हरियाली की हकीकत: क्रांतिधरा का महज ढाई फीसद क्षेत्र हरा-भरा Meerut News
फारेस्ट सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि पश्चिमी उप्र में वन क्षेत्र तेजी से सिमटता गया। मेरठ में दशकभर में रोपे गए 25 लाख में से ज्यादातर पौधे फाइलों में ही सूख गए।
मेरठ, जेएनएन। हरियाली को लेकर भाषणों में दिखाई गई संजीदगी कभी धरातल पर नहीं उतरी। औपचारिकता की पटरी पर पौधरोपण मुरझाता रहा। मेरठ समेत पांच जिलों में 2073 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली प्रदेश की सबसे बड़ी हस्तिनापुर सेंचुरी भी हरियाली की गारंटी नहीं बनी। फारेस्ट सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि पश्चिमी उप्र में वन क्षेत्र तेजी से सिमटता गया। मेरठ में दशकभर में रोपे गए 25 लाख में से ज्यादातर पौधे फाइलों में ही सूख गए।
हरियाली की हकीकत
पौधरोपण का महाकुंभ खत्म होने के साथ ही हरियाली की हकीकत को लेकर चर्चा तेज हो गई है। केंद्र सरकार ने फारेस्ट सर्वे रिपोर्ट जारी किया तो तमाम दावों की पोल खुल गई। प्रदेश में 33 फीसद वनावरण की तुलना में सिर्फ 7.33 प्रतिशत जमीन ही हरी भरी हुई। मेरठ में इस बार 19.32, जबकि 2018 में 9.50 लाख पौधे लगाए गए। इससे पहले दस साल में 20 लाख से ज्यादा पौधों के रोपने की औपचारिकताएं पूरी की गईं। विशेषज्ञों की मानें तो 1990 और 2000 की दशक में मेरठ के आसपास तमाम हाइवे बनने के दौरान हजारों की संख्या में पेड़ काटे गए। इसके सापेक्ष कैंपा निधि से पौधरोपण में तत्परता नहीं दिखाई गई। नतीजा ये हुआ कि मेरठ की हरियाली विकास की भेंट चढ़ती गई।
ग्रीन बेल्ट भी रेड सिग्नल पर
प्रदेश सरकार के निर्देश पर मेरठ में 2012 से 2016 के बीच 29 ग्रीन बेल्ट बनाए गए। जिसमें 1.03 लाख से ज्यादा पौधे लगे हैं। किंतु देखरेख की अभाव में बड़ी संख्या पौधे नष्ट हो गए। पांच साल पहले से विभाग ने पेड़ों के रखरखाव पर खास फोकस किया। ईंट के साथ ही अब धातुओं से रक्षा कवच बनाया जा रहा है। ऐसे पौधों को रोपा जा रहा, जिससे जानवर खाने से परहेज करते हैं।
पिछड़ता रहा मेरठ जिला कुल क्षेत्रफल में हरियाली का अनुपात
सहारनपुर 10.11 फीसद
इटावा 10.50 फीसद
बिजनौर 8.81 फीसद
आगरा 6.73 फीसद
बुलंदशहर 3.68 फीसद
रामपुर 3.17 फीसद
मेरठ 2.66 फीसद
ये है मेरठ का भूगोल
इन्होंने बताया
वन विभाग की ओर से लगाए गए पौधों में करीब 80 फीसद तक बच जाते हैं। हरियाली बढ़ाने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि बिजनौर और खीरी समेत कई अन्य जंगल बाहुल्य जिलों में वनावरण घटा, जबकि मेरठ ने 0.5 फीसद से ज्यादा की वृद्धि दर्ज हुई है।
- अदिति शर्मा, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी
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