हार्ट अटैक के लक्षणों को जानें..तभी बचा पाएंगे जान

हार्ट अटैक की अब कोई उम्र नहीं रहीं। युवाओं में भी ऐसी बीमारियां खतरनाक रूप से उभरी हैं। खानपान में बदलाव, तनाव, उ'च कोलेस्ट्राल व अनुवांशिक वजहों से शुगर एवं हार्ट की बीमारी अनियंत्रित हो रही हैं। खासकर, सर्दियों में रक्त गाढ़ा होने से हार्ट अटैक का रिस्क ज्यादा होता है। दैनिक जागरण ने अपने नियमित कालम प्रश्न पहर में वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डा. ममतेश गुप्ता को निमंत्रित किया। इस दौरान पाठकों ने हार्ट की बीमारी से जुड़े तमाम विषयों पर प्रश्न किए। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश..

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 06:00 AM (IST)
हार्ट अटैक के लक्षणों को जानें..तभी बचा पाएंगे जान
हार्ट अटैक के लक्षणों को जानें..तभी बचा पाएंगे जान

मेरठ। हार्ट अटैक की अब कोई उम्र नहीं रहीं। युवाओं में भी ऐसी बीमारियां खतरनाक रूप से उभरी हैं। खानपान में बदलाव, तनाव, उच्च कोलेस्ट्राल व अनुवांशिक वजहों से शुगर एवं हार्ट की बीमारी अनियंत्रित हो रही हैं। खासकर, सर्दियों में रक्त गाढ़ा होने से हार्ट अटैक का रिस्क ज्यादा होता है। दैनिक जागरण ने अपने नियमित कालम प्रश्न पहर में वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डा. ममतेश गुप्ता को निमंत्रित किया। इस दौरान पाठकों ने हार्ट की बीमारी से जुड़े तमाम विषयों पर प्रश्न किए। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश..

कम उम्र में भी हृदय रोग होने के क्या कारण हैं। युवा अपना बचाव कैसे करें?

पुनीत शर्मा, बेगमपुल

-अनुवांशिक कारणों से भी हृदय की बीमारी होती है। उच्च कोलेस्ट्राल, ज्यादा वजन, शुगर, व्यायाम में कमी बड़े रिस्क फैक्टर हैं। बीएमआई को संतुलित रखें। ओमेगा-थ्री युक्त खानपान के लिए अलसी खाएं। यह हार्ट के साथ कैंसर का भी रिस्क कम करेगा।

आजकल सुबह छाने वाली धुंध हार्ट के मरीजों के लिए कितनी खतरनाक है?

महेश महेश्वरी, पंजाबीपुरा

-स्माग यानी प्रदूषित धुंध अस्थमा के अटैक का कारण बन सकती है। मार्निग वाक करने से बचें। हवा में आक्सीजन की मात्रा कम होने से हार्ट पर लोड बढ़ता है। खानपान में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड एवं वसा का संतुलन ठीक रखें।

मेरे पिताजी को सालभर पहले स्टेंट पड़ा था। अब उन्हें क्या सावधानी रखनी होगी?

विमल गुप्ता, जागृति विहार

-सर्द मौसम में विशेष सतर्कता रखें। खून पतला करने एवं कोलेस्ट्रोल नियंत्रित करने की दवा नियमित लें, अन्यथा स्टेंट फिर बंद हो सकता है। धूम्रपान और वजन पर नियंत्रण करें।

मैं उच्च रक्तचाप का मरीज हूं। क्या जाड़े में दवा की डोज नए सिरे से तय करवानी चाहिए। अस्थमा में क्या खतरा है?

राजीव, थापरनगर

-अपने डाक्टर से मिलकर रक्तचाप की दवाएं नए सिरे से तय कराएं। दिसंबर से फरवरी तक विशेष सतर्कता बरतें। अस्थमा में दाया हार्ट बढ़ जाता है। इस पर लोड पड़ने पर हार्ट फेल हो सकता है।

अचानक होने वाला हार्ट अटैक क्या होता है। क्या इसकी समय रहते पहचान हो सकती है?

अभिनव सिंह, कंकरखेड़ा

-कई रिस्क फैक्टर ऐसे हैं, जिसका इलाज संभव है, लेकिन कई अनुवांशिक होने से असाध्य हो जाते हैं। वजन कम रखें। फल, सलाद, ओमेगा-थ्री फैटी एसिड का सेवन करें। हालांकि अलसी से लूज मोशन हो सकता है, ऐसे में डाक्टर के परामर्श से अलसी लें।

बीपी, शुगर एवं वजन से दिल की बीमारी का क्या रिस्क है?

वसंती जोशी, शास्त्रीनगर

ये सभी बड़े रिस्क फैक्टर हैं। वक्त-वक्त पर ईको, लिपिड प्रोफाइल एवं अन्य जाच कराते रहें। तनावमुक्त रहें। योग करें।

चार साल पहले स्टेंट डलवाया था। दो दवाएं नियमित रूप से खा रहा हूं। क्या इसे जीवनभर खाना पड़ेगा?

अजय सेठी, कोशिश संगठन

-पूरी जिंदगी दवाएं खानी पड़ेंगी, अन्यथा आर्टरी में फिर से ब्लाकेज बन जाएगा। चिकनी एवं तली चीजें खाना बंद करें। धूम्रपान, एल्कोहल भी छोड़ें। पूरी नींद लेनी बहुत जरूरी है।

मेरा कोलेस्ट्राल बढ़ा हुआ है। क्या मैं पहले से हार्ट अटैक के रिस्क को जांच के जरिए पता कर सकता हूं?

वेदप्रकाश, किठौर

-कोलेस्ट्राल, बीएमआई, रक्तचाप, वजन एवं लिपिड प्रोफाइल के जरिए रिस्क फैक्टर जाना जा सकता है।

मेरी सांस में दिक्कत हो रही है। दमा जैसा महसूस हो रहा है, क्या हार्ट अटैक का भी खतरा है।

सगीर अहमद, रसीदनगर

-ये लक्षण अस्थमा एवं हार्ट दोनों के अटैक का कारण बन सकते हैं। लंग्स फंक्शन टेस्ट एवं ईको कराएं।

दो साल पहले हार्ट में स्टेंट डलवाया था। 58 साल की उम्र है। एंजियोग्राफी नार्मल आई है, लेकिन अब दिल की धड़कन कई बार अनियमित हो जाती है, क्या करूं?

अमरपाल, मवाना

-एंजियोग्राफी नार्मल है, तो संभव है कि खून की कमी हो गई हो, इससे भी धड़कन बढ़ती है। खून पतला करने की दवा खाने से भी ऐसा हो सकता है। आपको चिकित्सक से मिलकर दवाओं को नए सिरे से एडजस्ट कराना होगा।

ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण

-90 फीसद लोगों को भ्रम है कि हार्ट अटैक में बाई ओर दर्द होता है। यह दर्द निचले जबड़े से नाभि की ओर होते हुए फिर दोनों हाथों में पहुंचता है।

-तीनों आर्टरी से होकर दर्द कोहनी तक जाता है।

-गैस का दर्द समझकर किसी ऐसे दर्द को नजरंदाज नहीं करना चाहिए, जिसमें उक्त लक्षण हों।

ये है एंजाइना पेन

-आर्टरी में 70 फीसद से ज्यादा ब्लाकेज को क्रानिक स्टैबल एंजाइना कहते हैं। इसमें चलने एवं सीढ़ी चढ़ने पर सांस फूलती है।

-जब बैठने पर भी जकड़न या छाती में भारीपन महसूस होने लगे तो उसे अनस्टैबल एंजाइना कहते हैं, पर ईसीजी रिपोर्ट नार्मल आएगी। 90-95 फीसद तक ब्लाकेज पर ऐसे लक्षण उभरते हैं।

-अगर यही भारीपन 30 मिनट या ज्यादा ठहरने लगे। उल्टी, बेहोशी, घबराहट, सांस में तकलीफ व चक्कर आएं तो हार्ट अटैक भी हो सकता है।

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