Saphala Ekadashi 2021: साल की पहली और सफला एकादशी एक साथ 9 जनवरी को, जानें मेरठ की महामंडलेश्वर की राय

मेरठ सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज के अनुसार एकदशी तिथि 8 जनवरी को को रात 9.40 से प्रारंभ होकर 9 जनवरी शाम 7.17 बजे तक रहेगी। सालभर में 24 एकादशी आती है। उन्‍होंने इसके महत्‍व के बारे में बताया।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 11:30 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 11:30 AM (IST)
Saphala Ekadashi 2021: साल की पहली और सफला एकादशी एक साथ 9 जनवरी को, जानें मेरठ की महामंडलेश्वर की राय
ऐसी मान्‍यता है कि एकादशी के दिन गंगा स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

मेरठ, जेएनएन। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है, कुछ लोग तो प्रत्येक एकादशी को पूजन और व्रत करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से की जाती है। पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी भी कहते हैं, 9 जनवरी को साल की पहली एकादशी और सफला एकादशी एक साथ है। शास्त्रों में एकादशी की तिथि को शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है। शास्त्रों अनुसार एकादशी व्रत रखने वाले लोगों के जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन शास्त्रों में इस व्रत को करने के कुछ नियम भी बताए गए है। जिनका पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त

मेरठ सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज के अनुसार एकदशी तिथि 8 जनवरी को को रात 9.40 से प्रारंभ होकर 9 जनवरी शाम 7.17 बजे तक रहेगी। सालभर में 24 एकादशी आती है। इन सभी में चावल का सेवन करना वर्जित है। इसके अलावा अपने व्यवहार में संयम भी लाना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा अर्चना करनी चाहिए। लेकिन शाम को कभी भी सोना नहीं चाहिए। साथ ही अपने क्रोध पर भी नियंत्रण रखना चाहिए।

सफला एकादशी पर जरूर दें दान दक्षिणा

एकादशी के दिन गंगा स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। घर में सुख शांति आती है, और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। इसके साथ ही सफला एकादशी के दिन गरीबों को दान दक्षिणा देने का भी विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार जो लोग सफला एकादशी का व्रत रखते हैं, उनके सभी पाप राजा महिष्मान के ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक के पापों की तरह ही नष्ट हो जाते हैं, और उनके मन में अच्छे विचार आते हैं। जिससे वह अच्छा आचरण करने लगते हैं। अंत में भगवान विष्णु की कृपा से वह मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।

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