युवाओं को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाएगी, पीठ बनाएगी यूजीसी
देश में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा युवाओं की मौत होती है तो यह हर किसी के लिए चिंता का विषय है। यूजीसी ने भी इस पर चिंता जाहिर करते हुए सड़क सुरक्षा पर कोर्स तैयार करने की पहल की है।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। सड़क दुर्घटनाओं में देश में सबसे अधिक युवाओं की जान जा रही है। गंभीर रूप से घायलों में भी युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। लिहाजा, युवाओं में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा इसकी महत्ता बताने और देशभर में सड़क हादसे से हो रही मौतों को कम करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विश्वविद्यालयों में सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसकी खातिर यूजीसी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कोर्स वर्क डिजाइन करने को कहा है। योजना है कि कोर्स वर्क तैयार होते ही इसे करिकुलम का हिस्सा बनाया जाए और छात्रों को क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा भी दी जाए। यूजीसी अपने ऑनलाइन ‘स्वयं’ कोर्स से इस विषय को लांच करने की तैयारी में है। भविष्य में सड़क सुरक्षा पर पीठ का गठन हो सकता है।
इंडक्शन प्रोग्राम से एंगर मैनेजमेंट...ताकि रोड रेज रुके
कोर्स का अगर मॉड्यूल तैयार होता है तो अलग शैक्षणिक सत्र से ही विवि-कालेज में होने वाले सप्ताहव्यापी इंडक्शन प्रोग्राम में इस विषय को शामिल कर लिया जाएगा। इसमें विशेष रूप से इसकी विभिषिका, बचाव के तरीके, दुर्घटना के बाद ट्रामा केयर के साथ ही विशेष रूप से एंगर मैनेजमेंट पर भी बात होगी।
इनका कहना है
सड़क पर सबसे अधिक युवाओं की जान जा रही है। इसको हम कुरिकुलम से जोड़ने पर विचार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ अगर कोर्स वर्क तैयार कर दे तो हम निश्शुल्क ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था ‘स्वयं’ के तहत इसे शुरू कर देंगे। रेगुलर कोर्स भी चलाए जाएगा। न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी में एक्सीडेंट रिसर्च सेंटर की तर्ज पर हम यहां सड़क सुरक्षा पर एक पीठ का भी गठन कर सकते हैं। शुरुआत हम सप्ताहव्यापी इंडक्शन प्रोग्राम से करेंगे। यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी कार्यक्रम में रोड सेफ्टी को हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इस विषय पर पीठ भी बनाई जा सकती है।
-डा. पंकज मित्तल, अपर सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
भारत में सड़क दुर्घटना में हो रही मौतें और उसमें युवाओं की सबसे अधिक हिस्सेदारी हमारे लिए गंभीर विषय है। यूजीसी हमसे किस तरह का कोर्स वर्क चाहता है। यह कितने समय का हो, तमाम विषयों पर हम बात कर कोर्स फ्रेम कर सकते हैं। इससे पहले भी हमने विदेश की एक विवि के साथ कोर्स चलाया है, लेकिन उसका प्रारूप कुछ अलग था। क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था कोर्स का आकर्षण होगी।
-फिकरू टुल्लू, प्रमुख डब्ल्यूएचओ इंडिया (गैर संक्रामक रोग व इंजरी)
इंडक्शन प्रोग्राम से एंगर मैनेजमेंट...ताकि रोड रेज रुके
कोर्स का अगर मॉड्यूल तैयार होता है तो अलग शैक्षणिक सत्र से ही विवि-कालेज में होने वाले सप्ताहव्यापी इंडक्शन प्रोग्राम में इस विषय को शामिल कर लिया जाएगा। इसमें विशेष रूप से इसकी विभिषिका, बचाव के तरीके, दुर्घटना के बाद ट्रामा केयर के साथ ही विशेष रूप से एंगर मैनेजमेंट पर भी बात होगी।
इनका कहना है
सड़क पर सबसे अधिक युवाओं की जान जा रही है। इसको हम कुरिकुलम से जोड़ने पर विचार कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ अगर कोर्स वर्क तैयार कर दे तो हम निश्शुल्क ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था ‘स्वयं’ के तहत इसे शुरू कर देंगे। रेगुलर कोर्स भी चलाए जाएगा। न्यूजीलैंड की यूनिवर्सिटी में एक्सीडेंट रिसर्च सेंटर की तर्ज पर हम यहां सड़क सुरक्षा पर एक पीठ का भी गठन कर सकते हैं। शुरुआत हम सप्ताहव्यापी इंडक्शन प्रोग्राम से करेंगे। यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पांसिबिलिटी कार्यक्रम में रोड सेफ्टी को हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इस विषय पर पीठ भी बनाई जा सकती है।
-डा. पंकज मित्तल, अपर सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
भारत में सड़क दुर्घटना में हो रही मौतें और उसमें युवाओं की सबसे अधिक हिस्सेदारी हमारे लिए गंभीर विषय है। यूजीसी हमसे किस तरह का कोर्स वर्क चाहता है। यह कितने समय का हो, तमाम विषयों पर हम बात कर कोर्स फ्रेम कर सकते हैं। इससे पहले भी हमने विदेश की एक विवि के साथ कोर्स चलाया है, लेकिन उसका प्रारूप कुछ अलग था। क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था कोर्स का आकर्षण होगी।
-फिकरू टुल्लू, प्रमुख डब्ल्यूएचओ इंडिया (गैर संक्रामक रोग व इंजरी)