उत्‍तर प्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट, आंकड़े गवाह कि यहां से जो जीता, उसी की पार्टी की बनी सरकार

जब भी चुनाव आते हैं हस्तिनापुर की चुनावी ‘महाभारत’ पर सबकी निगाह टिक जाती है। आंकड़े बताते हैं यहां से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी जीता उत्तर प्रदेश के ‘सिंहासन’ पर राज उसी की पार्टी ने किया। एक बार फिर चुनावी बिसात पर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 06:05 PM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 06:05 PM (IST)
उत्‍तर प्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट, आंकड़े गवाह कि यहां से जो जीता, उसी की पार्टी की बनी सरकार
मेरठ की हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से भाजपा ने सिटिंग विधायक व राज्यमंत्री दिनेश खटीक को ही प्रत्याशी बनाया है।

मशहूर टीवी धारावाहिक महाभारत का वह दृश्य याद कीजिए, जब अचानक स्‍क्रीन पर एक तस्वीर के साथ आवाज आती थी 'मैं समय हूं।' अब इसे संयोग कहिए या कुछ और लेकिन, महाभारतकालीन हस्तिनापुर में 'समय' आज भी बहुत कुछ तय करता है। जब भी चुनाव आते हैं, हस्तिनापुर की चुनावी 'महाभारत' पर सबकी निगाह टिक जाती है। आंकड़े बताते हैं कि यहां से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी जीता, प्रदेश के 'सिंहासन' पर राज उसी की पार्टी ने किया। मेरठ से राजकुमार शर्मा की विशेष रिपोर्ट...

एक बार फिर चुनावी बिसात पर शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। प्रदेश की गद्दी तक पहुंचने के लिए साम-दाम, दंड-भेद का खुलकर प्रयोग हो रहा है। वर्तमान की बात करें तो हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से भाजपा ने सिटिंग विधायक व राज्यमंत्री दिनेश खटीक को ही प्रत्याशी बनाया है। अब हस्तिनापुर है तो कुछ न कुछ तो होना ही था। टिकट की घोषणा के बाद से ही पूर्व विधायक व भाजपा नेता गोपाल काली ने ही विरोध करना शुरू कर दिया। उन्‍होंने दिनेश खटीक के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं, पार्टी को भी चेता दिया कि जो करना है करे, वह तो भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ ही चुनाव लड़ेंगे। उन्‍होंने खुद व बेटे का नामांकन पत्र भी ले लिया है।

अब बात करते हैं हस्तिनापुर सीट के इतिहास की। सन 1957 में अस्तित्व में आई इस सीट पर तब से 2017 तक के विधानसभा चुनाव परिणाम बताते हैं कि हस्तिनापुर से जो भी प्रत्याशी जीता, प्रदेश में सरकार उसी की पार्टी की बनी। वर्ष 2017 में भाजपा के विधायक दिनेश खटीक ने विजय प्राप्त की और प्रचंड बहुमत के साथ योगी आदित्यनाथ सीएम की कुर्सी पर बैठे। साल 2012 में सपा के विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि जीते और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। सन 2007 में बसपा के योगेश वर्मा ने जीत हासिल की और मायावती सीएम की कुर्सी पर विराजमान हुईं। सन 2002 में सपा प्रत्याशी प्रभुदयाल वाल्मीकि विधायक बने। तीन मई 2002 से लेकर 29 अगस्त 03 तक मायावती मुख्यमंत्री रहीं, लेकिन फिर 29 अगस्त 03 को मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1996 में भाजपा समर्थित अतुल कुमार विधायक बने, प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। इस बार 10 फरवरी को मतदान होगा और अभी से ही सबकी निगाह हस्तिनापुर सीट पर लग गई है। यह तो आने वाला 'समय' ही बताएगा कि पुरानी परंपरा जारी रहेगी या कोई नया 'इतिहास' बनेगा।

गवाही देते आंकड़े

वर्ष विधायक सरकार

2017 दिनेश खटीक भाजपा

2012 प्रभुदयाल सपा

2007 योगेश वर्मा बसपा

2002 प्रभुदयाल सपा

1996 अतुल कुमार भाजपा समर्थित निर्दलीय

1989 झग्गड़ सिंह जनता दल

1985 हरशरण सिंह कांग्रेस

1980 झग्गड़ सिंह कांग्रेस

1977 रेवती शरण मौर्य जनता पार्टी

1974 रेवती शरण मौर्य कांग्रेस

1969 आशाराम इंदु बीकेडी

1967 आरएल सहाय कांग्रेस

1962 पीतम सिंह कांग्रेस

1957 विशंभर सिंह कांग्रेस

हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र

- कुल मतदाता - 342314

- पुरुष -187884

- महिलाएं-154407

- अन्य -23

तब भी काली ने दिखाया था 'रंग'

वर्ष 1996 में अतुल कुमार निर्दलीय चुनाव लड़े थे लेकिन भाजपा समर्थित थे। उस समय उनका चुनाव चिह्न कुर्सी था। सरकार भाजपा की ही बनी थी। उस दौरान भी टिकट को लेकर मारामारी मची थी। भाजपा हाईकमान ने गोपाल काली को चुनाव चिह्न दे दिया था लेकिन इस बीच इकवारा कांड होने के चलते यहां भाजपा ने अपना प्रत्याशी अतुल कुमार को बना दिया था। हालांकि प्रत्याशी बदले जाने के बाद भी गोपाल काली ने सिंबल ही नहीं लौटाया जिसके चलते अतुल को भाजपा समर्थित होकर ही लडऩा पड़ा था और उन्‍होंने विजय हासिल की थी। अब एक बार फिर गोपाल काली ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी दिनेश खटीक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना गौतम चर्चाओं में

हस्तिनापुर की 'चुनावी महाभारत' में कांग्रेस ने माडल व अभिनेत्री अर्चना गौतम को प्रत्याशी बनाया है। मेरठ के मवाना क्षेत्र स्थिति नंगला हरेरू निवासी अर्चना गौतम चुनावी मैदान में आते ही चर्चाओं में हैं। अर्चना ने माडलिंग और सौंदर्य प्रतियोगिताओं के दौरान जो कपड़े पहने और भाषा का इस्तेमाल किया उसको लेकर दूसरी पार्टी के लोग कांग्रेस के साथ ही अर्चना पर भी जमकर निशाना साध रहे हैं। मंगलवार को एक वर्चुअल संवाद के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने अर्चना का बचाव करते हुए कहा था कि प्रत्याशी अर्चना गौतम ने जीवन में बहुत संघर्ष कर अपनी पहचान बनाई है। अब वह चुनाव लड़ रही हैं। उन पर कपड़ों को लेकर सवाल उठाना गलत है।

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