अकादमिक संगोष्ठी : पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था कठिन लक्ष्य नहीं Meerut News

मोदी सरकार का सपना देश को 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए प्रधानमंत्री कई मंचों पर प्रतिबद्धता जता चुके हैं।

By Edited By: Publish:Tue, 24 Sep 2019 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 24 Sep 2019 06:00 AM (IST)
अकादमिक संगोष्ठी : पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था कठिन लक्ष्य नहीं  Meerut News
अकादमिक संगोष्ठी : पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था कठिन लक्ष्य नहीं Meerut News

मेरठ,जेएनएन। मोदी सरकार का सपना देश को 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। इसके लिए प्रधानमंत्री कई मंचों पर प्रतिबद्धता जता चुके हैं। हालांकि वर्तमान स्थितियां अनुकूल नहीं हैं, लेकिन फिर भी देश इस लक्ष्य को प्राप्त करने की तरफ बढ़ रहा है। अर्थशास्त्री भी इसे मुश्किल नहीं मानते। आर्थिक जानकारों का मानना है कि तमाम अवरोधों के बावजूद हम इस सपने को साकार कर सकते हैं।

दैनिक जागरण की अकादमिक संगोष्ठी में सोमवार को इसी मुद्दे पर विमर्श हुआ। 'पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य कितना आसान' विषय पर चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. अतवीर सिंह ने अपने विचार रखे। अतिथि के विचार हमें लक्ष्य ऊंचे रखने के साथ इसके लिए सार्थक प्रयास भी करते रहने चाहिए। देश की अच्छी आर्थिक सेहत के लिए सकल घरेलू उत्पाद ही अकेला संकेतक नहीं है। हालांकि माना जा रहा है कि जीडीपी दर 12 प्रतिशत तक रखने से 50 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था बनाई जा सकती है। इस दर को प्राप्त करने के लिए मांग बढ़ानी होगी। फिलहाल मांग में कमी देखी जा रही है।

सरकार ने भी इसे माना है। इसी कारण वित्तमंत्री ने कई राहत पैकेजों की घोषणा की, जिसका असर भी देखने को मिला। ये कदम बेहतरी की ओर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए पिछले दिनों कॉरपोरेट टैक्स में ऐतिहासिक कटौती की गई। इससे सेंसेक्स में बड़ा उछाल आया। कॉरपोरेट सेक्टर की मांग के अनुसार अगर यह कटौती बजट के समय कर दी जाती तो इसके परिणाम और बेहतर आ सकते थे। इसके साथ ही अमीरों पर लगने वाला सेस भी वापस लिया गया। मांग कम होना सही नहीं इस वक्त बाजार में मांग का कम होना चिंता का विषय है। मांग बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। इसके लिए चार तरीके अपनाए जा सकते हैं। निजी निवेश, राज्य व्यय, घरेलू उपभोग और निर्यात में बढ़ोतरी।

सरकार ने शुरू में अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए मौद्रिक उपाय किए, जो मंदी के समय इतने कारगर नहीं माने जाते। सरकार को राजकोषीय उपायों पर ही जोर देना होगा। वित्तीय घाटा नियंत्रित रहे राजकोषीय उपायों से फिस्कल डेफेसिट (वित्तीय घाटा) बढ़ सकता है, लेकिन इस वक्त सरकार को इस विषय में नहीं सोचना चाहिए। सरकार का लक्ष्य फिस्कल डेफिसिट को 3.3 प्रतिशत लाने पर है। अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए वित्तीय घाटे से कहीं न कहीं समझौता करना पड़ सकता है।

निवेशक मांग देखकर निवेश करता है। हमें बाजार में मांग बढ़ानी होगी। पांच ट्रिलियन डॉलर कोई बड़ा लक्ष्य नहीं है। फिलहाल हम 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास हैं। दस साल पहले हमने एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य पा लिया था। कर प्रणाली को सरलीकृत करने की जरूरत है। लघु और मध्यम इकाइयों को सरकार को वित्तीय मदद देनी होगी, जो देश में रोजगार को सबसे बड़ा जरिया है। रोजगार बढ़ेगा तो मांग में वृद्धि होगी।

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