13 दिन में 1408 किमी पदयात्रा कर प्रवासी श्रमिक पहुंचे घर
- ²ढ़ इच्छा शक्ति के चलते 140
जागरण संवाददाता, (लालगंज) मीरजापुर : कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, तबीयत से एक पत्थर तो उछालो यारों..। यह चंद लाइन ऐसे प्रवासी श्रमिक के लिए सटिक है, जो अपने घर परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर गुजरात के सूरत शहर में रहकर अपनी भविष्य के ताना बाना को बुन रहे थे। अचानक लॉकडाउन के समय कंपनी जब बंद हुई ऐसी परिस्थिति में लालगंज क्षेत्र के लहंगपुर बामी निवासी विक्रम कुमार (22) अपने साथी धनेश (20) के साथ पैदल अपने जन्मभूमि के लिए निकल पड़ा। रास्ते में तमाम तरह की रुकावट परेशानियों से जूझते हुए 1408 किलोमीटर की यात्रा 13 दिन में पूरी कर अपने घर पहुंच गया।
विक्रम के हिम्मत की चर्चा आज पूरे गांव में हो रही है विक्रम अपने साथी धनेश के साथ सूरत शहर को अलविदा कहते हुए वहां से पैदल चल कर 13 दिन में मीरजापुर जनपद स्थित अपने घर में पहुंच गया। विक्रम कुमार सूरत में सनराइज ग्लास फैक्ट्री में दारू वाली सीसी बनाने का काम करता था। साढे तीन सौ रूपए प्रतिदिन मिल रहे थे। अपने एक साथी के साथ वह अपने भविष्य के ताने बाने को बुन रहा था। इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन हो गया, अब कंपनी बंद खर्चा पानी मिलना बंद विक्रम ने अपने साथी धनेश के साथ पैदल ही अपने गांव के लिए निकल पड़ा। विक्रम ने बताया कि रास्ते में कई तरह के परेशानियों को सहते हुए और कदम आगे बढ़ाता चला आया। इसी तरह कितने युवा जो भविष्य को तराशने के लिए महानगरों में गए हुए थे। कंपनियों को बंद होने के बाद अपने अपने घरों के लिए पैदल साइकिल बाइक आदि जो जिसको साधन मिला उसी से निकल दिया। जबकि यूपी सरकार ने बस और ट्रेन चलाने का फरमान जारी किया था लेकिन इसके पहले ही इन नौजवानों ने बिना इंतजार किए पद यात्रा करने की तैयारी कर ली।