड में जाकर प्रार्थना सभा में शामिल होते थे। पूरे समाज में इसे लेकर चर्चा बनी हुई थी। कोई भी इन परिवारों को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मामला उस समय उजागर हुआ, जब सैनी समाज के लोगों ने अपने घरों से देवी देवताओं की फोटो को बाहर कर दिया। मुख्य गेट पर प्रभु ईशु के पोस्टर चस्पा कर दिए। मामले को गंभीरता से लेकर पहले तो मोहल्ले के लोगों ने आपस में ही पंचायत कर उक्त परिवारों को समझाने की कोशिश की। उन्हें बेटे बेटियों की शादी तक का वास्ता दिया। कोई भी अपने निर्णय को वापस लेने को तैयार नहीं था। ऐसे में सैनी समाज के लोगों ने जिलाध्यक्ष सीपी सैनी से संपर्क किया। सीपी के नेतृत्व में एक धर्मशाला में आयोजित पंचायत में सैनी समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे। दूसरा धर्म अपनाने वाले लोगों को भी इस पंचायत का हिस्सा बनाया गया। जिलाध्यक्ष सीपी सैनी के मुताबिक, हमारे समाज के लोगों को लालच देकर बरगलाया जा रहा है। इस मामले को ऊपर स्तर तक उठाया जाएगा। सैनी समाज को तोड़ने की इस रणनीति को कदापि कामयाब नहीं होने देंगे।

समाज के लोगों ने किया समझाने का प्रयास

परिवारों को समझाने के लिए सैनी बिरादरी की बुलाई थी। जब ये परिवार नहीं माने तो इन परिवारों का पूर्ण सामजिक बहिष्कार और हुक्का पानी बन्द करने की दो टूक बात बोल दी गई है। जिलाध्यक्ष सैनी समाज सीपी सिंह का कहना है कि ये लोग अनपढ़ हैं और मसीह समाज इन्हें लालच देकर गुमराह करने का काम कर रहा है। मैं इसका विरोध करता हूं, जो इस प्रकार का कृत्य कर रहे है। उनके खिलाफ लिखित शिकायत करेंगे। धर्म नहीं उनका मन परिवर्तन हुआ

मसीह समाज के अनुयायी सागर कुमार का कहना है कि हमारे पास आने वाले सैनी समाज के लोग संगति करते है। दुआ करते भगवान का नाम लेते है। भले ही वो मसीह की प्रार्थना करें, आज भी सैनी समाज में ही है। मसीह समाज कहता है कि एक दूसरे से प्रेम करो। हमारे पास प्रार्थना के लिए पांच से छह परिवार आते है। सैनी समाज के लोगों ने भी मुझे फोन कर बताया था कि उनका विरोध चल रहा है। मसीह समाज एक समाज नहीं है, बाइबिल में लिखा है परमेश्वर प्रत्येक मनुष्य के लिए है। वो लोग भी सबके लिए प्रार्थना कर रहे है। उनका धर्म परिवर्तन नहीं मन का बदलाव हुआ है, जिनका मन बदल गया। समझो उन्होंने परमेश्वर को पा लिया। खुफिया विभाग ने तैयार की रिपोर्ट

मसीह धर्म से जुड़ने वाले परिवारों की खुफिया विभाग ने रिपोर्ट तैयार की है। समाज के लोगों से भी संपर्क किया जा रहा है। ताकि इस मामले में कोई भी बवाल न करें। एसएसपी जे रविन्दर गौड का कहना है कि यदि किसी को आपत्ति है तो कानून का सहारा लेकर मुकदमा दर्ज करा सकते है। वर्ष 1954 में पहली बार संसद में उठा

संसद में पहली बार इस मुद्दे को वर्ष 1954 में उठाया गया था। उस समय इस बिल का नाम भारतीय धर्मातरण (नियम और पंजीकरण) विधेयक। इस बिल को वर्ष 1960 में फिर से संसद में उठाया गया। अल्पसंख्यकों के विरोध की वजह से इस बिल का समर्थन नहीं मिल सका और यह बिल पास नहीं हो पाया। वर्ष 1968 में ओडिशा और मध्य प्रदेश में इससे जुड़े नियम बनाए गए। इन नियमों को मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अभियान और ओडिशा फ्रीडम ऑफ रिलीजियन एक्ट के नाम से जाना गया। इन कानूनों के तहत किसी को भी जबर्दस्ती उसके धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। सिर्फ उनकी आस्था के बाद ही यह कदम वैध माना गया। उसके बाद तमिलनाडु और गुजरात में भी इन नियमों को लाया गया। इन राज्यों में आईपीसी के तहत दंडात्मक करार दिया गया, जिसके तहत जबर्दस्ती धर्मातरण में तीन वर्ष की जेल और 20,000 रुपए का जुर्माना भी तय किया गया।

क्या कहती हैं लॉ कमीशन की सिफारिशें

भारतीय लॉ कमीशन को इस बात की जिम्मेदारी दी गई थी कि वह उन मुद्दों पर नजर रखे जिसके तहत जबर्दस्ती लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इस कमीशन की अहम सिफारिशें इस तरह से हैं

एक माह के अंदर धर्म परिवर्तन वाले व्यक्ति को अपने इलाके से संबंधित उस अधिकारी को एक उद्घोषणा पत्र भेजना होगा जिसके पास शादियों का रजिस्ट्रेशन करने की जिम्मेदारी है।

21 दिनों के अंदर धर्म परिर्वतन करने वाले व्यक्ति को इस दौरान पंजीकरण अधिकारी के सामने पेश होना होगा। यहा उसे उद्घोषणा पत्र में दी गई जानकारियों की पुष्टि करनी होगी।

लॉ कमीशन ने इस बात को साफ किया कि राज्यों में जहा कानूनी आधार पर धर्मातरण होते हैं इन सिफारिशों की कोई जरूरत नहीं होगी। जानिये यह तथ्य

सैनी समाज का वोट शहर में 60 हजार

सैनी समाजी की संख्या शहर में 2 लाख 40 हजार

chat bot
आपका साथी