हालात बदतर,फिर भी सौ में सत्तर

मेरठ : मेडिकल कालेज की सेहत भले ही दुरुस्त नहीं है, लेकिन शुक्रवार को स्टाफ हाई अलर्ट मोड में नजर आय

By Edited By: Publish:Sat, 05 Sep 2015 02:15 AM (IST) Updated:Sat, 05 Sep 2015 02:15 AM (IST)
हालात बदतर,फिर भी सौ में सत्तर

मेरठ : मेडिकल कालेज की सेहत भले ही दुरुस्त नहीं है, लेकिन शुक्रवार को स्टाफ हाई अलर्ट मोड में नजर आया। आइसीयू व आइएसयू में एसी बंद होने, लिफ्ट एवं जेनसेट खराब पड़ने और बाहर की दवाइयों की शिकायत के बाद भी शासन ने मेडिकल कालेज को सौ में सत्तर नंबर दिए। उन्होंने मेडिकल कालेज को सुपरस्पेशलिटी में तब्दील करने की भी बात कही।

मेडिकल चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त सचिव संजय उपाध्याय ने शुक्रवार को परिसर का औचक निरीक्षण किया। सबसे पहले उन्होंने ओपीडी एवं अल्ट्रासाउंड केंद्र की जांच की। काउंटर पर भीड़ देखकर उन्होंने कई मरीजों से भी व्यवस्था की पोल ली। माहभर की वेटिंग चल रही अल्ट्रासाउंड जांच में जादुई सुधार देखा गया। जांच के दौरान एक भी वेटिंग नहीं बताई गई। इसके बाद वह इमरजेंसी वार्ड पहुंचे, जहां पर दोनों जनरल वार्ड के सभी 25 बेडों का मुआयना किया। मरीजों के साथ ही मौके पर उपलब्ध स्टाफ से भी बातचीत की। इस दौरान दर्जनों की संख्या में मरीजों एवं उनके परिजनों को बाहर रोक दिया गया। संयुक्त सचिव ने ट्रामा सेंटर का भी मुआयना किया, जहां पर लेवल एक की सुविधाओं वाले 20 बेडों का हाल बंद पड़ा मिला।

कार्यवाहक प्राचार्य डा. प्रदीप भारती ने उन्हें बताया कि केंद्र सरकार की ओर से नौ करोड़ का फंड एवं स्टाफ न मिलने से यूनिट शुरू नहीं की जा सकी है। इसके बाद वह गुर्दा रोग विभाग में डायलिसिस यूनिट में पहुंचे, जहां भर्ती मरीजों से बात कर संतुष्ट नजर आए। इसके बाद वह दवा काउंटर पर जमी हुई भीड़ देखकर उखड़ गए। कई मरीजों ने दवा न मिलने एवं स्टाफ के व्यवहार की शिकायत भी की, जिसे उन्होंने नोट कर लिया। यहां से वह ब्लड बैंक पहुंचे, जहां रास्ते में एक्स-रे रूम के समक्ष भीड़ को लेकर सीएमएस से सफाई मांगी। ब्लड बैंक में फाइलों को देर तक खंगाला। साथ ही डेंगू को लेकर प्लेटलेट्स बनाने की स्थिति का भी जायजा लिया। इस बीच प्राचार्य डा. केके गुप्ता पहुंच गए। उन्होंने ब्लड बैंक की सुविधाओं की जानकारी देते हुए उन्हें नेत्र रोग विभाग ले गए। विभागाध्यक्ष डा. संदीप मित्थल ने बताया, समस्त सुविधाओं से रूबरू कराते हुए बताया कि प्रदेशभर में इस यूनिट में सर्वाधिक नेत्र प्रत्यारोपण किए गए हैं।

आइएसयू में उबलते मिले मरीज

नेत्र रोग विभाग के बाद संयुक्त सचिव संजय उपाध्याय ने आइसीयू एवं आइएसयू का मुआयना किया। आइसीयू में जबरदस्त गर्मी की वजह पूछा। पता चला कि चूहों ने तार कुतरकर वार्ड की बत्ती गुल कर दी है। एसी नहीं चल रहा है। इंटेंसिव सर्जिकल वार्ड में स्थिति और भी खराब मिली। एसी बंद होने से आपरेशन करवाकर बेड पर पड़े मरीज बिलखते नजर आए। आधी दवाएं बाहर से मंगवाई गई थी, जबकि डाक्टर ने नियम-विरुद्ध तरीके से सादे कागज पर दवा लिखा था, जिसकी एक कापी वह अपने साथ ले गए।

तीन साल से नहीं चले जेनरेटर

जांच में पता चला कि डीजल की तंगी से दो जेनरेटर तीन वर्ष से अब तक नहीं चले। मेडिकल में बिजली की कटौती से कई बार आपरेशन, वेंटीलेटर, एवं डायलिसिस समेत तमाम सुविधाएं बंद पड़ जाती हैं, जिसे देखते हुए उन्होंने दोनों उच्च क्षमता वाले जेनरेटरों को चलाने की सलाह दी। सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. वीके राठी ने बताया कि इन जेनसेटों की क्षमता रोजाना सौ लीटर खाने की है, जिसका खर्च मेडिकल नहीं उठा पा रहा है। शाम को उन्होंने छात्रावास की जांच की, जहां पर आरओ वाटर समेत तमाम अन्य शिकायतें मिलीं। प्राचार्य डा. केके गुप्ता ने कहा कि वह औचक निरीक्षण से संतुष्ट हैं। आने वाले दिनों में सीटी स्कैन, एमआरआइ, डिजिटल एक्सरे एवं 24 घंटे जांच की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

chat bot
आपका साथी