मेरठ में बन रहे एस्ट्रोटर्फ की रोड़ी से बाहर निकली लापरवाही की घास, करोड़ों की लगी है लागत

कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में करोड़ों रुपये की लागत से बन रहे हाकी एस्ट्रोटर्फ में आखिरकार लापरवाही की घास बाहर निकल ही आई। दो साल से हॉकी का खेल बंद होने के कारा ग्रउंड खराब हो गया था। जिसके बाद रोडी बिछाई गई थी। अब इसपर घास निकल आई है।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 03:14 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 03:14 PM (IST)
मेरठ में बन रहे एस्ट्रोटर्फ की रोड़ी से बाहर निकली लापरवाही की घास, करोड़ों की लगी है लागत
मेरठ में हॉकी ग्राउंड पर रोड़ी डालने के बाद भी निकल आई घास।

[अमित तिवारी] मेरठ। कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में करोड़ों रुपये की लागत से बन रहे हाकी एस्ट्रोटर्फ में आखिरकार लापरवाही की घास बाहर निकल ही आई। हाकी एस्ट्रोटर्फ का काम दो सालों से बंद पड़े रहने के कारण वहां बहुतायत में घास उग गई थी। गिट्टी व रोड़ी की परत बिछाने के पहले उस पूरे स्थान को बंजर बनाया जाना चाहिए था। अर्थात वहां किसी भी तरह की घास दोबारा या एस्ट्रोटर्फ बनने के बाद न निकल सके, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। लेकिन लापरवाही और खराब निर्माण कार्य चलने का सबूत आखिरकर एस्ट्रोटर्फ के लिए बिछी रोड़ी की परत के बाहर निकल ही आई।

एस्ट्रोटर्फ के निर्माण में दो साल से पड़ी सामग्री की जांच किए बिना ही इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत किए जाने पर प्रशासनिक टीम की जांच में गुणवत्ता खराब मिली। इसे एक सपताह में ठीक करने को कहा गया लेकिन उसके बाद कोई देखने नहीं पहुंचा। इसी बीच संयुक्त खेल निदेशक अनिल कुमार बनौधा ने भी मौके की जांच की और यह आश्वासन दिया कि खराब गुडवत्ता होने पर कार्यदायी संस्था जिम्मेदार होगी। उनके साथ ही मेरठ पहुंचे कार्यदायी संस्था के पदाधिकारी ने भी निर्माण में सभी अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता का ख्याल रखे जाने का आश्वासन दिया। उनके जाने के 10 दिन के भीतर ही घास बाहर निकलने लगी है।

नहीं काम आया तेजाब डालना

एस्ट्रोटर्फ का काम जनवरी में शुरू होने से पहले ग्राउंड पर उगी घास को जलाने के लिए तेजाब डाला गया था। कुछ समय के बाद ही सारी घास जल गई। निर्माण एजेंसी की ओर से बताया गया कि अब कोई घास यहां नहीं निकलेगी, क्योंकि उसे तेजाब से जला दिया गया है। उसके बाद ही गिट्टी बिछाई गई और उसके बाद रोड़ी और डामर बिछाकर रोलर चलाया गया। एक परत के रोलर का काम पूरा होने के बाद अब डामर गिट्टी की रोड़ी भेद कर घास बाहर निकलने लगी है। ऐसा ही रहा तो कुछ दिनों में घास अधिक निकल आएगी और नीचे से नींव कमजोर रह जाएगी। जल्दबाजी में एस्ट्रोटर्फ बना भी दिया तो नीचे मिट्टी और रोड़ी को भेदते हुए घास एस्ट्रोटर्फ के बाहर भी निकल सकती है।

काम खराब हुआ तो नहीं होगा भुगतान

हॉकी एस्ट्रोटर्फ का काम कर रही निर्माण दाई संस्था यूपीपीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर अवधेश शर्मा के अनुसार एस्ट्रोटर्फ की गुणवत्ता जरा भी खराब रही तो ठेकेदार को भुगतान नहीं किया जाएगा। इसलिए हर बारीकी से गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। यह पूछने पर कि एक बार बन जाने के बाद अगर घास निकली तो उसे फिर से बनाना पड़ सकता है, उन्होंने कहा कि बीच-बीच में इसकी जांच की जा रही है। घास निकलने पर भी जवाब तलब करते हुए इसे ठीक कराने को कहा जाएगा। इसमें दोबारा तेजाब डाली जाएगी जिससे सभी घास जल जाए। हालांकि प्रोजेक्ट मैनेजर को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बिना रेगुलर निगरानी के घास ऊपर से तो जला दी जाएगी लेकिन उसकी जड़ें जो जमीन के भीतर हैं, वह आज नहीं तो कल फिर सतह को तोड़कर बाहर निकलेगी।

खेलो इंडिया योजना के तहत बन रही है हॉकी एस्ट्रोटर्फ

एस्ट्रोटर्फ का निर्माण खेलो इंडिया योजना के अंतर्गत की जा रही है। मुश्किल से इस योजना के तहत मेरठ को हॉकी एस्ट्रोटर्फ मिला है। एक साथ चार जगह पर अलग-अलग निर्माण कार्य प्रदेश में किए जा रहे हैं। ऐसे में गुणवत्ता को लेकर शिकायत रह जाने पर इसके बाद मरम्मत का कार्य भी अधूरा ही रह जाएगा। पहले ही जून 2018 में शुरू हुआ कार्य बीच में 2 साल तक बंद रहा और अब नए सिरे से निर्माण कार्य शुरू होने के बाद मई 2021 की डेडलाइन रखी गई है। वर्तमान में कार्य की प्रगति को देखते हुए मई तक इसे बनाने की योजना पूरी होती नहीं दिख रही है।  

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