हुनर की पिच पर जड़ दी रोजगार की सेन्‍चुरी

नेल्को कंपनी के निदेशक 43 वर्षीय अंबर आनंद नई सोच के उद्यमी हैं। वह जानते हैं कि नई पीढ़ी जितना ट्रेंड होगी, कारोबार उतना ही विकसित होगा।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Tue, 07 Aug 2018 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 07 Aug 2018 10:41 AM (IST)
हुनर की पिच पर जड़ दी रोजगार की सेन्‍चुरी

अंबर आनंद युवा उद्यमी हैं, किंतु वह इसके लिए कौशल विकास के बड़े पैरोकार हैं। ओलंपिक स्तर के खेल सामान बनाने की कंपनी संचालित करने के दौरान वह अब तक पॉलीटेक्निक व आईटीआई संस्थानों के पांच सौ से ज्यादा छात्रों को प्रशिक्षित कर रोजगार की डगर दिखा चुके हैं। वह युवा प्रतिभाओं के दम पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेक्शन को नया आयाम देने के लिए तत्पर हैं।

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पांच सौ से ज्यादा लोग हुए ट्रेंड
नेल्को कंपनी के निदेशक 43 वर्षीय अंबर आनंद नई सोच के उद्यमी हैं। वह जानते हैं कि नई पीढ़ी जितना ट्रेंड होगी, कारोबार उतना ही विकसित होगा। आज दुनियाभर में तकनीकी की रेस लगी हुई है। वह मानते हैं कि चीन, जापान व यूरोपीय देशों की तरह इंजीनियर के छोटे-छोटे मॉडयूल्स में नए प्रयोग कर उद्योगों की काया बदली जा सकती है। वह उद्योगों से रोजगार की नई पौध खड़ी करने के कांसेप्ट पर काम कर रहे हैं। उन्होंने इसी तर्ज पर तीन दशक पहले मेरठ के पॉलीटेक्निक व आईटीआई कॉलेज के चुनिंदा छात्रों को प्रशिक्षित करना शुरू किया। हर बैच में करीब दस छात्रों को इंजीनियर व मॉल्डिंग के तमाम आयामों में दक्षता मिली। नतीजा ये हुआ कि अब तक पांच सौ से ज्यादा प्रशिक्षु तैयार कर लिए गए। इनमें से कई ने कंपनी में नौकरी कर ली, जबकि ज्यादातर ने अपना उद्यम लगाया। वह मानते हैं कि खेल इंडस्ट्री लाखों लोगों को रोजगार देने में सक्षम है। इसी कांसेप्ट पर वह आने वाले दिनों में नए वर्कशॉप लगाने का मन बना रहे हैं। उन्होंने एमएसएमई मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर मेरठ जैसे छोटे शहरों में तकनीकी अपग्रेड करने के लिए विशेष डेलीगेशन भेजने की भी बात की। केंद्र सरकार की नई योजनाओं में इसे शामिल कर लिया गया है। उधर, राज्य सरकार भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर बड़ा बजट खर्च करने जा रही है।

 ये है आनंद का कहना 

अंबर आनंद ने कहा, "इंडस्ट्री में रोजगार की बड़ी संभावनाएं हैं। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप व वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट जैसी तमाम योजनाएं बेहतर अवसर प्रदान करेंगी। नई औद्योगिक नीति सरल और दूरगामी है। सभी बड़ी इकाइयों को सरकारी निर्देशों के मुताबिक अपने यहां प्रशिक्षण की कार्यशाला संचालित करना चाहिए। नई दिल्ली से मेरठ की कनेक्टिीविटी सुधरने के साथ ही यह क्षेत्र आइटी का भी बड़ा रोजगार हब बन जाएगा। मेरठ में स्किल्ड कामगारों की बेहद जरूरत है। मेरा फोकस उत्पादों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए नई पीढ़ी को ट्रेंड रखने पर है।"

लाभार्थी ने यह कहा 

नेल्‍को में प्रशिक्षण प्राप्‍तकर्ता मनोज ने कहा, " मैं यहां दस साल पहले जुड़ा। कंपनी ने मेरी क्षमता को परखते हुए तीन वर्ष तक प्रशिक्षित किया। आज मैं डिस्कस व हैमर बनाने के तकरीबन सभी हुनर सीख चुका हूं। मेरे साथ के अन्य लोग कंपनी से प्रशिक्षित होकर निकले और कइयों ने अपना कारोबार शुरू किया। हमारी कंपनी में ट्रेंनिंग की गुणवत्ता बेजोड़ है। अब क्रिकेट उत्पादों के भी नए विशेषज्ञ तैयार हो रहे हैं।

ये होता तो बेहतर होता
अंबर मानते हैं कि देश में पर्याप्त प्रतिभा होते हुए भी चीन जैसा तकनीक विकास नहीं हो पा रहा है। इसके लिए सरकार को प्रशिक्षण के बड़े-बड़े वर्कशॉप लगाने चाहिए। पीपीडीसी केंद्र में तकनीकी को अपग्रेड करने के नए काम हो रहे हैं, किंतु मानव संसाधन के अभाव में इंडस्ट्री को भरपूर लाभ नहीं मिल पा रहा है। मेरठ जैसे हुनरमंद और कारोबारी शहरों में विदेशों के विशेषज्ञों के वर्कशॉप लगने चाहिए। किंतु इन सभी सुविधाओं के लिए मेरठ की कनेक्टिीविटी में सुधार करना होगा। सभी इकाइयों को आपसी सहयोग से एक कॉमन प्रशिक्षण केंद्र भी बनाना चाहिए। प्रशिक्षुओं को तकरीबन सभी प्रकार की इंडस्ट्री की तकनीकी जानकारी मिल जाएगी।

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