सड़कों की खामी, अफसरों की नाकामी..फिर जान तो है जानी

सड़कों की खामियां जहां हादसों को दावत देती हैं वहीं अफसरों की लापरवाही भी जानलेवा साबित होती है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 07:30 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 07:30 AM (IST)
सड़कों की खामी, अफसरों की नाकामी..फिर जान तो है जानी
सड़कों की खामी, अफसरों की नाकामी..फिर जान तो है जानी

मेरठ, जेएनएन। सड़कों की खामियां जहां हादसों को दावत देती हैं, वहीं अफसरों की लापरवाही भी जानलेवा साबित होती है। इसी का नतीजा है कि शहर के 16 प्वाइंट ब्लैक स्पाट घोषित हैं, जहां अक्सर हादसे होते हैं। हैरानी की बात यह है कि अफसर कागजी कार्रवाई का हवाला दे रहे हैं। यह स्थिति हाईवे की है। इसके अलावा शहर के भीतरी रास्तों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। अधिकतर मार्ग खुदे पड़े हैं। शायद इन्हें दुरुस्त कराने वाले 'सो' रहे हैं।

एक ओर तो सफर को सुहाना बनाने का काम चल रहा है, वहीं दूसरी ओर सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जरूरी कदम तक नहीं उठाए जा रहे। हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। मेरठ में एनएच-58 से लेकर एनएच-119 और एनएच-235 पर चलना जोखिम भरा है। लगातार हो रहे हादसों के बाद कुछ जगहों को तो ब्लैक स्पाट तक घोषित करना पड़ा है।

यहां जरूरी कदम उठाने के बजाय अफसरों में पत्राचार चल रहा है। एक साल में कई लोगों की जान चली गई। कई लोग दूसरों पर आश्रित हो गए। फिर भी समाधान नहीं निकाला जा रहा है। सफर के दौरान हाईवे पर बुनियादी सुविधाएं पूरी करने में सालों लग रहे हैं। रंबल स्ट्रीप हो या साइन बोर्ड कुछ भी नहीं है। डिवाइडर तक नहीं हैं, ऐसे में हादसे होना लाजिमी है। अफसर एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल देते हैं।

शहर में 16 ब्लैक स्पाट

ब्लैक स्पाट उन जगहों को कहा जाता है, जहां पांच से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हो गई हों या फिर हादसों में दस लोगों की जान चली गई हो। शहर में ऐसे 16 स्थान हैं, जिन्हें ब्लैक स्पाट घोषित किया हुआ है। इनमें रिठानी पीर, परतापुर तिराहा, भूड़बराल, मोहिउद्दीनपुर शुगर मिल, खड़ौली चौराहा, दायमपुर कट, डाबका कट, जटौली फाटक, रूहासा कट, वलीदपुर कट, सुभारती कालेज के पास, रानी नंगल मोड़ पुलिया, झुनझुनी मोड़, नौ गजा पीर हापुड़ रोड, बिजौली रोड, दतावली गढ़ रोड।

(नोट - ये 2019 के अनुसार हैं। 2020 के ब्लैक स्पाट जनवरी 2021 में निर्धारित किए जाएंगे।)

एनएच -58, रिठानी पीर : यहां ब्रेकर तो है, लेकिन अवैध कट भी है। इसलिए हादसे होते रहते हैं। न तो स्पीड का बोर्ड लगा है और न ही धीरे चलने की सूचना कहीं लिखी है।

एनएच -58, परतापुर तिराहा : फिलहाल यहां रैपिड और मेट्रो का काम चल रहा है।

एनएच -58, भूड़बराल : यहां तो डिवाइडर तक नहीं है। ऐसे में ब्रेकर और बोर्ड की बात करना तो बेमानी है। हाईवे पर रात के लिए तो लाइट भी नहीं हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस के अफसर निर्माण कार्य के बाद समाधान की बात कह रहे हैं।

एनएच -58, मोहिउद्दीनपुर शुगर मिल: हाल ही में पुलिस, एनएचएआइ और शुगर मिल के अफसरों की बैठक हुई थी। गेझा कट पर रंबल स्ट्रिप, लाइट, डिवाइडर, स्पीड बोर्ड जल्द ही लगाए जाने की बात तय हुई।

एनएच -58, खड़ौली चौराहा: यहां कट बंद कर दिया गया है। इसके बाद लोगों ने डिवाइडर को तोड़कर उससे निकलना शुरू कर दिया है। कई बार इस वजह से भी हादसे हुए हैं। अफसर उसे दुरुस्त कराने और यहां ड्यूटी लगाने की बात कर रहे हैं।

एनएच -58, दायमपुर कट: यहां न तो ब्रेकर है और न डिवाइडर। सफर पूरा रामभरोसे ही है। गांव के लोग कट से निकलते हैं। तेज रफ्तार के चलते आए दिन हादसे होते हैं। अडंरपास बनाया जा रहा है।

एनएच -58, डाबका कट , जटौली कट, रूहासा कट, वीलदपुर कट, सुभारती कालेज के पास: यहां भी न डिवाइडर है, न कोई बोर्ड। हाईवे पर वाहन फर्राटा भरते हैं। रंबल स्ट्रिप तक नहीं है। रात में चमकने वाली लाइट भी नहीं है।

एनएच -119, रानी नंगला मोड़, झुनझुनी मोड़: डिवाइडर यहां भी नहीं है। बोर्ड और अन्य जरूरी निशान भी कागजी कार्रवाई में फंसे हैं। लाइट भी नहीं हैं।

एनएच -119, नौ गजा पीर हापुड़ रोड, बिजौली रोड, दतावली गढ़ रोड: कहीं डिवाइडर टूटा हुआ है, तो कहीं है ही नहीं। स्ट्रीट लाइट के साथ ही ब्लिकिग लाइट भी नहीं है। सावधानी और धीरे चलने के साथ ही स्पीड लिमिट का बोर्ड भी नहीं है।

खुदी पड़ी सड़कों पर नहीं निगम का ध्यान

शहर की तमाम सड़कें खुदी पड़ी हैं। कहीं जल निगम ने पाइप लाइन डालने के लिए खोद दिया तो कहीं टेलीफोन कंपनी और ऊर्जा निगम ने। इसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है, क्योंकि निगम के अफसर तो इस ओर से आंखें मूंदे बैठे हैं, जबकि उन्हें सड़क दुरुस्त करने के लिए रुपये मिलते हैं। शहर की तमाम सड़कों पर कई माह से लोग परेशान हैं। ईव्ज चौराहे के पास से इस्माईल कालेज की ओर जाने वाली रोड पर तो कई हादसे हो चुके हैं। इसके अलावा सूरजकुंड रोड पर भी काम चल रहा है। मेयर के कैंप कार्यालय के सामने भी सड़क बदहाल है। यहां भी कई माह से लोग परेशान हैं। सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है, लेकिन कोई सुनने-देखने को तैयार नहीं है। इसके अलावा नूर नगर की सड़क का भी बुरा हाल है और लोग चोटिल हो रहे हैं। शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा।

इन्होंने कहा..

ब्लैक स्पाट के लिए लगातार एनएचएआइ के अफसरों से संपर्क किया जा रहा है। कई बार उनसे पत्राचार किया जा चुका है। ट्रैफिक पुलिस अब अपनी ओर से ब्लैक स्पाट को खत्म करने का प्रयास करेगी। इसके लिए डिवाइडर, रंबल स्ट्रिप, ब्लिकिग लाइट, बोर्ड आदि की व्यवस्था कराई जाएगी।

जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, एसपी ट्रैफिक

रिठानी पीर

हादसे 16

गंभीर 6

घायल 8

मौत 10

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परतापुर तिराहा

हादसे 17

गंभीर 7

घायल 6

मौत 10

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भूड़बराल

हादसे 13

गंभीर 5

घायल 8

मौत 9

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मोहिउद्दीनपुर शुगर मिल

हादसे 13

गंभीर 5

घायल 9

मौत 9

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खड़ौली चौराहा

हादसे 25

गंभीर 14

घायल 15

मौत 25

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दायमपुर कट

हादसे 17

गंभीर 7

घायल 8

मौत 17

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डाबका कट

हादसे 8

गंभीर 10

घायल 8

मौत 8

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जटौली कट

हादसे 12

गंभीर 9

घायल 7

मौत 12

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रूहासा कट

हादसे 62

गंभीर 13

घायल 49

मौत 13

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वलीदपुर कट

हादसे 58

गंभीर 13

घायल 45

मौत 13

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सुभारती कालेज के पास

हादसे 27

गंभीर 16

घायल 9

मौत 12

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रानी नंगला मोड़ पुलिया

हादसे 12

गंभीर 10

घायल 8

मौत 5

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झुनझुनी मोड़

हादसे 11

गंभीर 9

घायल 5

मौत 5

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नौ गजा पीर हापुड़ रोड

हादसे 13

गंभीर 6

घायल 14

मौत 12

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बिजौली रोड

हादसे 13

गंभीर 6

घायल 14

मौत 12

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दतावली गढ़ रोड

हादसे 15

गंभीर 8

घायल 6

मौत 11

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नोट :- आंकड़े ट्रैफिक पुलिस के अनुसार।

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