निचली अदालत का फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बरकरार रखा का फैसला

फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम जितेंद्र मिश्रा ने दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपित पति पंचम द्वारा दाखिल दांडिक संख्या 23/2013 के मामले में अवर न्यायालय द्वारा दिए गए सजा को बहाल रखते हुए पंचम को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया। अभियोजन से मुकदमें में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सच्चिदानंद तिवारी ने बहस किया था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Nov 2019 09:08 PM (IST) Updated:Sun, 24 Nov 2019 09:08 PM (IST)
निचली अदालत का फास्ट ट्रैक 
कोर्ट ने बरकरार रखा का फैसला
निचली अदालत का फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बरकरार रखा का फैसला

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम जितेंद्र मिश्रा ने दहेज उत्पीड़न के मामले में आरोपित पति पंचम द्वारा दाखिल मामले में अवर न्यायालय द्वारा दिए गए सजा को बहाल रखते हुए पंचम को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया। अभियोजन से मुकदमे में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सच्चिदानंद तिवारी ने बहस किया था।

अभियोजन के अनुसार चील्ह थाना क्षेत्र के लखनपुर गांव निवासी पंचम ने अपनी पत्नी रामरती को दहेज में स्कूटर, रंगीन टीवी व 20 हजार रुपये की मांग को लेकर 23 अप्रैल 2002 को रात्रि नौ बजे मारा-पीटा और प्रताड़ित किया था। इसकी सूचना रामरती ने अपने भाई बृजलाल को फोन करके बुलाया और उसके साथ मायके चली गई। बाद में वादी बृजलाल ने चील्ह थाने में पंचम के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा पंजीकृत कराया। जिसके विचारण के पश्चात अवर न्यायालय पंचम को दोषी पाते हुए एक वर्ष और एक हजार रुपया तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम में एक वर्ष व एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा तीन जून 2013 को सुनाई थी। उसी निर्णय के विरुद्ध पंचम ने दांडिक अपील दाखिल किया था। जिस पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश ने पत्रावली का परिशीलन करते हुए अवर न्यायालय द्वारा दिए गए सजा को बहाल रखते हुए आरोपित पंचम को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया।

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