उद्यमियों में विश्वास और जोश भरते ही छू मंतर हो जाएगी मंदी

मंदी-मंदी का रोना रोने से व्यापार जगत में सुस्ती छायी है। जिन पर असर नहीं है वह भी सशंकित हैं और शांत होकर बैठ गए हैं। मार्केट में स्टैगनेशन (ठहराव) की स्थिति है। मार्केट में फ्लो बढ़ाने के लिए सरकार को ही सार्थक पहल करनी होगी। शहर के होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई। मेरठ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Sep 2019 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 07 Sep 2019 06:22 AM (IST)
उद्यमियों में विश्वास और जोश भरते ही छू मंतर हो जाएगी मंदी
उद्यमियों में विश्वास और जोश भरते ही छू मंतर हो जाएगी मंदी

जेएनएन, मेरठ : मंदी-मंदी का रोना रोने से व्यापार जगत में सुस्ती छायी है। जिन पर असर नहीं है वह भी सशंकित हैं और शांत होकर बैठ गए हैं। मार्केट में स्टैगनेशन (ठहराव) की स्थिति है। मार्केट में फ्लो बढ़ाने के लिए सरकार को ही सार्थक पहल करनी होगी। शहर के होटल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई।

हॉस्पिटेलिटी सेक्टर के अंग होटल व्यवसाय पूरी तरह अन्य सेक्टरों के बिजनेस पर आधारित है। बैंकिंग, आटोमोबाइल, फर्मसुटिकल, हैंडलूम, स्पोर्टस, प्रोजेक्ट कंपनियों ने मंदी के चलते कास्ट कटिंग कर दी है, अधिकारियों के दौरे सीमित कर दिए गए हैं। डिस्ट्रीब्यूटर और डीलर मीट के नाम पर होने वाले आयोजन भी कम हो गए हैं। जहां 100 से 200 लोगों के लंच और डिनर होते थे। कंपनियों के मैनेजर स्थानीय स्टाफ के मोटीवेशन और अनुश्रवण के लिए हफ्तों डेरा डाले रहते थे यह सब काफी कम हो गया है। 40 प्रतिशत कमरे खाली रहते हैं और व्यवसाय में 25 प्रतिशत की गिरावट बतायी जा रही है। हर सेक्टर के लोगों से होटल व्यवसायियों का साबका पड़ता है। उनका मानना है मंदी कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, उद्यमियों की स्थिति इस समय बजरंगबली की तरह है, उन्हें उनकी शक्ति का भान कराने की जरूरत है। अगर वह जग गए तो इसके बाद मंदी तो मिनटों में काफूर हो जाएगी।

सरकार करे बैठकों की पहल

होटल ब्राड वे अनुज सिंघल ने बताया कि इंडस्ट्री में अजीब सा माहौल है। जैसे कोई गमी हो जाती है तो रिश्तेदारों आसपास के लोग जिसके घर में सब ठीक होता है वह भी इस तरह व्यवहार करते हैं जैसे सदमे हो हों। लोक व्यवहार में तो यह ठीक है लेकिन इंडस्ट्री में इसका काफी नकारात्मक असर पड़ता है। कुछ सेक्टरों में मंदी है लेकिन उसके प्रभाव से इंडस्ट्री के सभी सेक्टर ग्रस्त हैं। गमी के माहौल को जैसे माहौल को बदलने के लिए जैसे उठावनी आदि रस्में होती हैं इसी तरह मंदी से उबरने के लिए उद्यमियों और व्यापारियों से सरकार के प्रतिनिधियों को बात करनी चाहिए। जैसे वित्त मंत्री ने गत दिनों पेपर इंडस्ट्री के लोगों से बात कर समस्याओं का निस्तारण कराया है।

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मेरठ के प्रभारी मंत्री और शासन के उच्च अधिकारियों को अलग-अलग सेक्टरों के व्यापारियों के साथ बड़ी-बड़ी से बड़ी-बड़ी बैठक कर संदेश देना चाहिए। दिक्कतों का त्वरित समाधान कर व्यापारियों को विश्वास में लेना चाहिए।

चेतन सिंघल, आडीटर, ब्राडवे, जीएसटी के भार को कम करने की जरूरत है। 18 प्रतिशत जीएसटी बड़ा एमाउंट होती है। इसे आठ प्रतिशत किया जाना चाहिए। अन्य सेक्टरों के जीएसटी दरों को कम करना चाहिए।

शेखर भल्ला, चेयरमैन ब्रावरा, बाइपास सरकार को नए प्रोजेक्ट लांच करना चाहिए। मार्केट में कैश फ्लो बढ़ाना चाहिए। फ्लाइओवर, रैपिड रेल जैसे प्रोजेक्टों से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। होटल व्यवसाय को इससे बूस्टअप मिलेगा।

राजेंद्र सिंघल, क्रिस्टल पैलेस रेस्टोरेंट में परोसे जाने पर पांच प्रतिशत जीएसटी है और होटलों में वही खाने पर ग्राहक को 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। इसे एक रूप करना चाहिए। इसी तरह छह हजार से अधिक किराए वाले रूम पर 28 प्रतिशत जीएसटी है।

नवीन अरोड़ा, हारमनी इन हमरा बिजनेस, कारपोरेट सेक्टर से जुड़ा है। पिछले साल की तुलना में बिजनेस 25 परसेंट डाउन है। लोगों का मूवमेंट कम है। सरकार को मंदी से निबटने के लिए टैक्स और पालिसी में लिबरल होना चाहिए।

अनिरुद्ध बनर्जी, कंट्री इन

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