मेरठ में एक इंस्टीट्यूट ऐसा भी, जो बिजली बचाता है और बेचता भी है

देहरादून बाईपास स्थित मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी बिजली की खपत कम करने व बिजली बिल की राशि बचाने के बारे में सोचने वालों के लिए सीख की तरह है। उसकी बिजली की जरूरत तो पूरी होती है।जो बिजली बच जाती है वह ऊर्जा निगम को चली जाती है।

By Edited By: Publish:Mon, 23 Nov 2020 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 23 Nov 2020 09:00 AM (IST)
मेरठ में एक इंस्टीट्यूट ऐसा भी, जो बिजली बचाता है और बेचता भी है
मेरठ में एमआइईटी बिजली बिल की राशि बचाने के बारे में सोचने वालों के लिए सीख की तरह है।

मेरठ, जेएनएन। देहरादून बाईपास स्थित मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी (एमआइईटी) बिजली की खपत कम करने व बिजली बिल की राशि बचाने के बारे में सोचने वालों के लिए सीख की तरह है। इंस्टीट्यूट ने 450 केवी का सौर ऊर्जा प्लांट लगाया है। इससे उसकी बिजली की जरूरत तो पूरी होती है। सोने पे सुहागा यह है कि जो बिजली बच जाती है वह ऊर्जा निगम को चली जाती है। इससे बिजली बिल का प्रतिमाह लाखों रुपये बच रहा है। लाभ इंस्टीट्यूट को हो रहा है और सराहना सरकार करती है।

यूपीनेडा की ओर से हर साल पुरस्कृत किया जाता है। प्रतिमाह 1800 यूनिट बिजली पैदा करता है इंस्टीट्यूट 26 एकड़ में फैले इंस्टीट्यूट के लिए 450 केवी का सौर ऊर्जा प्लांट 2016 में स्थापित किया गया था। इससे 1800 यूनिट बिजली प्रतिदिन पैदा होती है। सामान्य दिनों या सर्दी में 1200 से 1500 यूनिट बिजली की जरूरत रहती है। गर्मी में एसी, पंखे चलाने की वजह से लोड बढ़ जाता है, तब खपत बढ़कर 2500 यूनिट पहुंच जाती है। ऐसे में गर्मी में तो प्रतिदिन 700 यूनिट बिजली खरीदनी पड़ती है जबकि सामान्य दिनों में खपत कम होने से करीब 250 यूनिट बिजली ऊर्जा निगम के ग्रिड को दे दी जाती है। इंस्टीट्यूट को जब बिजली खरीदने की जरूरत पड़ती है तब जितनी यूनिट इंस्टीट्यूट ग्रिड को देता है उतनी यूनिट बिजली बिल से घटा दी जाती है।

इंस्टीट्यूट में इस पूरी व्यवस्था की निगरानी करने वाले मेकेनिकल इंजीनिय¨रग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अंकुर वर्मा ने बताया कि इससे प्रतिमाह करीब चार लाख रुपये की बिजली की बचत हो जाती है। रखरखाव में कोई खर्च नहीं, पुरस्कार भी अंकुर चौधरी बताते हैं कि सौर ऊर्जा के प्लेटों को छतों पर रखवा दिया गया है। सिर्फ उससे ही धूल साफ करने के लिए कर्मचारी हैं, बाकी कोई खर्च रख-रखाव पर नहीं होता। इसमें पौने दो करोड़ रुपये की लागत आई थी, जिस पर सरकार की ओर से 30 फीसद सब्सिडी मिली थी। इस प्रयास से 2016 में यूपीनेडा की ओर से राज्य ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार मिला।

पूरे प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहा। 2017 व 18 में प्रथम पुरस्कार मिला। 2019 में द्वितीय पुरस्कार मिला। ग्रीन इनीशिएटिव शुरू करने पर मिली जानकारी : विष्णु शरण एमआइईटी के चेयरमैन विष्णु शरण अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2016 में इंस्टीट्यूट में गो ग्रीन इनीशिएटिव कार्यक्रम शुरू किया था। तभी बेटे गौरव ने सौर ऊर्जा प्लांट की जानकारी दी। उस समय 100 केवी का प्लांट लगाया, लेकिन जब इससे लाभ दिखाई दिया तो क्षमता बढ़ाकर 450 केवी की कराई। पूरे परिसर में एलईडी लाइट लगाने का काम जारी है।

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