पहले जाते थे खेलों का सामान डिलीवर करने, आज 206 देशों से है कारोबार

राकेश कोहली परिश्रम से पीछे नहीं हटे और आज उनकी स्टैग इंटरनेशनल कंपनी दुनिया के 206 देशों के साथ कारोबार करती है।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 10 Aug 2018 11:20 AM (IST)
पहले जाते थे खेलों का सामान डिलीवर करने, आज 206 देशों से है कारोबार

1975 में 17 वर्ष की उम्र में साइकिल चलाकर 40 किमी दूर तक खेल सामान डिलीवर करते थे। नए ग्राहकों से संपर्क बनाते थे। उन्‍होंने अपनी ही गाड़ी में टेबल टेनिस का सामान भरकर दिल्ली में ग्राहकों तक पहुंचाया। 60 साल के राकेश कोहली ने कर्नाटक के तमाम स्टेशनों पर नीचे सोकर रात गुजारी, लेकिन वह परिश्रम से पीछे नहीं हटे। आज उनकी स्टैग इंटरनेशनल कंपनी दुनिया के 206 देशों के साथ कारोबार करती है। 60 वर्ष की उम्र में भी वह फिट और ऊर्जा से लबरेज नजर आते हैं। नए उद्यमियों के वह आइकॉन हैं। 

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वह 2024 तक भारत में टेबल टेनिस का ओलम्पियन पदक विजेता तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। संघर्ष के सफर से तय हुई मंजिल राकेश कोहली के दादा अर्जुनदास कोहली ने सियालकोट में कंपनी की नींव रखा। उनके पिता तिलकराज कोहली ने कारोबार को आगे बढ़ाया। सत्तर के दशक युवा राकेश ने परिश्रम करते हुए कारोबार की दिशा बदल दी। बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय से एमबीए करने के बाद उन्होंने अपने उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की दिशा में काम करना शुरू किया। इसका नतीजा रहा कि 1983 में उनके उत्पादों को भारतीय टेबल टेनिस संघ ने मान्यता दे दी। 

1987 में भारत में टेबल टेनिस की अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई, जिसमें वर्ल्‍ड टेबल टेनिस फेडेरशन से भी मान्यता मिल गई। युवा कारोबारियों में लोकप्रिय राकेश ने रिसर्च पर ज्यादा जोर दिया। पहली बार व्हील पर चलने वाली टेबल टेनिस बनाकर खेल जगत को बड़ा तोहफा दिया। 1991 से स्टैग कंपनी के उत्पादों पर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट शुरू हो गए। अब वर्ल्‍ड चैंपियनशिप, यूरोपियन चैंपियनशिप, एशियन गेम्स से लेकर ओलंपिक तक में स्टैग की टेबल टेनिस नजर आती है। इस समय 206 देशों के साथ कारोबार है, जबकि 58 कंपनियों को स्पांसर कर रहे हैं। राकेश कोहली फिटेनस पर खुद भी बेहद ध्यान देते हैं।

वह खुद भी टेबल टेनिस एवं लॉन टेनिस में वेटरन कैटेगरी में कई विश्वस्तरीय स्पर्द्धा जीत चुके हैं। लगन ऐसी कि देश में कही भी स्पर्द्धा की सूचना मिले तो वह उत्साहवर्द्धन करने जरूर जाते हैं।

अगर ऐसा हो तो स्‍पोटर्स इंडस्‍ट्रीज को मिलेगी गतिराकेश कहते हैं, "सरकार सहूलियतें देती हैं, किंतु लागू करने में स्थानीय प्रशासन को तत्परता दिखानी होगी। एक्सपोर्ट हाउस बनाने से मेरठ और आसपास के क्षेत्रों का निर्यात बेहतर होगा। उन्हें नई दिल्ली के आसपास स्टोर करने की जरूरत नहीं होगी। कनेक्विटीविटी के सभी साधन, मसलन एयरपोर्ट, मेट्रो, सड़क को दुरुस्त रखना होगा। तभी औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।"कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने की जरूरत है। उद्योगों की स्किल को बढ़ाने के लिए नए केंद्र खोले जाने चाहिए, जिसमें विदेशी विशेषज्ञों को भी बुलाना जरूरी है।औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी और परिवहन की खास अहमियत होती है। मेरठ में इसे विशेष रूप से दुरुस्त करने की आवश्‍यकता है।उद्यमियों के साथ सरकारी विभागों के रिश्तों में और पारदर्शिता होनी चाहिए। विभागों को नोटिस भेजने में खास सावधानी बरतनी चाहिए।उद्यमियों को भी सरकारी नियमों का पालन करना चाहिए। समयबद्ध तरीके से टैक्स जमा करें। जीएसटी में जटिलताएं जरूर हैं, किंतु देश के लिए योगदान जरूरी है।

- राकेश कोहली, चेयरमैन, स्टैग इंटरनेशनल कंपनी

 

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