पुस्तक मेले में मुंशी प्रेमचंद के साहित्यों की बहार

By Edited By: Publish:Sun, 20 Jul 2014 08:48 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jul 2014 08:48 PM (IST)
पुस्तक मेले में मुंशी प्रेमचंद के साहित्यों की बहार

मेरठ : कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानियों को पढ़ने के लिए एक अवसर मिला है। प्रेमचंद के जयंती के उपलक्ष्य में निंबस बुक्स आउटलेट में रविवार को पुस्तक मेले का उद्घाटन किया गया। एक अगस्त तक चलने वाले इस मेले में प्रेमचंद के साहित्य के भंडार के साथ उनके समकालीन लेखकों की उम्दा रचनाएं उपलब्ध हैं।

इस्कॉन के रूपान दास व विपिन गर्ग के निर्देशन में इस्कॉन टीम ने हरे रामा हरे कृष्णा के गायन के बीच मेले का उद्घाटन मेरठ जोन के आइजी आलोक शर्मा ने किया। कहा कि शब्दों की सत्ता मनुष्य के अंतर्मन को आलोकित करती है। निंबस की निदेशक अलका शर्मा ने बताया कि सभी पुस्तकों पर 25 प्रतिशत तक की छूट रहेगी। निंबस के संरक्षक एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने कहा कि पुस्तक मेले में देश-विदेश के जाने-माने प्रकाशकों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। सत्यकाम इंटरनेशनल स्कूल के प्रणेता अनुज शर्मा व पूनम शर्मा ने आइजी को प्रतीक चिन्ह भेंट किया। मौके पर प्रोफेसर केडी शर्मा, पिंटू मिश्रा, रश्मि मिश्रा, आरपी वर्मा, जफर पाशा, के के शर्मा, समीर मालवीय आदि उपस्थित रहे।

समाज में आज भी जीवित हैं प्रेमचंद के पात्र

31 जुलाई 1880 में बनारस के लमही गांव में जन्में प्रेमचंद (मूल नाम नवाब या धनपत राय ) ने आज से करीब सौ साल पहले अपने शब्दों से भारतीय समाज की तस्वीर खीची, उनके जन्म के करीब 134 साल हो गए। प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियां लिखी। रंगभूमि, गोदान, गबन, ईदगाह, पंच परमेश्वर, कफन, नमक का दारोगा जैसे कई कहानियों में उन्होंने तत्कालीन व्यथा को बताया, इतने सालों बाद भी भले हमें आजाद हो गए, लेकिन समाज में आज भी प्रेमचंद के पात्र किसी न किसी रूप से जीवित हैं।

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