द्रास दिवस : छह महीने की सेवा में देश पर कुर्बान हुए वीर सुमित

कारगिल में ऑपरेशन विजय के दो दशक पूर्ण होने पर भारतीय सेना अपने वीरों की शहादत को नमन कर रही है। मेरठ छावनी में तैनात गढ़वाल रेजिमेंट की 18वीं बटालियन के हीरो कैप्टन सुमित रॉय थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Jun 2019 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 30 Jun 2019 06:24 AM (IST)
द्रास दिवस : छह महीने की सेवा में देश पर कुर्बान हुए वीर सुमित
द्रास दिवस : छह महीने की सेवा में देश पर कुर्बान हुए वीर सुमित

मेरठ । कारगिल में ऑपरेशन विजय के दो दशक पूर्ण होने पर भारतीय सेना अपने वीरों की शहादत को नमन कर रही है। मेरठ छावनी में तैनात गढ़वाल रेजिमेंट की 18वीं बटालियन के हीरो कैप्टन सुमित रॉय थे। उन्होंने महज छह महीने के सेवाकाल में ही शहादत को गले लगा लिया। शहादत के पूर्व उन्होंने वीरता और साहस की ऐसी लकीर खींच दी हैं, जिसे बटालियन के साथ ही भारतीय सेना भी नमन कर रही है। कारगिल के द्रास सेक्टर से दुश्मन को उखाड़ने के लिए बटालियन को युद्ध सम्मान द्रास मिला और कैप्टन सुमित रॉय को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया। 'तीन पत्थर' जीतकर बढ़े 4700 की ओर

कैप्टन सुमित रॉय और उनकी प्लाटून को 20 जून को आगे बढ़ने के निर्देश मिले। प्वाइंट 5,140 बेहद महत्वपूर्ण स्थान था, जहां दुश्मन का कब्जा था। उससे पहले कैप्टन रॉय ने अपनी प्लाटून के साथ प्वाइंट 5140 के पूर्वी छोर 'तीन पत्थर' को सुरक्षित कर लिया। इसके बाद उन्हें प्वाइंट 4,700 की ओर बढ़ने का निर्देश मिला। सीधी चढ़ाई वाले इस चोटी पर चढ़कर दुश्मन से लड़ने के लिए बेहद दृढ़ता और गलती रहित लीडरशिप क्वालिटी की जरूरत थी। 5140 पर कब्जे के लिए इस प्वाइंट को दुश्मन से छुड़ाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि यहां पर दुश्मन ने आर्टीलरी गनें लगा रखी थीं। इनके निशाने पर सामने से आने वाली सैन्य टुकड़ी थी। आधी रात को की चढ़ाई

सीधी चोटी पर दुश्मन पर चौकाने वाला हमला करने के लिए कैप्टन सुमित रॉय ने रात साढ़े 11 बजे ऑपरेशन शुरू किया। अपनी टुकड़ी के साथ रात में ही ऊपर पहुंचे और दुश्मन पोस्ट के निकट पहुंचकर करीब तीन घंटे चुपचाप उनपर नजर गड़ाए रखी। इसी दौरान दुश्मन को चारों ओर से घेरकर चौतरफा हमला किया गया। कैपटन सुमित रॉय ने स्वयं आमने-सामने की लड़ाई में दो पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। भारी मात्रा में हथियार और खाद्य सामग्री होने के दुश्मन चोटी छोड़कर भाग निकले। इसके लिए सुमित को वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया। प्वाइंट 4700 के बाद रेजिमेंट ने 5140 पर भी कब्जा कर द्रास सेक्टर को दुश्मन से आजाद करा लिया। तीन जुलाई 1999 को दुश्मन की आर्टीलरी गोले से जख्मी होने के बाद वह महज 21 साल की उम्र में शहीद हो गए। वीरता के लिए मिला युद्ध सम्मान

द्रास सेक्टर में 18वीं गढ़वाल राइफल्स की वीरता और साहस के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ यूनिट साइटेशन से नवाजा गया। इसके साथ ही युद्ध सम्मान यानी बैटल ऑनर 'द्रास' और थिएटर ऑनर 'कारगिल' से भी नवाजा गया। इस लड़ाई के लिए बटालियन को छह वीर चक्र, आठ सेना मेडल, सात मैनशन-इन-डिस्पैचेस, दो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड से नवाजा गया है। इस दिवस को बटालियन 'द्रास डे' के तौर पर मनाती है और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

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