नक्सल प्रभावित गांवों में पानी के लिए हाहाकार

जागरण संवाददाता राजगढ़ (मीरजापुर) नक्सल प्रभावित गांवों में विकास के नाम पर पानी की तरह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 06:00 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 06:00 PM (IST)
नक्सल प्रभावित गांवों में पानी के लिए 
हाहाकार
नक्सल प्रभावित गांवों में पानी के लिए हाहाकार

जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर) : नक्सल प्रभावित गांवों में विकास के नाम पर पानी की तरह रुपये बहाए गए, लेकिन ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। पानी की कमी का खौफ इस कदर है कि बूढ़े, बच्चे, महिलाएं सभी हैंडपंप पर मारामारी कर रहे हैं तो कहीं कुएं पर तकरार हो जा रही है। वहीं झरने से जल्दी पानी लेने की चिता सता रही है कि कहीं पानी लाने में देर हो गई तो पशु झरने में घुस जाएंगे और पानी पीने लायक नहीं रह जाएगा। बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए बजट खर्च किया जाता है, पर समस्या कम होने के बजाय दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। मड़िहान व चुनार तहसील अंतर्गत राजगढ़ ब्लाक के नौ न्याय पंचायतों में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। स्थिति यह है कि हैंडपंप शोपीस बन गए हैं। 40 फीसद हैंडपंप ऐसे हैं, जो पानी की जगह हवा दे रहे हैं। जंगल से सटे गांव भीटी, दरबान, रामपुर 38, खोराडीह, निकरिका, लिखनिया गांव, तेंदुकला, इंदिरा नगर, दरवान, चंदनपुर, रैकरी, मटिहानी, रैकरा, बघौड़ा, राजापुर, लहौरा, सरसो सेमरी, खमवा जमती, रामपुर व सक्तेशगढ़ समेत तीन दर्जन गांव ऐसे हैं, जो पानी की किल्लत से आज जूझ रहे हैं। गर्मी के मौसम में अत्यधिक होती है परेशानी

ग्रामीण संजय कुमार, मिर्जा देवी, भंवरलाल, गेंदालाल, मनोज कुमार, सुनैना देवी, संजय प्रसाद, लक्ष्मीनारायण, बाबू नंदन सिंह, सुनील मौर्य आदि ने बताया कि गर्मी के मौसम में पानी यदि मिल गई तो समझो एक नई जिदगानी मिल गई। पानी के लिए हर किसी को दो चार होना पड़ रहा है। पशु-पक्षी और जंगली जानवर भी बेहाल हैं। नदी, नाले, तालाब इस समय सूखे पड़े हैं। राजगढ़ पहाड़ी और पठारी क्षेत्र होने के नाते आज भी लोग नदी-नाले का पानी पीने को विवश हैं।

chat bot
आपका साथी