बात पते की: पटाखों से तौबा ही बेहतर, एक धमाके ने प्रशासन को नींद से जगाया

दीपावली पर जमकर आतिशबाजी जबकि आतिशबाजी सभी को बेतहाशा नुकसान पहुंचाती है लेकिन यह बात कुछ लोगों को आज तक कोई नहीं समझा पाया। यह दीवानगी जेब भी खाली कर देती है। इस बार पटाखों को लेकर प्रशासन सख्‍ती के मूड में है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 09:40 AM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 09:40 AM (IST)
बात पते की: पटाखों से तौबा ही बेहतर, एक धमाके ने प्रशासन को नींद से जगाया
मेरठ और आसपास जिलों में पटाखों को लेकर सख्‍ती की गई है।

मेरठ, [अनुर्ज शर्मा]। दीपावली पर जमकर आतिशबाजी, जबकि आतिशबाजी सभी को बेतहाशा नुकसान पहुंचाती है, लेकिन यह बात कुछ लोगों को आज तक कोई नहीं समझा पाया। यह दीवानगी जेब भी खाली कर देती है। रोक और बंदिशों के बावजूद हर साल सैकड़ों करोड़ के पटाखों की खरीद-बिक्री होती है। अबकी बार भी चोरी-छिपे पटाखों का बाजार सजाने की खूब तैयारियां थीं। लेकिन इन लोगों की किस्मत ही खराब निकली। छिपाकर रखे गए बारूद में सरधना में एक धमाके ने पुलिस-प्रशासन को सोते से जगा दिया। अब पुलिस 15 दिन पहले से ही रोजाना दीपावली मना रही है। छापेमारी में लाखों रुपये के अवैध पटाखे बरामद हो रहे हैं। सामने से तो यह पुलिस की सफलता है, लेकिन पिछले साल के कारनामे इस बार की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी बिक्री की अनुमति देने के लिए नियम-कानून की किताब पलटने में जुटे हैं।

सड़क या जनता, किसका दुर्भाग्य

एक सड़क है जो कहने को राष्ट्रीय राजमार्ग, लेकिन उससे अच्छी तो गांव की सड़कें हैं। इस सड़क की कहानी उल्टी है। शहर के बाहर यह ठीक है, लेकिन अंदर गड्ढों से भरी। मोदीपुरम से बेगमपुल और गंगानगर तक इस पर सफर मुसीबतों भरा है। खूब गड्ढे हैं, जो असंख्य दुर्घटनाओं का कारण बन चुके हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि जैसे-तैसे सड़क पर काम शुरू हुआ, लेकिन शिकायतें हुई, और काम बीच में रोकना पड़ा। अब आधी चौड़ाई में सड़क ठीक है और आधी में गड्ढे हैं। हर कोई गड्ढों से बचकर चलना चाहता है। यही चाहत आए दिन दुर्घटनाएं करा रही है। अफसर इस बात से नाराज हैं कि अच्छे खासे चलते काम को शिकायत करके बीच में ही बंद क्यों करा दिया गया। दुर्भाग्य भले ही सड़क का हो, लेकिन इसका खामियाजा केवल जनता भुगतने को मजबूर है।

दो चुनौती : कोरोना और प्रदूषण

तमाम प्रयासों के बाद कोरोना के तेवर कुछ ढीले पड़े थे। लोगों का तनाव कुछ कम हुआ था, लेकिन यह खुशी कायम न रह सकी। अब दिल्ली में फिर बढ़ रही कोरोना मरीजों की संख्या डरा रही है। आशंका है कि कोरोना एक बार फिर से रंग दिखाने की तैयारी में है। इसी बीच मौसम भी सर्द हो गया, और हवा की सेहत भी बिगडऩे लगी। हवा की सेहत पर हर कोई गंभीर है, लेकिन लोग न संभलने को तैयार हैं, और न सुधरने को। सरकार और अधिकारी सभी कोरोना से बचाव से लिए मास्क व अन्य सावधानी बरतने, और प्रदूषण रोकने के लिए कूड़ा न जलाने व अन्य गलत आदतों को छोडऩे की अपील कर रहे हैं। हालांकि इस अपील का भी लोगों की मनमानी पर प्रभाव नहीं है। इन हालात में दोनों चुनौतियों का सामना करना सरकार के लिए आसान नहीं है।

अमेरिकी स्पीड में मेरठी पुलिस

मेरठ पुलिस को तारीफ कम और आलोचना ज्यादा मिलती है। पुलिस की कार्यशैली ही कुछ ऐसी है कि हर कोई परेशान होकर तौबा कर लेता है। यह कब पीडि़त को दोषी बना दे, और कब आरोपित को पीडि़त, कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि हाल ही में पुलिस के एक कारनामे ने उसकी छवि को आम जनता के बीच खासा सुधार दिया है। 12वीं कक्षा की छात्रा का कोचिंग क्लास में गुम हुआ मोबाइल थाना ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस ने मात्र एक घंटे में बरामद कर वापस सौंप दिया। हालांकि इस उपलब्धि में पीडि़त परिवार ने भी सक्रियता दिखाई, लेकिन पीडि़त तो हमेशा सक्रिय ही होता है, बात तो यहां पुलिस की है। वास्तव में पुलिस सराहना की हकदार तो है। जनता मेरठी पुलिस की तुलना अमेरिका से करने लगी है। सभी थानों की पुलिस ऐसा ही काम और व्यवहार करे तो फिर कहना ही क्या।

chat bot
आपका साथी