रफ्तार और शिकार में माहिर दक्षिण भारतीय चिप्पीपराई भी अब बनेगा फौजी श्वान Meerut News

अब एक और भारतीय हाउंड प्रजाति चिप्पीपराई को फौजी श्वान बनाने की तैयारी है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु में पाया जाने वाला चिप्पीपराई प्रजाति का श्वान भी मुधोल हाउंड की ही तरह दिखता है

By Taruna TayalEdited By: Publish:Thu, 05 Mar 2020 12:49 PM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2020 12:49 PM (IST)
रफ्तार और शिकार में माहिर दक्षिण भारतीय चिप्पीपराई भी अब बनेगा फौजी श्वान Meerut News
रफ्तार और शिकार में माहिर दक्षिण भारतीय चिप्पीपराई भी अब बनेगा फौजी श्वान Meerut News

मेरठ, [अमित तिवारी]। रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी) सेंटर एंड कॉलेज में भारतीय प्रजाति के श्वान मुधोल हाउंड की ब्रीडिंग और ट्रेनिंग पूरी कर फौजी श्वान बनाने में सफलता मिल चुकी है। अब एक और भारतीय हाउंड प्रजाति चिप्पीपराई को फौजी श्वान बनाने की तैयारी है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु में पाया जाने वाला चिप्पीपराई प्रजाति का श्वान भी मुधोल हाउंड की ही तरह दिखता है और रफ्तार व शिकार में माहिर है। आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग व ट्रेनिंग सेंटर में अब चिप्पीपराई की ब्रीडिंग और ट्रेनिंग के बाद सेना की जरूरतों के अनुरूप इसकी योग्यता को परखा जाएगा।

फास्टेस्ट डॉग में शुमार

भारतीय श्वान प्रजातियों में चिप्पीपराई को फास्टेस्ट डॉग ब्रीड माना जाता है। इसकी रफ्तार 61 से 64 किलोमीटर प्रति घंटे तक रिकॉर्ड है। तमिलनाडु के पेरियार लेक के आस-पास पाए जाने वाली इस प्रजाति के श्वान नौ से 11 साल जीते हैं। मेल वर्ग की ऊंचाई 26-27 इंच होती है। इसे काफी अधिक एक्सरसाइज की जरूरत होती है। यह श्वान अपनी खास शिकारी प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। खरगोश को भी ओवरटेक कर सकता है। चमड़ा पतला होने के कारण गर्म क्षेत्रों में काम करने के लिए अधिक मुफीद है।

शिकार के लिए होता था इस्तेमाल

श्वानों की यह प्रजाति तमिलनाडु के चिप्पीपराई, विरुधुनगर जिलों के शाही घरानों द्वारा ब्रीड की गई। इसे मदुराई, कागझू मलाई, थेनकासी, तिरुनेलवेलि में शाही घराने इन्हें निष्ठा और गौरव के प्रतीक के तौर पर रखते थे। शुरू में इसका इस्तेमाल छोटे खरगोश, जंगली पिग, हिरण आदि के शिकार के लिए इस्तेमाल किया जाता था। शिकार पर रोक के बाद इनका इस्तेमाल डॉग शो और डॉग रेस में होने लगा। चिप्पीपराई कोलकाता डॉग शो में भी हिस्सा लेता है।

अनुशासन के बाद ट्रेनिंग

आरवीसी में दक्षिण भारत से चिप्पीपराई ब्रीड को मंगाया गया है। यहां ब्रीडिंग के बाद अनुशासनात्मक ट्रेनिंग के दौरान सेना की जरूरतों के अनुरूप इनके गुणों को परखा जाएगा। उसी अनुरूप सैन्य प्रशिक्षण का खाका तैयार होगा और फिर सैन्य यूनिटों के साथ फील्ड ट्रेनिंग होगी। इसी तरह आरवीसी में मुधोल हाउंड की पूरी ट्रेनिंग के बाद फील्ड ट्रेनिंग चल रही है।

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