Pulwama Encounter: सरकार ने टीकरी में खामोशी से महसूस किया देश का गुस्सा
Pulwama Encounter में शहीद हुए अजय कुमार की अंत्येष्टी में पहुंचे केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह से ग्रामीणों ने कहा पाकिस्तान से बदला नहीं तो वोट नहीं।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। बसा टीकरी गांव में सरकार ने देश का गुस्सा देखा, महसूस भी किया, लेकिन खामोशी की चादर ओढ़े रखी। शहीद अजय कुमार के अंतिम संस्कार में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह पहुंचे थे। वह करीब पांच घंटे लोगों के बीच रहे। लोगों ने मंत्री से कई सवाल का जवाब भी मांगा, लेकिन वह खामोश ही रहे। जवाब दे पाए तो बस इतना कि भरोसा रखें, प्रधानमंत्री समय आने पर शहादत का बदला लेंगे।
लोगों का गुस्सा झेला
सत्यपाल सिंह करीब 8.20 बजे सुबह शहीद के घर पहुंच गए थे और अंतिम संस्कार के बाद दोपहर एक बजे के आसपास वापस गए। इस दौरान उन्होंने खूब गुस्सा झेला, विरोध देखा। बदला लेने की मांग सुनी। लोगों ने सवाल किया कि केंद्रीय मंत्री गडकरी शिलान्यास करने बुधवार को आ सकते हैं तो एक दिन पहले शहीद के अंतिम संस्कार में क्यों नहीं आ सकते? मंत्री ने विपक्षी पार्टियों के ताने भी सुने पर खामोश ही रहे। केंद्रीय मंत्री का भरोसा चंद लोगों को छोड़कर बाकी के लिए कोरा आश्वासन भर ही था। लोगों ने स्मारक बनवाने समेत कुछ मांगें भी रखी थीं, जिस पर मंत्री ने जवाब दिया कि इसका फैसला प्रधानमंत्री करेंगे। इन बातों को लेकर लोग आक्रोशित हो गए। खुलकर बोले, ये कुछ नहीं कर सकते, वोट के लिए आए हैं।
महिलाओं ने भी ललकारा
महिलाओं ने ललकारा कि पाकिस्तान पर हमला नहीं तो वोट नहीं। कहा कि उन्हें बार्डर पर भेजा जाए। पुरुष भी कहने लगे कि सरकार में दम नहीं है, इसलिए गांव वालों को पाकिस्तान से बदला लेने की छूट दी जाए। यह गुबार दरअसल, सिर्फ बसा टीकरी का नहीं था। यह पूरे क्षेत्र, जिला और पूरे देश का था जो बसा टीकरी के जरिए शायद प्रधान सेवक तक भी पहुंच जाए।
नेताओं को बाहर करो
मैदान में अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जब डॉ. सत्यपाल सिंह व प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह पहुंचे तो युवाओं ने नारा लगाया नेताओं को बाहर करो।
लोगों का गुस्सा झेला
सत्यपाल सिंह करीब 8.20 बजे सुबह शहीद के घर पहुंच गए थे और अंतिम संस्कार के बाद दोपहर एक बजे के आसपास वापस गए। इस दौरान उन्होंने खूब गुस्सा झेला, विरोध देखा। बदला लेने की मांग सुनी। लोगों ने सवाल किया कि केंद्रीय मंत्री गडकरी शिलान्यास करने बुधवार को आ सकते हैं तो एक दिन पहले शहीद के अंतिम संस्कार में क्यों नहीं आ सकते? मंत्री ने विपक्षी पार्टियों के ताने भी सुने पर खामोश ही रहे। केंद्रीय मंत्री का भरोसा चंद लोगों को छोड़कर बाकी के लिए कोरा आश्वासन भर ही था। लोगों ने स्मारक बनवाने समेत कुछ मांगें भी रखी थीं, जिस पर मंत्री ने जवाब दिया कि इसका फैसला प्रधानमंत्री करेंगे। इन बातों को लेकर लोग आक्रोशित हो गए। खुलकर बोले, ये कुछ नहीं कर सकते, वोट के लिए आए हैं।
महिलाओं ने भी ललकारा
महिलाओं ने ललकारा कि पाकिस्तान पर हमला नहीं तो वोट नहीं। कहा कि उन्हें बार्डर पर भेजा जाए। पुरुष भी कहने लगे कि सरकार में दम नहीं है, इसलिए गांव वालों को पाकिस्तान से बदला लेने की छूट दी जाए। यह गुबार दरअसल, सिर्फ बसा टीकरी का नहीं था। यह पूरे क्षेत्र, जिला और पूरे देश का था जो बसा टीकरी के जरिए शायद प्रधान सेवक तक भी पहुंच जाए।
नेताओं को बाहर करो
मैदान में अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जब डॉ. सत्यपाल सिंह व प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह पहुंचे तो युवाओं ने नारा लगाया नेताओं को बाहर करो।