नई शिक्षा नीति को बोझ न समझें शिक्षक
जुलाई 2021 से नई शिक्षा नीति के तहत नए पाठ्यक्रम शुरू हो रहे हैं। इसके लिए स्नातक स्तर पर सिलेबस तैयार हो चुका है। इस नीति की सफलता शिक्षकों पर निर्भर है।
मेरठ, जेएनएन। जुलाई 2021 से नई शिक्षा नीति के तहत नए पाठ्यक्रम शुरू हो रहे हैं। इसके लिए स्नातक स्तर पर सिलेबस तैयार हो चुका है। इस नीति की सफलता शिक्षकों पर निर्भर है। शिक्षकों को इसे बोझ नहीं समझना चाहिए। जो नीति बनी हैं, इसे ईमानदारी से किया जाए तो यह आसान है। चौधरी चरण सिंह विवि में आयोजित नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन विषय पर आधारित आनलाइन रिफ्रेशर कोर्स में यह बात डा. दिनेश चंद शर्मा ने कही।
प्रदेश स्तरीय स्टेयरिग कमेटी के सदस्य डा. दिनेश ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए गठित समितियों, पाठ्यक्रम, कौशल विकास पाठ्यक्रमों, शिक्षा में आइसीटी के प्रयोग और महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आनलाइन एजुकेशन से शिक्षकों के सामने एक नई चुनौती है, छात्रों के पास सूचनाओं का समुद्र पहुंच रहा है। इसमें शिक्षक छात्रों को यह बताएंगे कि उनके लिए क्या सही है। डिजिटल एजुकेशन से कभी भी शिक्षकों का अस्तित्व खत्म नहीं होगा।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा हम शिक्षकों को परिवर्तन के लिए तैयार रहना चाहिए, हर परिवर्तन बेहतरी के लिए होता है। नई शिक्षा नीति पर हर स्तर पर शोध को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए शिक्षकों को छात्रों को जिझासु बनाने की जिम्मेदारी भी है। जो शिक्षक इसमें आलस्य करेंगे, उनमें दायित्व बोझ नहीं होगा तो वह शिक्षक कहलाने के लायक नहीं हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने वाले कोर्स के विषय में भी बताया। संयोजक प्रो. हरे कृष्ण ने कहा कि शिक्षकों पर अगर सरकार किसी तरह की सख्ती करती है तो उसके जिम्मेदार हम खुद होंगे। इससे बचने के लिए हमारे अंदर जो कमियां हैं, उसे दूर करते हुए बेहतर करने का प्रयास करते रहना चाहिए। नई शिक्षा नीति पर देश की दिशा, छात्रों का भविष्य और शिक्षकों का अस्तित्व सब कुछ जुड़ा हुआ है। संचालन डा. दीप्ति वाजपेयी ने किया। डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. भूपेंद्र सिंह ने आभार जताया।
दो दिन आनलाइन रिफ्रेशर कोर्स
प्रो. हरे कृष्ण के संयोजन में शासन के निर्देशों के क्रम में विश्वविद्यालय में दो दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया गया। जोकि नई शिक्षा नीति के विषय में लोगों की शंकाओं, जिज्ञासाओं के समाधान और जागरूकता उत्पन्न करने की दृष्टि से अत्यधिक सफल रहा। इस दौरान शिक्षकों ने सवाल भी पूछे।