मनरेगा की अंगुली पकड़ कर रोजगार की राह पर बढ़ रहे कदम
कोरोना संकट के कारण इलाके के हजारों लोगों ने तंगहाली में भूखे प्यासे रहकर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय किया और अपने गांव घरों को लौटे। करीब एक महीना पहले आए इन प्रवासियों क्वारंटाइन काल खत्म हुआ तो इनका जज्बा और जोश कहीं से कम नजर नहीं आ रहा।
जासं, चुनार (मीरजापुर) : कोरोना संकट के कारण इलाके के हजारों लोगों ने तंगहाली में भूखे प्यासे रहकर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय किया और अपने गांव घरों को लौटे। करीब एक महीना पहले आए इन प्रवासियों क्वारंटाइन काल खत्म हुआ तो इनका जज्बा और जोश कहीं से कम नजर नहीं आ रहा। आलम यह है कि हर कोई गांव में ही रहकर मेहनत मजदूरी और रोजगार के सपने बुन रहा है। इन प्रवासियों की यदि किसी सरकारी योजना ने सबसे अधिक मदद की है तो वह मनरेगा है। मनरेगा की अंगुली थामें ये प्रवासी श्रमिक रोजगार की राह पर अपना सफर तय करना शुरू कर चुके हैं। नरायनपुर विकास खंड में पिछले करीब एक पखवारे में आठ सौ नए जाब कार्ड बनाए गए हैं जिनमें अधिकतर ऐसे श्रमिक हैं जो कोरोना संकट के चलते वापस आए हैं। वहीं विकास खंड की 96 ग्राम पंचायतों में चार हजार से अधिक मनरेगा श्रमिक विभिन्न कार्याें में लगे हुए हैं।
चुनार क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में भी लगभग दो हजार लोग गैर प्रांत और जिलों से वापस लौटे हैं। लॉकडाउन के कारण भारी परेशानियों से जूझना जरूर पड़ा लेकिन इन मेहनतकश लोगों की हिम्मत ये चुनौतियां नहीं डिगा पाईं। शहरों से वापस लौटे ये लोग फिर नए सिरे से अपने गांव में ही किस्मत आजमाने निकल पड़े हैं। फिलहाल ग्राम पंचायतों में तालाब, नाली, बंधा एवं व्यक्तिगत खेत तालाब एवं खेत का समतलीकरण आदि कार्यों में ये श्रमिक अपना पसीना बहा रहे हैं। रैपुरिया, दयलपुर, रसूलपर, पथरौरा, कैलहट आदि गांवों में वापस लौटे ये कामगार कहते हैं कि कोशिश है कि गांव में ही रहकर फिर से खुद की और परिवार की तकदीर संवारेंगे। इन्हें भरोसा है कि सरकार उनकी मदद करेगी तो योजनाओं की लाठी बनकर तंगहाली से उबरने में सहारा देगी। इस संबंध में बीडीओ पवन कुमार सिंह ने बताया कि बाहर से आने वाले कामगारों को गांवों में ही काम दिलाने के लिए सचिवों और ग्राम प्रधानों को कहा गया है जो मनरेगा में काम करना चाहता है उसे गांव में ही रोजगार मिलेगा।