कोरोना की इस बीमारी में आत्मबल भी दवा है
कोरोना संक्रमण में आक्सीजनप्लाज्मा रेमडेसिवर फेवि फ्लू जैसी दवाइयों पर लोग जोर दे रहे हैं।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना संक्रमण में आक्सीजन,प्लाज्मा, रेमडेसिवर, फेवि फ्लू जैसी दवाइयों पर लोग जोर दे रहे हैं। इस बीमारी में इन दवाइयों के साथ अपने अंदर आत्मबल को बनाए रखना भी जरूरी है। आत्मबल भी किसी दवाई से कम नहीं है। कोरोना से जंग जीतने के लिए मनोबल को मजबूत करना होगा। सीसीएसयू में पत्रकारिता विभा के पूर्व विभागाध्यक्ष व मोतीहारी विवि के प्रोफेसर डा. प्रशांत कुमार इसी मनोबल के बदौलत कोरोना से जंग जीतकर लौटे हैं।
डा. प्रशांत को सात अप्रैल को बुखार आया। 11 अप्रैल को एंटीजन और फिर आरटीपीसीआर दोनों रिपोर्ट निगेटिव आईं। उन्हें लगा कि मौसम की वजह से बुखार है, लेकिन बुखार बढ़ता ही गया। 104 डिग्री तक बुखार पहुंच गया। सांस लेने में दिक्कत शुरू हुई तो डाक्टर की सलाह पर दोबारा से उन्होंने सीटी स्कैन कराया। फेफड़े में 17 तक संक्रमण पहुंच गया था। आक्सीजन का स्तर 84 पहुंचने पर वह मेडिकल कालेज में भर्ती हुए। तीन-चार दिन बहुत दिक्कत रही। निर्धारित दवाओं के साथ वह अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए हनुमान चालीसा सुनते थे। प्रशांत बताते हैं कि इस दौरान अगर किसी ने फोन भी किया तो उन्होंने यही जवाब दिया कि कल से बेहतर महसूस कर रहा हूं। कुछ फोन करने वाले लोग भी कहते थे कि हां कल से तुम्हारी आवाज कल से ठीक है। इस तरह के संवाद ने उनका मनोबल कमजोर नहीं होने दिया। वह बताते हैं कि यह बीमारी भले ही पाजिटिव होने से भयभीत करती है, लेकिन मन को भी पाजिटिव बनाना जरूरी है। साथ ही खानपान सही रखने और योग-प्राणायाम करते रहना जरूरी है।