Positive India: प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना को मात देगा मेरठ मेडिकल कालेज, कोविड वार्ड से स्वस्थ हो चुके हैं दो रोगी

Positive India मेरठ के मेडिकल में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया जाएगा। इससे न सिर्फ वार्डों की संख्‍या बढ़ी है बल्कि आइसीयू के लिए भी उम्मीदें बढ़ गई हैं।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 19 Apr 2020 08:13 PM (IST) Updated:Mon, 20 Apr 2020 10:30 AM (IST)
Positive India: प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना को मात देगा मेरठ मेडिकल कालेज, कोविड वार्ड से स्वस्थ हो चुके हैं दो रोगी
Positive India: प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना को मात देगा मेरठ मेडिकल कालेज, कोविड वार्ड से स्वस्थ हो चुके हैं दो रोगी

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। Positive India कोरोना वायरस को शिकस्त दे चुके मरीज अब दूसरे पीडि़तों को जीवनदान देंगे। मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर उन पर प्लाज्मा थेरेपी आजमाने की तैयारी है। स्वस्थ हो चुके मरीजों से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की गई है। उधर, मर्चेंट नेवी में कैप्टन रहे अश्वनी गर्ग समेत दो मरीजों ने मेडिकल कालेज को प्लाज्मा डोनेट करने की स्वीकृति दे दी है।

एम्स के संपर्क में कोविड वार्ड

मेडिकल कालेज के कोविड-19 वार्ड के प्रभारी डा. टीवीएस आर्य ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एम्स दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के संपर्क में हैं। इस थेरेपी से अमेरिका और यूरोपीय देशों में आइसीयू के मरीज बड़ी संख्या में ठीक हुए हैं। लखनऊ और नई दिल्ली के चंद अस्पतालों में कोविड के मरीजों पर थेरेपी सफल रही है। ठीक हो चुके मरीज के खून से 200 मिलीलीटर प्लाज्मा निकालकर आइसीयू के मरीज को चढ़ाया जाएगा। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बन जाने से लिवर एवं अन्य आर्गन फेल होने से बच जाते हैं। अगर कोई ठीक हो चुका व्यक्ति 800 मिलीलीटर खून डोनेट करता है तो चार मरीजों की जान बचा देगा।

70 फीसद तक कारगर मिली थेरेपी

फोर्टिस गुडग़ांव के हेमेटोलॉजिस्ट व मेरठ निवासी डा. राहुल भार्गव का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी 120 साल पुरानी जर्मन तकनीक है। ये सार्स और स्वाइन फ्लू के मरीजों में भी कारगर थी। बताया कि रक्त कोशिकाओं में प्लाज्मा तरल रूप में होता है। स्वस्थ व्यक्ति में कोविड-19 के प्रति 14 दिन बाद पूरी तरह एंटीबाडी बन चुकी होती है। जिसे निकालकर दूसरे मरीज में चढ़ाने से पहले परीक्षण कर लिया जाता है। इसका इम्यूनोग्लोबिन निकालकर दूसरे मरीज में देते हैं, जिससे उसका शरीर वायरस से लडऩे लगता है। बाद में मरीज की खुद की एंटीबाडी भी बन जाती है। चीन ने इस थेरेपी से कई मरीजों की जान बचाई है।

इनका कहना है...

एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया से प्लाज्मा थेरेपी पर बात हुई है। मेडिकल कलेज ने कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों से स्वैच्छिक रूप से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की गई है। दो लोगों ने सहमति भी दी है। आइसीयू के मरीजों के लिए थेरेपी बेहद कारगर साबित होगी। ब्लड ग्रुप की कोई समस्या भी नहीं है।

- डा. टीवीएस आर्य, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग एवं इंचार्ज कोविड-19 वार्ड

मैं कोविड वार्ड में 20 दिन गुजारकर निकला हूं। मेडिकल को जब भी जरूरत होगी, वो हमारा प्लाज्मा लेकर दूसरे मरीजों का जीवन बचाएंगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी। विदेशों में प्लाज्मा तकनीक पर तेजी से काम हो रहा है।

- अश्वनी गर्ग, कोरोना विजेता, मेरठ।

प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के इलाज में तेजी से कारगर मिला है। कोरोना से ठीक हुए मरीज की एंटीबाडी स्ट्रेंथ की जांच होती है। फिर प्लाज्मा निकालकर संक्रमित मरीज के शरीर में चढ़ाते हैं। इस थेरेपी से यूएसए, चीन व यूरोप में भी 70 प्रतिशत से ज्यादा गंभीर मरीज ठीक हुए हैं।

- डा. राहुल भार्गव, हेमेटोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल।  

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