प्रसिद्ध रचनाकार होमवती देवी पर शोध की पहल

हिंदी साहित्य जगत में अपनी रचनाओं से छा जाने वाली मेरठ की होमवती देवी के निधन के करीब 70 साल बाद उनकी रचनाओं पर शोध की पहल हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 08:40 AM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 08:40 AM (IST)
प्रसिद्ध रचनाकार होमवती  देवी पर शोध की पहल
प्रसिद्ध रचनाकार होमवती देवी पर शोध की पहल

मेरठ, जेएनएन। हिंदी साहित्य जगत में अपनी रचनाओं से छा जाने वाली मेरठ की होमवती देवी के निधन के करीब 70 साल बाद उनकी रचनाओं पर शोध की पहल हुई है। यह प्रशसनीय पहल अब फलीभूत होने जा रही है, जिसके लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित जाने माने कवि केदारनाथ सिंह ने सन 2011 में आह्वान किया था। होमवती देवी के जन्मदिवस 20 नवंबर (1902) के अवसर पर यह खबर निश्चय ही साहित्य प्रेमियों को प्रसन्न करने वाली है।

49 वर्ष की अल्पायु में निधन के चलते होमवती देवी के साहित्य को संजोने वाला उनके परिवार में कोई नहीं रहा। आज भी उनकी कई रचनाएं अप्राप्त हैं। अपने लेखन से देश के प्रतिष्ठित हिंदी साहित्यकारों का ध्यान खींचने वाली होमवती का साहित्य लंबे समय से शोध की माग करता रहा है। इसकी चिंता समय-समय पर हिंदी मनीषियों ने की थी। ऐसी ही चिंता जाने माने कवि केदारनाथ सिंह ने सन 2011 में तब की, जब वो चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस के मौके पर आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेने मेरठ आए थे। उन्होंने मेरठ की होमवती देवी के साहित्य का मूल्याकन करने की आवश्यकता बताई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहा साहित्यिक गतिविधिया कम हैं, होमवती देवी के साहित्य का आज भी प्रासंगिक होना अपने आप में खासा महत्व रखता है। बाबू केदारनाथ सिंह ने होमवती देवी की रचनाओं के संकलन और मूल्याकन किए जाने की अपील की थी। उस समय सम्मेलन में मौजूद रहीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा, और वर्तमान में एनएएस डिग्री कालेज में हिंदी की एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रज्ञा पाठक बताती हैं कि गुरु केदारनाथ सिंह का निर्देश मैंने गाठ बाध लिया था। होमवती जी से जुड़े साहित्य के संबंध में जानकारी जुटाने में नौ साल लग गए। अब होमवती देवी के साहित्य में सामाजिक चेतना विषयक शोध आरंभ हुआ है। डा. प्रज्ञा पाठक के निर्देशन में शोध छात्र विक्रात उपाध्याय यह महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। होमवती जी की बनारस, कोलकाता व प्रयागराज की पत्रिकाओं में छपी उनकी रचनाओं को संकलित कर रहे हैं। इसके लिए कई बार उन्होंने देश के कई भागों में यात्रा भी की है।

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