बांग्लादेश के अफसरों से साझा किया अनुभव

मेरठ: मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत गुरुवार को बांग्लादेश के तीस सिविल सर्विस अफसरों का प्रति

By Edited By: Publish:Fri, 27 Nov 2015 01:36 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2015 01:36 AM (IST)
बांग्लादेश के अफसरों से साझा किया अनुभव

मेरठ: मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत गुरुवार को बांग्लादेश के तीस सिविल सर्विस अफसरों का प्रतिनिधिमंडल मेरठ पहुंचा। यहां के अधिकारियों की कार्यशैली के बारे में जानकारी की। इस दौरान बांग्लादेशी अफसरों के प्रतिनिधिमंडल के मुखिया और डिप्टी सेक्रेट्री नुरूल आलम ने मेरठ के जिलाधिकारी से कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की।

बांग्लादेशी अफसरों के 30 सदस्यों का बैच इन दिनों भारत दौरे पर है। बांग्लादेश से आए इस 23वें बैच ने पिछले एक सप्ताह तक मसूरी में ट्रेनिंग ली और गत दिवस दिल्ली में ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया। जिला स्तरीय कार्यक्रमों के संचालन, अफसरों के अधिकार आदि से रू-ब-रू होने के मकसद से वे मेरठ पहुंचे हैं। दौरे के संयोजक नेशनल सेंटर फॉर गुड गर्वनेंस, नई दिल्ली के कोर्स को-ऑर्डिनेटर एपी सिंह ने बताया कि चूंकि मेरठ का ऐतिहासिक महत्व है, यह एक बड़ा जिला है, लिहाजा इस मकसद से इस बार ट्रेनिंग के लिए मेरठ को चुना गया। बचत भवन में पहले डीएम पंकज यादव ने प्रशासनिक ढांचे और कार्यो के बारे में पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विस्तार से बताया। इसके बाद डीआइजी आशुतोष कुमार ने बताया कि किस तरह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यहां की पुलिस अपने काम को अंजाम देती है। ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन, पेंशन वितरण आदि की व्यवस्था के हर पहलू से सीडीओ नवनीत चहल ने टीम को अवगत कराया।

कार्यक्रम के दौरान ही बांग्लादेशी अफसर ने कहा कि हम जानते हैं कि भारतीय अफसरशाही कई अन्य देशों की तुलना में काफी मजबूत है, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि यहां अफसरों को कितना राजनीतिक दबाव झेलना पड़ता है। नूरूल हसन के इस सवाल पर मेरठ के अधिकारी हंसने लगे। डीएम पंकज यादव ने कहा कि वे राजनीतिक दबाव पर विश्वास नहीं करते। राजनेता अगर कुछ कहते भी हैं तो वे उसे सुझाव की तरह लेते हैं, अगर सही लगता है तो उसका क्रियान्वयन होता है। कार्यक्रम के अंत में जब नूरुल हसन से पूछा गया कि उनके देश में राजनीतिक दबाव का क्या स्तर है तो उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की अफसरशाही भी अब राजनीतिक दबाव से उबरने की कोशिश कर रही है। ट्रेनिंग सेशन के बाद इन्होंने कलक्ट्रेट के विभिन्न कार्यालयों का भ्रमण किया। अफसरों के कोर्ट में भी गए।

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