सरकारी तंत्र का भरोसा टूटा, सेटेलाइट रखेगा अवैध निर्माण पर नजर
मेरठ : सरकारी तंत्र अवैध निर्माण रुकवाने में भरोसेमंद साबित नहीं हो रहा है, इसलिए अब सेट
मेरठ : सरकारी तंत्र अवैध निर्माण रुकवाने में भरोसेमंद साबित नहीं हो रहा है, इसलिए अब सेटेलाइट की मदद लेने का निर्णय किया गया है। सेटेलाइट हर 15 दिन पर प्राधिकरण क्षेत्र की तस्वीर लेगी और यदि अवैध निर्माण मिला तो संबंधित प्रवर्तन अधिकारियों पर निलंबन व एफआइआर की कार्रवाई होगी। शहर में अवैध निर्माण तेजी से फल-फूल रहा है। अवैध कालोनियां बरसाती पौधों की तरह उग रही हैं। जिनका मानचित्र स्वीकृत है वे उससे अधिक निर्माण कर रहे हैं। प्राधिकरण की भूमि तक कब्जा हो रही है लेकिन इस पर प्राधिकरण के अधिकारी प्रभावी कार्रवाई नहीं करते। आरोप लगता रहता है कि प्राधिकरण के अधिकारियों व फील्ड में रहने वाले कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण होता है। शासन स्तर से समय-समय पर निर्देश जारी होते हैं फिर भी उसका असर नहीं पड़ता जबकि अवैध निर्माण की शिकायत शासन तक भी लगातार पहुंचती रहती है। शासन के जवाब-तलब करने पर अधिकारी अवैध निर्माण न होने की रिपोर्ट देते हैं। ऐसे में अब सरकार ने तय किया है कि ऐसे तंत्र के भरोसे बैठने के बजाय कुछ ऐसा कदम उठाया जाए जिससे अवैध निर्माण भी रुके और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सके। शासन ने आदेश दिया है कि सभी विकास प्राधिकरण नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी की मदद से 15-15 दिन की सेटेलाइट तस्वीर लें। उस तस्वीर के अनुसार अवैध निर्माण हुआ है और यदि उस निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी पर निलंबन की कार्रवाई करके एफआइआर दर्ज कराएं। इन्होंने कहा-- शासन का आदेश है इसलिए अब नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी से हर 15 दिन पर सेटेलाइट से तस्वीर ली जाएगी। इसकी मदद से अवैध निर्माण पर अंकुश रखा जाएगा। -साहब सिंह, वीसी एमडीए मेरठ : विद्युत मीटर लगाने वाली कार्यदायी संस्था के कर्मचारी ही मीटर में गड़बड़ी कर ऊर्जा निगम का चूना लगा रहे हैं। ऐसा ही मामला अलीबाग कालोनी में पकड़ में आया। यहां मीटर रीडर ने उपभोक्ता अनवरी बेगम से मिलकर मीटर में गड़बड़ी कर दी। बाद में जांच हुई तो, मामला खुला। पश्मिांचल के प्रबंध निदेशक आशुतोष निरंजन के निर्देश पर आरोपित कर्मी यूसुफ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।