जिला अस्पताल में टार्च जलाकर देखे गए मरीज

जिला अस्पताल के पास अपना फीडर होने के बावजूद किस्मत में अंधेरा लिखा है। सोमवार को ओपीडी में डाक्टरों ने अंधेरे में मरीजों को देखा। मरीजों ने टार्च जलाई और डाक्टरों ने दवाएं लिखीं। मरीजों के आपरेशन से लेकर रेडियोडाइग्नोस्टिक जांचों पर भी असर पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Sep 2019 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 10 Sep 2019 09:00 AM (IST)
जिला अस्पताल में टार्च जलाकर देखे गए मरीज
जिला अस्पताल में टार्च जलाकर देखे गए मरीज

मेरठ, जेएनएन: जिला अस्पताल के पास अपना फीडर होने के बावजूद किस्मत में अंधेरा लिखा है। सोमवार को ओपीडी में डाक्टरों ने अंधेरे में मरीजों को देखा। मरीजों ने टार्च जलाई और डाक्टरों ने दवाएं लिखीं। मरीजों के आपरेशन से लेकर रेडियोडाइग्नोस्टिक जांचों पर भी असर पड़ा।

जिला अस्पताल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ सरकारी चिकित्सालयों में आंका जाता है। लेकिन, यहां पहुंचकर माजरा कुछ और नजर आता है। गत 15 दिन से ओपीडी में अंधेरा और उजाला के बीच आंखमिचौली चल रही है। कई बार रात के समय भी मरीजों को अंधेरे में रहना पड़ा। सोमवार दोपहर दैनिक जागरण ने एक बार फिर जिला अस्पताल की पड़ताल की। मेडिसिन विभाग की ओपीडी में डा. वीर सिंह और डा. आरके गुप्ता टार्च की रोशनी में मरीज देखते मिले। चिकित्सा स्टाफ ने बताया कि जनरेटर में गड़बड़ी से बिजली आपूर्ति घंटों तक बंद रही। बता दें कि गत 15 दिनों से चिकित्सालय में बिजली का संकट बना हुआ है।

फर्श पर मरीज, न डाक्टर का पता न स्टाफ का

इमरजेंसी वार्ड में कई महिलाएं फर्श के पास बनी सीमेंट की बेंच पर लेटी मिलीं। जबकि ओपीडी में बच्चों को फर्श पर लिटाकर उनके मां-बाप डाक्टरों का चक्कर लगाते मिले। उधर, वार्ड में परिजन अपने बुजुर्ग मरीजों को गोद व कंधे पर लेकर इधर से उधर भटकते मिले। वायरल बुखार की वजह से मेडिसिन की ओपीडी में सर्वाधिक भीड़ रही। इधर, दवा काउंटर पर भी मरीज लंबी कतार में देखे गए। सीएमएस डा. पीके बंसल ने कहा कि कैंपस में बिजली आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर कर लिया गया है।

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