Women Empowerment: मजबूत इरादों के साथ मेरठ की वत्सला ने ऐसे पूरा किया सेना में अफसर बनने का सपना
Women Empowerment जीवन में एक बार ठान लो तो सबकुछ मुमकिन है। ऐसा ही कर दिखा मेरठ की बिटिया वत्सला ने। लोगों ने वत्सला को प्रोत्साहित करने के बजाय कुछ कमियां गनाते हुए हतोत्साहित करना शुरू कर दिया। लेकिन उसके इरादे पक्के थे।
विवेक राव, मेरठ। Women Empowerment बचपन से वत्सला ने एक सपना देखा था। सपना था भारतीय सेना में जाकर देश सेवा करने का। जैसे-जैसे उम्र बढ़ी सेना में जाने का इरादा और भी पक्का होता गया, लेकिन एक समय ऐसा आया कि जब लोगों ने वत्सला को प्रोत्साहित करने के बजाय कुछ कमियां गनाते हुए हतोत्साहित करना शुरू कर दिया। इससे कुछ समय के लिए वह विचलित भी हुईं, लेकिन अपने मजबूत इरादों से आर्मी में कैप्टन बनकर सपने को साकार कर दिया। वत्सला के जुनून पर माता-पिता को गर्व है।
यह है प्रोफाइल
वत्सला के पिता डा. एसएन पांडेय मेरठ कालेज में रक्षा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। भारतीय सेना में अन्य लड़कियों को आर्मी यूनिफार्म में देखते हुए पिता सोचते थे कि ये लड़कियां कुछ अलग होती हैं। मन के किसी कोने में अपनी बेटी को भी उसी तरह से आर्मी की यूनिफार्म में देखने का उन्होंने भी सपना संजो रखा था। पिता की इच्छा को महसूस कर वत्सला ने अपनी कोशिश और तेज कर दी। 12वीं करने के बाद वत्सला ने इलेक्ट्रिकल ब्रांच से बीटेक किया। पढ़ाई के साथ वह खेलकूद और शारीरिक क्षमता को भी बढ़ाती रहीं, लेकिन जब उनकी लंबाई पांच फुट दो इंच से ज्यादा नहीं बढ़ी तो लोगों ने उन्हें लेकर टिप्पणी करनी शुरू कर दी।
आइबीएम में भी की नौकरी
कई लोगों के मुंह से ऐसी बातों को सुनकर कुछ समय के लिए वत्सला के कदम डगमगा गए। उन्होंने बीटेक करने के बाद आइबीएम में नौकरी की। लेकिन मन में देश सेवा का जज्बा खत्म नहीं होने दिया। सेना की अपनी तैयारी को और धार देने और सटीक जानकारी जुटाने के लिए वह सेना के एक अधिकारी से मिलीं। तब उन्हें यह पता चला कि उनकी लंबाई सेना में जाने के लिए कोई रुकावट नहीं है। फिर क्या था उन्होंने एसएसबी की तैयारी में जी जान लगा दी। सुबह चार बजे उठकर अभ्यास करने से लेकर कई तरह के अभ्यास से अपने आप को तंदुरुस्त बनाया। एसएसबी में अच्छे अंक से सफलता हासिल कर आर्मी में कैप्टन बनीं।
पाकिस्तान बार्डर पर है तैनाती
आज 22 लांसर ईएमई में कैप्टन वत्सला राजस्थान में पाकिस्तान बार्डर पर तैनात हैं। वहां उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। सेना में रहते हुए उन्होंने शूटिंग में कई पदक भी जीते है। आज जो लोग वत्सला की लंबाई और सेहत को लेकर तरह-तरह की बातें करते थे, वह अपनी बेटियों को भी वत्सला जैसी बनने की सीख दे रहे हैं। वत्सला ने अपनी दृढ़ता से पिता एसएन पांडेय और मां शशि पांडेय का मान बढ़ाया है।