पहले पति की बेवफाई, फिर बेटी की जुदाई
मुरादाबाद। पति की बेवफाई के बाद मासूम बेटी की जुदाई ने एक मां को तोड़कर रख दिया। मूलत: बिहार की युवती अपनी मासूम बेटी को पाने के लिए दर-दर भटक रही है। शिशु सदन ने उससे बेटी के जन्म का प्रमाण मांगा है। मां-बेटी के मिलन में सरकारी प्रक्रिया का रोड़ा लग गया है।
बिहार के भागलपुर जिले का एक गरीब परिवार पंजाब के जालंधर में बड़े किसान के यहां काम करता है। इनकी युवा बेटी पुष्पा भी मां-पिता के साथ ही काम करती थी। पुष्पा ने वहीं दर्जी की दुकान पर काम करने वाले रफत खां से निकाह कर लिया। यह बात लगभग सात साल पहले की है। इसके बाद रफत ने वहां से काम छोड़ दिया और पुष्पा को लेकर रामपुर के स्वार थानाक्षेत्र के गांव मीरपुर मझरा आ गया। इसके बाद पुष्पा ने बेटे मुट्ठू और बेटी अक्शां को जन्म दिया। अक्शां साढ़े तीन साल की थी तभी रफत ने शबनम से दूसरा निकाह कर लिया और उसके साथ ही गांव में रहने लगा। थोड़े दिनों बाद उसने पुष्पा को तलाक दे दिया। लगभग आठ महीने पहले पुष्पा दोनों बच्चों को लेकर स्वार से पंजाब अपने पिता के पास जा रही थी। मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर बच्चों को बैठाकर जब वह खाना लेने गई थी तभी उसकी बेटी गायब हो गई। काफी तलाशने के बाद भी नहीं मिली तो जीआरपी में गुमशुदगी दर्ज कराकर पंजाब चली गई। इसी बीच पोस्टमार्टम हाउस के कर्मी राजू को रेलवे स्टेशन पर एक लावारिस बच्ची मिली, जिसे उसने जीआरपी को सौंप दिया। यही मासूम अक्शां थी। जिसे जीआरपी ने चाइल्ड लाइन सीतापुर भेज दिया। बेटी की तलाश में पुष्पा कई बार मुरादाबाद से रामपुर तक आई। कोई सुराग नहीं मिलने पर उसने उसके जिंदा होने की आस छोड़ दी। लगभग 15 दिन पूर्व वह बेटी की तलाश में पोस्टमार्टम हाउस पहुंची। यहां मौजूद राजू ने एक बच्ची जीआरपी को सौंपने की बात बताई। वह चाइल्ड लाइन गई, यहां फोटो से उसने बेटी को पहचान लिया। इसके बाद वह सीतापुर स्थित शिशु सदन गई। वहां बेटी का जन्म प्रमाण पत्र मांगा गया। गुरुवार को महानगर पहुंची पुष्पा ने आरोप लगाया कि सीतापुर में शिशु सदन वाले चालीस हजार रुपये मांग रहे हैं। अब वह रुपयों का इंतजाम करने अपने पिता के पास जा रही है।
उम्र और नाम में अंतर
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डा.विशेष गुप्ता ने बताया कि पुष्पा द्वारा बेटी की उम्र तीन वर्ष व नाम अक्शा बताया गया है, जबकि शिशु सदन में मौजूद लड़की छह वर्ष की है, जिसका नाम आकांक्षा है। जांच-पड़ताल के बाद ही बच्ची को मां-बाप के हवाले किया जाता है।