पश्चिमी यूपी में कमल को सुरक्षा देगा रालोद का 'अजगर', ब्रज क्षेत्र के कई जिलों के लिए जयंत ने बनाई खास रणनीति

Lok Sabha Election 2024 जयंत चौधरी जब युवावस्था में राजनीति में आए तो लोगों ने उनमें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की झलक देखने की कोशिश की। अब इसका एक रंग जयंत के रणनीतिक कौशल में भी दिख रहा है। पिता अजित सिंह के बाद रालोद की कमान संभाल रहे जयंत ने अपने बाबा चौधरी चरण सिंह के आजमाए ‘अजगर’ फार्मूले को नए अर्थ-तेवर में पेश किया।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek Pandey Publish:Sun, 24 Mar 2024 10:06 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2024 10:06 AM (IST)
पश्चिमी यूपी में कमल को सुरक्षा देगा रालोद का 'अजगर', ब्रज क्षेत्र के कई जिलों के लिए जयंत ने बनाई खास रणनीति
पश्चिमी यूपी में कमल को सुरक्षा देगा रालोद का 'अजगर'

प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। जयंत चौधरी जब युवावस्था में राजनीति में आए तो लोगों ने उनमें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की झलक देखने की कोशिश की। अब इसका एक रंग जयंत के रणनीतिक कौशल में भी दिख रहा है।

पिता अजित सिंह के बाद रालोद की कमान संभाल रहे जयंत ने अपने बाबा चौधरी चरण सिंह के आजमाए ‘अजगर’ फार्मूले को नए अर्थ-तेवर में पेश किया। आगे की राजनीतिक राह की ‘लाठी’ भी बनाई। इससे न सिर्फ रालोद को मजबूती की आस है, बल्कि पश्चिमी यूपी में भाजपा को भी अतिरिक्त ऊर्जा मिल सकती है।

चुनावी कुरुक्षेत्र में भाजपा ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ उतरी है। पार्टी का फोकस जाट-गुर्जर समेत सभी जातियों को जोड़ने की रणनीति पर है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में अजित सिंह के कमजोर पड़ने पर जाट व गुर्जर बंटे, जिसका लाभ भाजपा को मिला।

जयंत 'अजगर' फार्मूले पर कर रहे काम

2022 में सपा संग चुनाव लड़ने उतरे जयंत ने अपने बाबा के अजगर फार्मूले में ‘अ को अहीर, अनुसूचित और अगड़ा’ तीनों अर्थों में आजमाया। उन्होंने न सिर्फ अहीर, जाट, गुर्जर व राजपूत के साथ मीटिंग की, बल्कि दलितों एवं अगड़ों को भी पार्टी में स्थान देने का प्रयास किया।

उनका यह फार्मूला खतौली विधानसभा उपचुनाव में सफल भी रहा। इससे जयंत ने भाजपा की किलेबंदी को ध्वस्त कर दिया था। जयंत ने 2018 में भी कैराना लोकसभा उपचुनाव में जातीय गठजोड़ से भाजपा को शिकस्त देकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था।

जातीय समीकरण के नए शिल्पकार बने रालोद मुखिया चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रशांत कहते हैं कि ‘दशकों पहले चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में अजगर गठजोड़ का पिरामिड खड़ाकर कांग्रेस के वर्चस्व को ध्वस्त कर दिया था।

पश्चिमी यूपी में निर्णायक भूमिका में हैं जाट

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10-12 ऐसे जिले हैं, जहां पर जाट-गुर्जर निर्णायक भूमिका में हैं। जयंत वर्ष 2009 में मथुरा से सांसद रह चुके हैं। ब्रज क्षेत्र के कई जिलों हाथरस, अलीगढ़, आगरा, फतेहपुरी सीकरी समेत कई सीटों पर जाट वोट काफी हैं, जहां भाजपा अपने प्रचार में जयंत को अवश्य ले जाना चाहेगी।

ब्रज से लेकर हरियाणा व राजस्थान तक असर विधानसभा चुनाव 2022 में सपा के साथ गठबंधन में रहे जयंत अब 2024 में भाजपा के साथ मिलकर पुराने फार्मूले को नई नींव पर खड़ा करने में जुटे हैं।

एनडीए में विशेष भूमिका निभाने में जुटे जयंत

मुस्लिम वोटरों को भी साधने की कसरत करते रहे हैं। रालोद को बागपत और बिजनौर सीट मिली है, लेकिन भाजपा उनका उपयोग पश्चिम उत्तर प्रदेश, ब्रज, हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान तक करेगी। भाजपा की जीत के लिए छोटे चौधरी जयंत अजगर फार्मूले को ब्रज और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिलों में लागू करेंगे।

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