सांसदों की लॉबी खड़ी करेंगे पश्चिम के वकील

रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर पिछले चार दशक से सक्रिय लड़ाई लड़ रहे पश्चिमी

By Edited By: Publish:Fri, 12 Feb 2016 02:11 AM (IST) Updated:Fri, 12 Feb 2016 02:11 AM (IST)
सांसदों की लॉबी खड़ी करेंगे पश्चिम के वकील

रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ

हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर पिछले चार दशक से सक्रिय लड़ाई लड़ रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकील अब इलाहाबाद की काट में राजनीतिक लॉबी खड़ी करने की तैयारी में जुट गए हैं। पश्चिमी उप्र में हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग को बुलंद करने और संसद में यह आवाज बजट सत्र के दौरान गूंजे, इसकी खातिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी सांसदों को एकजुट करने की तैयारी है। जल्द ही इन सभी सांसदों के साथ पश्चिमी उप्र हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के पदाधिकारी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इसमें दर्जनों सामाजिक संगठनों के साथ दिल्ली बार के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन रोहिताश अग्रवाल का कहना है कि इस बार हम राजनीतिक रूप से भी मजबूत होकर जंतर-मंतर पर अलख जगाएंगे।

रोहिताश अग्रवाल का कहना है कि पहले 20 फरवरी को सहारनपुर में बैठक तय थी, लेकिन लखनऊ प्रकरण की वजह से अब यह बैठक 27 फरवरी को होगी। इसी बैठक में दोनों कार्यक्रमों की तिथि तय की जाएगी। कोशिश है कि इस बार संसद में पश्चिमी उप्र में सुलभ और सस्ता न्याय की आवाज जोर-शोर से उठे। चूंकि हमारे आंदोलन में आगरा साथ नहीं है, इसलिए हमारी यही मांग है कि पश्चिमी उप्र में आगरा को छोड़ कहीं भी बेंच स्थापित की जाए।

केंद्रीय संघर्ष समिति के संयोजक और मेरठ बार एसोसिएशन के महामंत्री संजय शर्मा ने कहा कि 15 फरवरी को उपचुनाव के बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान के साथ मिलकर सभी सांसदों से संपर्क स्थापित किया जाएगा। पूर्व में भी सभी का सहयोग मिला है, अब सभी को एक मंच पर लाना है। हमारी स्पष्ट मांग होगी कि मौजूदा केंद्र सरकार पश्चिमी उप्र में कहीं भी बेंच स्थापना को हरी झंडी दे दे। स्थान को लेकर हमारी कोई लड़ाई नहीं है।

हर साल बढ़ रहे हैं लंबित वाद

संजय शर्मा का कहना है कि मौजूदा समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट में 15 लाख से अधिक वाद लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट भी सबसे अधिक इलाहाबाद को लेकर ही चिंतित हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि हर वर्ष 1.196 फीसद वाद बढ़ते जा रहे हैं।

ट्रायल से पहले जिंदगी खत्म हो जाती है

केंद्रीय संघर्ष समिति के संयोजक का कहना है कि उप्र की बिगड़ती कानून व्यवस्था की बड़ी वजह लंबित वाद भी है। अपराधी भी जानते हैं कि अपराध करने के बाद तीन-छह माह बाद उन्हें बेल मिल जाएगी और ट्रायल चलते-चलते लंबा कालखंड बीत जाएगा। ट्रायल खत्म होने से पहले जिंदगी खत्म हो जाती है।

एक नहीं तीन बेंच देना चाहती है केंद्र

वकीलों के एक गुट का कहना है कि उन्हें अंदर की सूचना है कि केंद्र सरकार पूरी तरह से बेंच देने के मूड में है, लेकिन एक नहीं तीन। एक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, जबकि एक बुंदेलखंड और एक बनारस में। बुंदेलखंड में जहां विधानसभा के लिए भाजपा सपा को साधने की कोशिश में है, वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और बिहार से लगते पूर्वाचल के लोगों को भी अपने पाले में करने की कोशिश है।

इनसेट

न प्रदेश और न ही चीफ जस्टिस की अनुशंसा जरूरी

पश्चिमी उप्र को बेंच दिए जाने के सवाल पर पिछले दिनों जागरण के फोरम में इस मांग को खारिज करने वाले सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से क्या मिलने या उन्हें राजी करने की कोई योजना है, इस संबंध में पूछे जाने पर हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन और मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहताश अग्रवाल का कहना है कि चूंकि रीआर्गेनाइजेशन एंड एमेलगमेशन एक्ट 1956 के तहत उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और बिहार में बेंच की स्थापना के लिए संबंधित प्रदेश सरकार या हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से अनुशंसा की कोई आवश्यकता नहीं होती। केंद्र सरकार अपने स्तर पर यह काम कर सकता है, लिहाजा उप्र सरकार को राजी कराने में हम समय व्यतीत नहीं करना चाहते। अब से पहले भी दर्जनों मुख्यमंत्रियों को हमने राजी किया और सभी का समर्थन रहा। जनता और साथियों की अगर इच्छा है तो हम एक प्रतिनिधिमंडल लेकर मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे और अपनी मांग पर उन्हें राजी कराएंगे ताकि राजनीतिक रूप से हमें हमारा पक्ष और मजबूत हो।

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