किसानों को मिले सस्ती बीज-खाद, सिचाई को पानी

किसानों को एक अच्छी उपज के लिए बीज-खाद बिजली व पानी की दरकार होती है। खेती के समय किसानों को इन्हीं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भटकना पड़ता है। खेती के समय बीज-खाद व सिचाई के लिए पानी ससमय नहीं मिल पाता है और किसी तरह अच्छी उपज भी हो गई तो क्रय केंद्र पर बेचने में पसीना आ जाता है। सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट की तरफ मीरजापुर के किसान टकटकी लगाए बैठे हैं। किसानों को आशा है कि इस बार के आम बजट में सरकार द्वारा किसानों को और भी सहुलियत दी जाए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 09:03 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jan 2020 11:48 PM (IST)
किसानों को मिले सस्ती बीज-खाद, सिचाई को पानी
किसानों को मिले सस्ती बीज-खाद, सिचाई को पानी

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : किसानों को एक अच्छी उपज के लिए बीज-खाद, बिजली व पानी की दरकार होती है। खेती के समय किसानों को इन्हीं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भटकना पड़ता है। खेती के समय बीज-खाद व सिचाई के लिए पानी ससमय नहीं मिल पाता है और किसी तरह अच्छी उपज भी हो गई तो क्रय केंद्र पर बेचने में पसीना आ जाता है। सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट की तरफ मीरजापुर के किसान टकटकी लगाए बैठे हैं। किसानों को आशा है कि इस बार के आम बजट में सरकार द्वारा किसानों को और भी सहुलियत दी जाए।

विध्य क्षेत्र के किसानों की मांग है कि बिजली, पानी की सुविधा निशशुल्क की जाए। इसके साथ ही बीज और उर्वरक की उपलब्धता समय से सुनिश्चित हो ताकि किसानों को आसानी से प्राप्त हो सके। जिले में एक भी भंडारण केंद्र अच्छे नहीं हैं जिसकी वजह से फल और सब्जियों का भंडारण नहीं हो पाता है, यहां अच्छे भंडारण गृह की आवश्यकता है। उन्नत बीजों के लिए शोध किए जाने चाहिए ताकि किसानों को अच्छे बीज मिल सकें। किसानों की मांग है कि सरकार बजट में इस तरह के प्रावधान करे जो किसानों के हित में हो।

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आम बजट तो हर साल आता है लेकिन किसानों के हित में यदि बजट का आकलन हो तो इससे ज्यादा सहूलियत मिलेगी। हर साल बेबसी के कारण किसानों के आत्महत्या पर भी एक तरह से अंकुश भी लगेगा क्योंकि जब किसान की गाढ़ी कमाई डूबती दिखाई देती है तो वह अपने आप को रोक नहीं पाता इस बार के बजट में किसानों के हित को ध्यान में रखना चाहिए। सरकार किसानों के ऋण माफी को ध्यान में रखते हुए दायरा बढ़ाए।

- संघर्ष पांडेय, किसान।

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सहकारी समितियों पर समय पर खाद उपलब्ध नहीं रहता बल्कि खरीफ की फसल की बुवाई हो अथवा रवि की फसल की बुवाई खाद का टोटा पड़ जाता है। प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदना पड़ता है जो काफी महंगा पड़ता है। सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का दायरा बढ़ाए।

- महेंद्र कुमार, किसान।

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खेती के समय किसानों को उचित दरों पर खाद उपलब्ध नहीं हो जाती, जिसके कारण खेतों में पैदावार कम होती है। इतना ही नहीं प्राइवेट दुकानदारों के द्वारा उर्वरक में ज्यादे पैसों की वसूली भी की जाती है। सरकार द्वारा जैविक खाद के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है। सरकार को जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्राविधान करना चाहिए।

- सुरेंद्र कुमार, किसान

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राजकीय कृषि भंडार पर बीज की उपलब्धता भी समय पर नहीं हो पाती है। सरसों, गेहूं, चना, धान किसी भी प्रकार का बीज समय पर उपलब्ध नहीं रहता बल्कि जब आधी बुआई खत्म हो जाती है तो बीज आता और बिचौलियों तक ही सीमित रह जाता है। सरकार को आम बजट में किसानों के हितों को ध्यान रखना चाहिए।

- मनकेश्वर सिंह, किसान।

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किसानों को उनकी उपज की लागत नहीं मिल पा रही है, सरकार सब्जी लगाने के लिए किसानों को बढ़ावा देती है तो दूसरी तरफ किसानों की सब्जी पानी के भाव मंडियों में खरीदी जाती है। चारों तरफ से बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। इनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है और किसानों की झोली खाली होती जा रही है। सरकार किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम दिलाने के लिए प्राविधान करे।

- कन्हैया लाल, किसान।

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क्रय केंद्रों पर किसानों से खरीद के लिए सरकार को उचित व्यवस्था करनी चाहिए। क्रय केंद्र प्रभारियों द्वारा बिचौलियों से धान खरीद कर लक्ष्य पूरा कर लिया जाता है और किसानों को क्रय केंद्र से वापस लौटना पड़ता है। खरीद के लिए पर्याप्त मात्रा में धन व बोरा की उपलब्ध कराना चाहिए।

- नरेंद्र मिश्रा, किसान।

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जनपद में ब्लाक : 12

न्याय पंचायत : 105

ग्राम पंचायत : 809

कुल गांव : 1877

राजस्व गांव : 2003

जनपद में किसान : 2,72,000

लघु व सीमांत किसान : 2,50,000

सिचित क्षेत्र : 1,52,933 हेक्टेअर

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