127 साल का शानदार सफर फिर भी मेरठ कॉलेज में सन्नाटा

127 साल को गौरवशाली इतिहास को मेरठ कॉलेज अपने में समेटे हुए है। सौ साल पूरा करने पर मेरठ कालेज के नाम से भारतीय डाक विभाग से डाक टिकट जारी किया गया था। सोमवार यानी 15 जुलाई को 127 साल पूरा करने पर मेरठ कालेज में कोई ऐसा विशेष आयोजन नहीं किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Jul 2019 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 15 Jul 2019 06:28 AM (IST)
127 साल का शानदार सफर फिर भी मेरठ कॉलेज में सन्नाटा
127 साल का शानदार सफर फिर भी मेरठ कॉलेज में सन्नाटा

मेरठ, जेएनएन: 127 साल को गौरवशाली इतिहास को मेरठ कॉलेज अपने में समेटे हुए है। सौ साल पूरा करने पर मेरठ कालेज के नाम से भारतीय डाक विभाग से डाक टिकट जारी किया गया था। सोमवार यानी 15 जुलाई को 127 साल पूरा करने पर मेरठ कालेज में कोई ऐसा विशेष आयोजन नहीं किया जा रहा है। जो इसके गौरवशाली इतिहास को लोगों के जुबा तक ला सके। कॉलेज परिसर में स्थापना दिवस पर इस तरह का सन्नाटा पुरातन छात्रों से लेकर शहर के लोगों को भी खटक रहा है।

मेरठ कॉलेज के इतिहास में 15 जुलाई 1892 की तिथि खास है। जब मेरठ कालेज की शुरुआत हुई थी। कुछ छात्र, थोड़े से शिक्षक और कर्मचारी मिलकर एक नगर पालिका स्कूल भवन में इसे शुरू किया था। कालेज की मान्यता इस शर्त पर मिली कि कोई अंग्रेज ही इसका पहला प्रिंसिपल होगा। अंग्रेजी राज में स्थापित हुए इस कालेज ने आजादी की लड़ाई में व्यापक आंदोलन चलाकर अंग्रेजी राज को हिलाने का काम किया। महात्मा गांधी से लेकर जेपी नारायण ने यहां आकर छात्रों को संबोधित किया था। आगरा विश्वविद्यालय से भी मेरठ कॉलेज संबद्ध रहा। वर्ष 1964 में यह कॉलेज चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गया। कालेज के पहले भारतीय प्रिंसिपल बी आर चटर्जी थे। जो एक जाने माने शिक्षाशास्त्री रहे। पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर कई प्रसिद्ध लोग कॉलेज से निकले

मेरठ कालेज से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से लेकर बहुत सारे राजनेता, नौकरशाह, न्यायाधीश, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, राजदूत निकले। यहां की एल्युमिनाई काफी समृद्ध है। दिल्ली यूनिवर्सिटी बनने के बाद मेरठ कालेज के शिक्षक और छात्रों ने जाकर वहां की जिम्मेदारी को संभाला था। यूजीसी ने मेरठ कालेज को हेरीटेज ग्रांट दिया, जिसमें कॉलेज को एक करोड़ 38 लाख रुपये की ग्रांट मिली थी।

पांच विभाग को स्टार स्टेटस

मेरठ कालेज देश का अकेला कालेज है जिसके पांच विभाग डिफेंस स्टडीज, जूलोजी, बॉटनी, फिजिक्स, केमिस्ट्री को सीपीई के तहत स्टार स्टेटस मिला। इसका चयन यूजीसी की उच्चस्तरीय कमेटी ने रिसर्च और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों को ध्यान में रखकर किया।

खटक रहा है खालीपन

पूर्व में मेरठ कॉलेज अपने स्थापना दिवस पर एक संगोष्ठी कराता रहा है, जिसके विषय में कॉलेज के लोगों को भी पता नहीं चल पाता। इस बार भी मेरठ कॉलेज में स्थापना दिवस पर कोई तैयारी नहीं है। कॉलेज के सामने चुनौती

ऐतिहासिक कॉलेज होने के साथ मेरठ कॉलेज के सामने शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने की चुनौती है। नैक की ग्रेडिंग में कॉलेज को बी ग्रेड मिला है। हर साल कक्षा में छात्रों की कम उपस्थिति को बढ़ाने की चुनौती है। साथ ही खोए हुए सम्मान को वापस लाना है। कार्यभार के साथ मिलता है रिवाल्वर

मेरठ कॉलेज में एक और परंपरा औरों से अलग करती है। अंग्रेजों के जमाने से यहां जो भी प्रिंसिपल बनता है, वह कार्यभार के साथ रिवाल्वर भी ग्रहण करता है। यह रिवाल्वर ब्रिटिशकाल का है। जो वर्तमान में प्रिंसिपल डा. संगीता गुप्ता के पास है। एक नजर में कॉलेज

रेगुलर छात्र- 8500

प्राइवेट छात्र- 12500

स्नातक के रेगुलर कोर्स -26

परास्नातक के कोर्स - 25

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