बात पते की : दिल्‍ली तक का सफर 40 मिनट में कराने का सपना, सरकार की मजबूरी साकार करना

मेरठ से दिल्ली तक के मुसीबतों भरे सफर को मात्र 40 मिनट में पूरा कराने का सपना सरकार ने दिखाया है। अब सरकार की मजबूरी है कि वह इस सपने को जल्द साकार करे। हालांकि सरकार गंभीर है अधिकारी भी अलर्ट हैं।

By Prem BhattEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 05:00 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 05:00 PM (IST)
बात पते की : दिल्‍ली तक का सफर 40 मिनट में कराने का सपना, सरकार की मजबूरी साकार करना
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर धरने पर बैठे किसान।

मेरठ, [अनुज शर्मा]। सरकार ने मेरठ से दिल्ली तक के मुसीबतों भरे सफर को मात्र 40 मिनट में पूरा कराने का सपना दिखाया है। अब सरकार की मजबूरी है कि वह इस सपने को जल्द साकार करे। हालांकि सरकार गंभीर है, अधिकारी भी अलर्ट हैं। उन्होंने 31 दिसंबर तक मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे का काम हर हाल में पूरा कराने के लिए कमर कस रखी है। एनएचएआइ ने कोरोना की बाधा के बाद युद्धस्तर पर काम शुरू कराया ही था कि धरतीपुत्र आ गए। उनकी अपनी मजबूरी है। उनका कहना है कि जमीन तो सभी गांवों की एक सी है, फिर मुआवजा अलग-अलग क्यों? हालांकि धरतीपुत्रों ने आठ दिन काम की मोहलत दे दी है, लेकिन न तो उनकी मांग आसान है और न ही उसके पूरा हुए बिना धरतीपुत्रों का मानना। इधर, जनता जल्द से जल्द एक्सप्रेस-वे पर फर्राटा भरना चाहती है। देखना है कि परिणाम क्या होता है?

एलाइनमेंट बदला, राजनीति बरकरार है

मेरठ से प्रयागराज तक गंगा के किनारे-किनारे सफर कराने की योगी सरकार की घोषणा ने मेरठ में किसानों को दो गुटों में बांट दिया है। विवाद एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट का है। सरकार कम दूरी और खर्च वाला प्रस्ताव चाहती है। सर्वे कंपनी ने इसके एलाइनमेंट के कई प्रस्ताव बनाए, जिससे भूमि मालिकों में खलबली मच गई। हर कोई इसे अपने गांव से गुजरवाने में लगा है। एपीडा वेबसाइट पर हाजीपुर गांव का नाम आते ही भूमि मालिकों (किसानों और अन्य लोगों) के दो गुट सामने आ गए। दोनों ही प्रदेश और केंद्र दोनों दरबार में गुहार लगा रहे हैं। हंगामा देख एपीडा ने अब इसे बिजौली गांव से गुजारने की सूचना दर्ज कर दी है। एक्सप्रेस-वे का एलाइनमेंट तो बदल गया है, लेकिन इसपर राजनीति अभी भी नहीं थमी है। किरदार अभी भी वही सभी हैं, लेकिन दोनों धड़ों की मांग अब उलट गई है।

शुरू है पंचायत चुनाव प्रचार

पंचायत चुनाव की घोषणा भले ही अभी न हुई हो, लेकिन चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी करने वाले नेता पूर्ण सक्रिय हैं। उम्मीदवारों की बात छोडि़ए, यहां तो राजनीतिक पाॢटयां भी अभी से चुनावी मैदान में उतर आई हैं। पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रमों को देखकर यह बात साबित है। सत्ताधारी पार्टी से इतर सभी दल प्रत्येक घटना और दुर्घटना का राजनीतिक लाभ लेने के लिए आतुर हैं। जहरीली शराब का मामला हो या फिर व्यापारी से लूट आदि आपराधिक घटनाएं, और अब कृषि विधेयक, जैसे ही कुछ भी होता है, सारे के सारे सरकार के खिलाफ झंडे पोस्टर लेकर सड़कों पर उतर जाते हैं। सोमवार का दिन इस मामले में ऐतिहासिक रहा। सपा, कांग्रेस, आप और भाकियू के साथ अन्‍य दलों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि राजनीतिक दल पंचायत चुनाव की तैयारी को लेकर कितने गंभीर हैं।

दिल्ली गई मेरठ की आक्सीजन

कोरोना संक्रमण मेरठ में भी बेकाबू सा होता दिखाई दे रहा है। हालांकि एक बारगी तो इसे काबू कर लिया गया था, लेकिन एक महीने से कोरोना की चाल तेज है। संक्रमण के नए मामले और मौत की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इससे जूझते जूझते डीएम चले गए, अब कोरोना से जंग की कमान नए डीएम बालाजी के कंधों पर है। उनके सामने तमाम चुनौतियां हैं। संक्रमितों की पहचान, जांच, उनका इलाज, दवा, कोरोना वार्डों में सफाई के साथ-साथ अब नई चुनौती आक्सीजन है। सूचना है कि मेरठ के हिस्से की आक्सीजन भी दिल्ली जा रही है। मेरठ में आक्सीजन की किल्लत है। बिना आक्सीजन मरीजों का दम फूल रहा है। हालांकि प्रशासन और अस्पताल हालात काबू में रहने का दावा कर रहे, लेकिन आक्सीजन की यह कमी बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है। इसका स्थायी समाधान करना होगा।

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